शास्त्रों के अनुसार भगवान को प्रसन्न करने की कई अलग-अलग विधियां और पूजन पद्धितियां बताई गई हैं। सभी विधियों का अपना अलग महत्व है। शिव पुराण के अनुसार मुख्य रूप से पांच प्रकार से ईश्वर की आराधना की जा सकती है।
देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए सृष्टि के प्रारंभ से ही कई प्रकार की विधियों का चलन है। हमारे जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का निराकरण देवी-देवताओं की प्रसन्नता से हो जाता है। किसी भी देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए ये पांच विधियां सर्वश्रेष्ठ बताई गई हैं। शिव पुराण के अनुसार पूजा की पांच विधियां सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं-
पहली विधि है जिस देवता के निमित्त पूजा करनी हैं उन देवी-देवताओं के मंत्र का जप करना। दूसरी विधि है होम या यज्ञ करना। तीसरी विधि है संबंधित देवता के नाम पर दान करना। चौथी विधि है तप करना। अंतिम पांचवी विधि है देवी-देवताओं की प्रतिमा या चित्र पर सोलह उपचारों से उनकी पूजा करना, आराधना करना।
यह सभी पांचों विधियां हजारों साल पुरानी हैं और आज भी इसी प्रकार भगवान को प्रसन्न करने की परंपरा प्रचलित है। इस प्रकार पूजा करने से भक्त की पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए सृष्टि के प्रारंभ से ही कई प्रकार की विधियों का चलन है। हमारे जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का निराकरण देवी-देवताओं की प्रसन्नता से हो जाता है। किसी भी देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए ये पांच विधियां सर्वश्रेष्ठ बताई गई हैं। शिव पुराण के अनुसार पूजा की पांच विधियां सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं-
पहली विधि है जिस देवता के निमित्त पूजा करनी हैं उन देवी-देवताओं के मंत्र का जप करना। दूसरी विधि है होम या यज्ञ करना। तीसरी विधि है संबंधित देवता के नाम पर दान करना। चौथी विधि है तप करना। अंतिम पांचवी विधि है देवी-देवताओं की प्रतिमा या चित्र पर सोलह उपचारों से उनकी पूजा करना, आराधना करना।
यह सभी पांचों विधियां हजारों साल पुरानी हैं और आज भी इसी प्रकार भगवान को प्रसन्न करने की परंपरा प्रचलित है। इस प्रकार पूजा करने से भक्त की पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
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