नैतिक पतन: हर चौथा विधायक दागी, 300 अफसरों पर आपराधिक केस ?
नेता, अफसरों द्वारा हत्या, जमीनें हथियाने जैसे मामलों में अदालतों, आयोगों ने तीखी टिप्पणियां की हैं। राजस्थान में भंवरी केस में हाईकोर्ट ने यहां तक कह दिया था कि आप सरकार चलाना ही छोड़ दीजिए। वहीं पंजाब में एक रिपोर्ट में कहा गया कि नेता-अफसर तस्करों से मिले हुए हैं। नाम तक दिए। लेकिन सरकार ने रिपोर्ट दबा ली। श्रंखला में पढ़िये राज्यों की मौजूदा हालात पर लाइव रिपोर्ट...
लखनऊ-(शरद गुप्ता ) यूपी में शनिवार को दूसरे दौर का चुनाव है। यहां सवा सौ प्रत्याशी ऐसे हैं जिन पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। पिछले दो सालों में उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ बसपा के दस विधायक गिरफ्तार किए गए। छह बलात्कार के आरोप में। चार हत्या करने या हत्या का प्रयास करने के। बाहुबलियों के समर्थन से चुनाव लड़ना अब बीते समय की बात हो गई है। अब बाहुबली खुद चुनाव लड़ रहे हैं।
गोंडा से सपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह और बसपा के राज्यसभा सदस्य ब्रजेश पाठक दोनों को एक समय आतंकवाद निरोधक कानून टाडा के तहत गिरफ्तार किया गया था। मुख्तार अंसारी सात साल से जेल में हैं। अंसारी मऊ और घोसी से चुनाव मैदान में हैं। प्रचार के लिए तो वह तिहाड़ से पैरोल पर छूटकर आया। इलाहाबाद पश्चिमी से अतीक अहमद सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
तीन दिन पहले ही उनकी जमानत हुई। उन्होंने चार साल पहले तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का षड्यंत्र रचा था। उनके छोटे भाई अशरफ ने हत्या के मुख्य अभियुक्त थे लेकिन सपा ने उपचुनाव में पाल की पत्नी पूजा के खिलाफ लड़ने के लिए अशरफ को ही टिकट दिया।
पिछले पांच सालों के दौरान राजा भैया ने 26 महीने जेल में बिताए। वे भी निर्दलीय विधायक हैं। हरिशंकर तिवारी पिछले चुनाव में हारे। लेकिन इससे पहले पांच बार लगातर चुनाव जीते। पहली दो बार कांग्रेस के टिकट पर। वे कहते हैं कि उनके खिलाफ सारे आरोप निराधार और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण लगाए गए।
पूर्व सपा मंत्री अमरमणि त्रिपाठी फिलहाल मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में जेल में हैं। पार्टी ने उनके बेटे को नौतनवां से टिकट दे दिया। फैजाबाद जिले में बीकापुर से सपा के टिकट पर लड़ रहे मित्रसेन यादव को सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा हुई थी। उन्हें राष्ट्रपति से क्षमादान मिल गया। उनके बेटे आनंद सेन मायावती सरकार में मंत्री थे। एक युवती शशि का बलात्कार और हत्या के मामले में फिलहाल जेल में हैं।
हिंदू अखबार के संवाददाता रहे जेपी शुक्ल कहते हैं - पिछले बीस सालों के दौरान जिताऊ उम्मीदवार खोजने के फेर में सभी पार्टियां उन अपराधियों पर दांव लगाती रही हैं जो अपने दबदबे और भयपूर्ण सम्राज्य की वजह से जीत जाते हैं।
जनप्रतिनिधियों ने अफसरों के साथ मिलकर हथियाई जमीनें
चंडीगढ़- संजीव रामपाल -‘चंडीगढ़ के आसपास की सार्वजनिक स्थलों और सरकारी जमीन पर 70 से ज्यादा आईएएस, पीसीएस अफसरों, सांसदों, विधायकों, पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों के कब्जे हैं।’ जमीन घोटाले की जांच कर रहे एडीजीपी चंद्रशेखर की ओर से हाईकोर्ट में सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट है यह। मोहाली जिले के नयागांव का यह जमीन घोटाला आज भी चर्चा में है।
आरोप हैं कि जनप्रतिनिधियों और ब्यूरोक्रेट्स की मिलीभगत के चलते हजारों एकड़ की जमीन अपनों को औने-पौने दामों में दे दी गईं। जबकि इस जगह पर अस्पताल, पंचायत घर बनने थे। इससे पहले चंडीगढ़ के प्रशासक जनरल (रिटा.) एस.एफ. रोड्रिज्स पर एम्यूजमेंट कम थीम पार्क, मल्टीमीडिया कम फिल्म सिटी, मेडी सिटी जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स में जमीन आवंटन में गड़बड़ी के आरोप लगे थे।
हालांकि रोड्रिज्स हमेशा कहते रहे हैं कि जनहित में ये जमीनें दी गई थीं। इनमें से मेडी सिटी प्रोजेक्ट किसी कंपनी को अलॉट ही नहीं हुआ था। पाश्र्वनाथ डवलपर्स कंपनी को फिल्म सिटी के लिए सारंगपुर में 30 एकड़ जमीन 191 करोड़ रुपए में अलॉट की गई थी। कंपनी ने 25 परसेंट अर्नेस्ट मनी 47.75 करोड़ रुपए प्रशासन को जमा भी करा दिए थे जो कि प्रोजेक्ट रद्द होने के बाद जब्त कर लिए गए। इसके अलावा चंडीगढ़ में ब्यूरोक्रेट्स और राजनीतिज्ञों की मिलीभगत से हुआ बूथ आवंटन घोटाला भी संसद में गूंज चुका है।
199 सांसद, 9 केंद्रीय मंत्रियों पर भी चल रहे मुकदमे
...कहां कितने दागी विधायक...
मध्यप्रदेश : दो मंत्रियों, एक पूर्व मंत्री, समेत 42 विधायकों पर केस दर्ज।
राजस्थान : यहां एक मंत्री समेत 30 विधायकों पर आपराधिक मामले।
पंजाब : मुख्यमंत्री बादल समेत 18 के खिलाफ केस।
गुजरात : १८२ में से 50 विधायकों पर आपराधिक केस। यानी 28%।
महाराष्ट्र : 288 में से 143 विधायकों पर क्रिमिनल मुकदमे। यानी 50 प्रतिशत।
झारखंड : 81 में से 59 विधायक दागी। यानी 73%।
छत्तीसगढ़ : यहां 90 में से 11 पर मुकदमे चल रहे।
हिमाचल : 68 में से 28 विधायकों पर आपराधिक केस।
हरियाणा : 90 में से 15 के खिलाफ मुकदमे।
- स्रोत : एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट
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