स्पेस वैज्ञानिकों की कहानी सुन भावुक हो उठेंगे आप भी ?
बेंगलुरू। विवादस्पद एंट्रिक्स-देवास करार में सरकारी पद ग्रहण करने से प्रतिबंधित किए गए अंतरिक्ष वैज्ञानिक आत्मसम्मान की लड़ाई में हताश होते दिख रहे हैं। पूर्व इसरो प्रमुख जी माधवन नायर के बाद अब इसरो के पूर्व वैज्ञानिक सचिव ए भास्करनारायण ने कहा कि इस कार्रवाई से वह खुद को दयनीय स्थिति में पाते हैं।
उन्होंने कहा 'सरकार को क्या मालूम कि हमें रातों में नींद नहीं आती। हम खुद को दयनीय महसूस कर रहे हैं। हमने 37 साल से ज्यादा काम किया। रविवार समेत रोजाना औसतन 9-10 घंटे काम किया। एक दिन हमें सरकारी नौकरियों से रोक लगाने का इस तरह का नोटिस दे दिया जाता है?
37 साल से कर रहे काम, रविवार तक को नहीं ली छुट्टी ?
भास्कर नारायण ने कहा कि यह मामला अब तमाम वैज्ञानिकों की सामाजिक प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। उन्होंने समाज में अपने मुकाम को ले कर चिंता भी जाहिर की। इससे पहले नायर ने सरकार से कहा था कि प्रतिबंध हटाकर तमाम वैज्ञानिकों का सम्मान लौटाया जाए।
क्योंकि यह अब उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। भास्करनारायण से जब पूछा गया कि वह ऐसा क्यों सोचते हैं कि कार्रवाई के लिए चार को ही चुना गया, तो उन्होंने कहा 'हम चार उस समय ऐसे पद पर थे जो एंट्रिक्स-देवास करार से संबंधित थे और अहम थे।
दिग्गज अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन ने इसरो विवाद खत्म करने की बुधवार को भावुक अपील की ताकि अंतरिक्ष एजेंसी फिर से पटरी पर लौट सके।
विवादों में घिरे जी माधवन नायर से पहले 2003 तक इसरो के नौ साल से ज्यादा अर्से तक अध्यक्ष रहे कस्तूरीरंगन ने कहा 'मैं उम्मीद करता हूं कि यह विवाद जितना जल्द हो सके खत्म हो जाए ताकि हम उस पटरी पर वापस लौट आएं जिस पर हमें चलना है।' योजना आयोग के सदस्य कस्तूरीरंगन यह कहते हुए भावुक हो उठे थे। उनकी आवाज बीच-बीच में रुंध रही थी।
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