तो जनाब राहुल इसलिए देश का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते ?
भदोही। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पद का तलबगार नहीं होने का बयान देने के एक दिन बाद मंगलवार को कहा कि पद बाधाएं पैदा करता है और व्यक्ति को आम जनता से दूर कर देता है।
उन्होंने अपने कथन के समर्थन में तर्क देते हुए कहा कि मायावती मुख्यमंत्री बनीं तो पहले अच्छा काम किया। लेकिन, बाद में मायावती ने अपने बंगले के चारों तरफ 40 फुट की दीवार बना ली और जनता को भूल गईं। कांशीराम जी ने भी अपनी पार्टी को आगे बढ़ाया। इसी तरह सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव भी मुख्यमंत्री बने। उन्होंने भी पहले तो अच्छा काम किया, लेकिन बाद में जनता की परेशानियों की तरफ से मुंह मोड़ लिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के इस बयान पर कि राहुल ने लोगों को रास्ता दिखाया है। पार्टी महासचिव ने कहा कि मैं सलमान साहब की बहुत इज्जत करता हूं। सच्चाई यह है कि राहुल ने लोगों को नहीं बल्कि लोगों ने राहुल को रास्ता दिखाया है।
कालीन नगरी कहे जाने वाले भदोही की हालत पर दुख जाहिर करते हुए राहुल ने कहा कि पूर्व में देश के दूसरे हिस्सों से 50 हजार लोग काम के सिलसिले में यहां आते थे, लेकिन आज हालत यह है कि स्थानीय बाशिंदों को रोजगार के लिए मजबूरन बाहर जाना पड़ रहा है। कांग्रेस ने बुनकरों के लिए आर्थिक पैकेज दिया है और उनकी पार्टी इस तिजारती तबके की आवाज को दबने नहीं देगी।
राहुल गांधी ने भाजपा के ‘इंडिया शाइनिंग’ नारे का उपहास उड़ाया और कहा कि इस तरह का विचार पेश करते समय उन्होंने कभी भी गांवों में गरीबों तथा कार्यकर्ताओं का हाल नहीं पूछा तथा न ही उनकी दुर्दशा को समझा।
प्रदेश में दूसरे चरण के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए राहुल ने पूछा कि शीर्ष भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुख्यमंत्री मायावती या सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पिछले पांच वर्षो में क्या कभी गांवों में गरीबों के साथ खाना खाया। क्या उनका हाथ थामा और क्या उनकी कुशलक्षेम के बारे में पूछा।
उन्होंने इस अवसर पर 2004 के लोक सभा चुनाव के राजनीतिक परिदृश्य की याद दिलाई और कहा कि इस तरह की कयासबाजी थी कि कांग्रेस को 80 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी, लेकि न पार्टी आगे बढ़ी और ‘इंडिया शाइनिंग’ की बात करने वाली भाजपा पीछे रह गई।
समावेशी विकास की पार्टी की प्रतिबद्धता दोहराते हुए राहुल ने कहा कि भाजपा के सबसे बड़े नेता ने एक टीवी कार्यक्रम देखने के बाद ‘इंडिया शाइनिंग’ रचा। इस तरह की चीजें तब होती हैं, जब कोई गरीबों से बात नहीं करता, गांवों का दौरा नहीं करता और एसी घरों में रहकर फैसले करता है।
कांग्रेस महासचिव ने यह भी कहा कि उन्हें पढ़ाई के समय अमेरिका और ब्रिटेन के प्रोफेसरों की बजाय बुंदेलखंड के किसानों एवं मजदूरों ने अधिक सिखाया है। जमीनी स्तर पर बात क रने वालों तथा योजना आयोग एवं नौकरशाहों की सोच में एक बड़ा अंतर है।
अक्सर योजना आयोग के लोग और नौकरशाह आते हैं और कहते हैं कि फलां सड़क को इस तरह बनाया जाएगा। जब मैं आपको सुनता हूं, मैं सोचता हूं कि आपके कहे और उनके कहे में बड़ा अंतर है। आप जो कहते हैं, उसमें सच्चाई है। बड़े नौकरशाह आपके जैसा ज्ञान और गहराई नहीं रखते।
bahut khoob cha gaye farid bhai..........
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