Saturday 18 February 2012


उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में सियासी दंगल का केंद्र बने मुसलमान ?


लखनऊ। उप्र के चुनावी संग्राम में एक -दूसरे पर तीखे शब्द बाण छोड़ रहे राजनीतिक दलों की मुहिम वस्तुत: मुसलमानों के गिर्द घूमने लगी है। सभी मुख्यत: इसी कौम को लेकर अपने-अपने ढंग से समीक रण साधने में मशगूल हैं, प्रदेश में अपने सियासी भाग्य की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहे सपा और कांग्रेस जहां मुसलमानों को आरक्षण देने के पक्ष में तरह-तरह की राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं, वहीं भाजपा अपनी सभाओं में क थित ‘मुस्लिम आरक्षण’ की मुखालफत करके हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश में है।

 वैसे तो मुसलमान हर चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की रणनीति का अहम हिस्सा रहे हैं, लेकिन कहना गलत नहीं होगा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में यह कौम राजनीति की धुरी प्रतीत हो रही है प्रदेश के चुनावी महायज्ञ में मुस्लिम वोटों को भुनाने की कोशिश में सबसे पहले कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को अन्य पिछड़ा वर्ग के कोटे में से साढ़े चार प्रतिशत आरक्षण देकर की नवसृजित आरक्षण कोटे में हालांकि मुसलमा नों के अलावा सिख, बौद्ध और जैन समेत कई समुदाय शामिल हैं, लेकिन इसे मुस्लिम आरक्षण के तौर पर पेश किया जा रहा है, जिसे सभी पार्टियां अपनी-अपनी तरह से भुनाने में जुटी हैं।

राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की 80 में से 22 सीटें सपा मुखिया मुलायम सिंह और ‘राम मंदिर’ आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े रहे कल्याण सिंह के हाथ मिला लेने के बाद सपा से मुसलमानों की कथित दूरी के बूते मिली थीं और कांग्रेस उस लाभ को मौजूदा विधानसभा चुनाव में हाथ से नहीं जाने देना चाहती। शुरु आत तो पिछड़े वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण कोटे में साढ़े चार प्रतिशत का अलग ‘अल्पसंख्यक कोटा’ देने के निर्णय से ही हो चुकी थी, लेकिन इसे मुस्लिम आरक्षण का रंग देने की इब्तिदा कांग्रेस के नेता केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने मुसलमानों को नौ प्रतिशत आरक्षण देने का एलान क रके की।

मुसलमानों की कथित दूरी से लोकसभा चुनाव में चोट खाए बैठी सपा आक्रामक जवाबी मुद्रा में आ गई और उसने खुर्शीद की इस घोषणा को अपने लिए खतरा मानते हुए प्रदेश में सत्तारूढ़ होने पर मुस्लिमों को 18 फीसद आरक्षण देने का वादा क र डाला। भाजपा ने खुर्शीद और मुलायम के एलान के बाद अपनी रणनीति की धार और तेज कर दी। भाजपा ने ‘मुस्लिम आरक्षण’ को न सिर्फ असंवैधानिक बताया, बल्कि इसकी आड़ में पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति तथा जनजाति के वोटरों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश करते हुए सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट ने अधिक तम 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा तय की है और जिस आरक्षण का वादा कांग्रेस और सपा क र रहे हैं, वह उन जातियों के आरक्षण कोटे को काटे बिना संभव ही नहीं है।

अल्पसंख्यक आरक्षण चूंकि अन्य पिछड़ा वर्ग के पूर्व निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण को काटकर दिया गया है, लिहाजा भगवा दल अन्य पिछड़ा वर्गो के वोटों के ध्रुवीकरण की भरसक कोशिश कर रहा है। बसपा अध्यक्ष मायावती इस मुद्दे को जुदा अंदाज में भुना रही हैं। वह कांग्रेस, सपा और भाजपा पर निशाना साधते हुए अल्पसंख्यक आरक्षण को समाज में फूट डालने की कोशिश के तौर पर पेश करके दलित तथा मुस्लिम को ‘साजिश’ के प्रति होशियार क र रही हैं। इस तरह वह दोनों ही वोट बैंकों को अपनी तरफ लाने की जुगत में हैं। वैसे, मुसलमानों को रिझाने की सबसे ज्यादा उत्कंठा कांग्रेस में दिखाई पड़ रही है। उसके नेता बार-बार मुसलमानों को लुभाने की कोशिश में बयान दे रहे हैं।

केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने पसमांदा मुसलमानों को उनका ‘हक ’ दिलाने के लिए चुनाव आयोग तक से लोहा लेने की कोशिश की। साथ ही उन्होंने कांग्रेस का ‘मुस्लिम प्रेम’ जताने के लिए बटला हाउस कांड पर भी सनसनीखेज बयान दे डाला। मामला अभी पूरी तरह थमा भी नहीं था कि इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने मुसलमानों का कोटा बढ़ाने का बयान देकर नया विवाद पैदा क र दिया। उधर, राहुल गांधी अपनी कि सी भी सभा में बुनक रों का नाम लेना नहीं भूलते।
 

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