Monday, 23 January 2012


यह है बीएसएफ जवानों की 'क्रूरता' की हकीकत ?

नई दिल्ली। बीएसएफ के जवानों द्वारा गायों की तस्करी करने वाले एक शख्स को पीटे जाने का मामला सामने आया है। इसका एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें जवानों द्वारा तस्कर को क्रूरता से पीटते हुए दिखाया गया है।

मौत के बाद बीएसएफ के जवानों ने उसे बांग्लादेश की सीमा में फेंक दिया। घटना पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेहरामपुर के बांग्लादेश से लगी कहरापारा सीमा पर हुई। सरकार ने इस घटना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए दोषी आठ जवानों को सस्पेंड कर दिया है। चूंकि भारतीय संस्कृति में मानवीय हिंसा का कोई स्थान नहीं है इसलिए सरकार की यह कार्रवाई उचित है।

यहां सबसे प्रमुख बात है कि हमारी पुलिस इतनी क्रूर क्यों बन जाती है। हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि बीएसएफ के 70 प्रतिशत से ज्यादा जवान नींद की कमी से जूझते हैं। उन्हें सिर्फ चार घंटे की नींद मिल पाती है। यही नहीं, जवानों के सीनियर अधिकारी उनके साथ अपमानजनक और कठोर व्यवहार करते हैं। ‘इमोशनल इंटेलीजेंस एंड ऑक्यूपेशनल स्ट्रेस’ नाम की सरकारी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, ‘सर्वे में सामने आया है कि बीएसएफ में हर स्तर पर जवानों पर कितना दबाव है। यह अध्ययन केवल शुरुआत है। हालांकि दबाव के स्तर को पता करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं थे। लेकिन इससे यह समझ आता ही है कि जवानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इससे वह गंभीर रूप से तनावग्रस्त हो जाते हैं और उनका प्रदर्शन प्रभावित होता है।’
देश की दो अहम सीमाओं पाकिस्तान और बांग्लादेश की हिफाजत में मुस्तैद रहने वाले बीएसएफ जवानों और अफसरों के 'इमोशनल इंटेलिजेंस एंड ऑक्युपेशनल स्ट्रेस' पर इस तरह की स्टडी पहली बार हुई है। स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि खतरनाक और निर्जन जगहों पर तैनात रहने वाले इन जवानों में जबरदस्त तनाव की वजह क्या है।
गृह मंत्रालय में हाल ही में पेश स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि फोर्स में स्ट्रेस लेवल (तनाव का स्तर) काफी ऊंचा है। यह भी कहा गया है कि यह स्टडी बीएसएफ जवानों के तनाव और उनकी दिक्कतों के एक बहुत छोटे पहलू को दिखाती है। उनके तनाव को नापने के लिए इसमें कोई सटीक तरीका नहीं है।
स्टडी में कहा गया है कि बीएसएफ के 70 फीसदी से ज्यादा जवानों को जरूरत भर आराम नहीं मिल पाता है। इनमें जवानों और कॉन्स्टेबल की तादाद ज्यादा है। ज्यादातर जवानों ने बताया है कि उन्हें रोजाना महज चार घंटे की ही नींद मिल पाती है। इनमें तनाव की सबसे बड़ी वजह यही है।

आपकी राय: सुधि पाठकों आपने सामने खबर और स्टडी दोनों है। क्या जवानों के इस क्रूरता को स्टडी से जोड़ा जा सकता है? इस बारे में आपकी क्या राय है?

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