इस्लामाबाद. भारतीय मूल के उद्योगपति और ‘स्टील किंग’ के तौर पर मशहूर लक्ष्मी मित्तल की कंपनी आर्सेलर मित्तल का निवेश प्रस्ताव पाकिस्तानी अधिकारियों ने ठुकरा दिया है। कंपनी ने सिंध प्रांत के थार मरुस्थल में एक कोयला परियोजना में निवेश की पेशकश की थ
पाकिस्तानी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने सिंध प्रांत की सरकार के एक अधिकारी के हवाले से खबर दी है कि मित्तल की कंपनी ने थार कोयला परियोजना में निवेश की पेशकश दुबई की एक परामर्श फर्म के जरिये की थी।
अखबार का कहना है कि पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच संवेदनशील रिश्तों की वजह से निवेश की यह पेशकश ठुकरा दी गई। कहा जा रहा है कि यह निवेश दो अरब डॉलर से अधिक का था।
अखबार की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कंपनी ने अपनी पेशकश में कहा था कि थार से प्राप्त कोयले का इस्तेमाल वह भारत और अन्य देशों में स्थित अपने इस्पात संयंत्रों के लिए करेगी। थार कोयला परियोजना से जुड़े सिंध प्रांत के अधिकारियों ने कि आर्सेलर मित्तल ने पाकिस्तान में कोयले की लागत कम होने की वजह से परियोजना लगाने की पेशकश की थी।
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि भारत में कोयले की मांग तेजी से बढ़ रही है और भारतीय उद्योगों के लिए थार का कोयला ऊर्जा का सस्ता स्रोत हो सकता है। इस अधिकारी ने आगे कहा कि कोयला क्षेत्र में भारत का व्यापक अनुभव है और इससे दोनों देशों को फायदा हो सकता था। अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान चाहे तो भारत में निवेश सम्मेलन आयोजित कर वहां से काफी निवेशकों को आकर्षित कर सकता है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की सरकार ने हाल में भारत को सबसे तरजीही देश (एमएफएन) का दर्जा देने की पेशकश की। हालांकि वहां के कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को सामान्य करने के लिए दोनों देशों के बीच उठाए जाने वाले कदमों में सीमा पार निवेश का मुद्दा बेहद अहम है।
आतंकवाद, खराब कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, महंगाई जैसी समस्याओं पर काबू पाने में नाकाम रही पाकिस्तान सरकार की माली हालत भी बदतरीन हो गई है। सरकार दीवालियेपन की कगार पर है और बीते मई में पहली बार सरकार की आमदनी और खर्च का अंतर एक खरब रुपये हो गया!
हाल में नाटो के हवाई हमले में पाकिस्तानी फौजियों की मौत के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते और बिगड़ रहे हैं। पाकिस्तान के जरिये नाटो सैनिकों के लिए अफगानिस्तान जाने वाली सप्लाई रोक दी गई। पाकिस्तान के कहने पर अमेरिकी सैनिकों ने शम्सी एयरबेस खाली करना शुरू कर दिया है। लेकिन अमेरिका भी अब इसका जवाब देने की तैयारी में जुट गया लगता है।
अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान से अमेरिका के संबंधों की पूरी समीक्षा करने और पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य और आर्थिक मदद में कटौती या नए प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है। रिपब्लिकन सांसद जॉन मैक्कैन और लिंडसे ग्राहम ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा, ‘अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ बेहद धीरज बांधे रखा लेकिन इसके बावजूद विचलित करने वाले कई तथ्य हमारे सामने आए। अब समय आ गया है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों की पूरी समीक्षा करे। हमें पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद पर भी फिर से विचार करना होगा।’
पाकिस्तानी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने सिंध प्रांत की सरकार के एक अधिकारी के हवाले से खबर दी है कि मित्तल की कंपनी ने थार कोयला परियोजना में निवेश की पेशकश दुबई की एक परामर्श फर्म के जरिये की थी।
अखबार का कहना है कि पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच संवेदनशील रिश्तों की वजह से निवेश की यह पेशकश ठुकरा दी गई। कहा जा रहा है कि यह निवेश दो अरब डॉलर से अधिक का था।
अखबार की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कंपनी ने अपनी पेशकश में कहा था कि थार से प्राप्त कोयले का इस्तेमाल वह भारत और अन्य देशों में स्थित अपने इस्पात संयंत्रों के लिए करेगी। थार कोयला परियोजना से जुड़े सिंध प्रांत के अधिकारियों ने कि आर्सेलर मित्तल ने पाकिस्तान में कोयले की लागत कम होने की वजह से परियोजना लगाने की पेशकश की थी।
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि भारत में कोयले की मांग तेजी से बढ़ रही है और भारतीय उद्योगों के लिए थार का कोयला ऊर्जा का सस्ता स्रोत हो सकता है। इस अधिकारी ने आगे कहा कि कोयला क्षेत्र में भारत का व्यापक अनुभव है और इससे दोनों देशों को फायदा हो सकता था। अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान चाहे तो भारत में निवेश सम्मेलन आयोजित कर वहां से काफी निवेशकों को आकर्षित कर सकता है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की सरकार ने हाल में भारत को सबसे तरजीही देश (एमएफएन) का दर्जा देने की पेशकश की। हालांकि वहां के कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को सामान्य करने के लिए दोनों देशों के बीच उठाए जाने वाले कदमों में सीमा पार निवेश का मुद्दा बेहद अहम है।
आतंकवाद, खराब कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, महंगाई जैसी समस्याओं पर काबू पाने में नाकाम रही पाकिस्तान सरकार की माली हालत भी बदतरीन हो गई है। सरकार दीवालियेपन की कगार पर है और बीते मई में पहली बार सरकार की आमदनी और खर्च का अंतर एक खरब रुपये हो गया!
हाल में नाटो के हवाई हमले में पाकिस्तानी फौजियों की मौत के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते और बिगड़ रहे हैं। पाकिस्तान के जरिये नाटो सैनिकों के लिए अफगानिस्तान जाने वाली सप्लाई रोक दी गई। पाकिस्तान के कहने पर अमेरिकी सैनिकों ने शम्सी एयरबेस खाली करना शुरू कर दिया है। लेकिन अमेरिका भी अब इसका जवाब देने की तैयारी में जुट गया लगता है।
अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान से अमेरिका के संबंधों की पूरी समीक्षा करने और पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य और आर्थिक मदद में कटौती या नए प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है। रिपब्लिकन सांसद जॉन मैक्कैन और लिंडसे ग्राहम ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा, ‘अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ बेहद धीरज बांधे रखा लेकिन इसके बावजूद विचलित करने वाले कई तथ्य हमारे सामने आए। अब समय आ गया है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों की पूरी समीक्षा करे। हमें पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद पर भी फिर से विचार करना होगा।’
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