प्राइवेसी पर फ़ेसबुक नीति बदलने को तैयार ?
प्राइवेसी यानी निजता की वकालत करने वाले लोगों ने इन ख़बरों का स्वागत किया है कि फ़ेसबुक ने फ़ैसला किया है कि वह अपने सदस्यों की निजी सूचनाओं में कोई परिवर्तन स्वीकृति के बाद ही किया जाएगा.
की एक जाँच के बाद किया है. फ़ेसबुक ने अभी इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
परिवर्तन
रिपोर्ट में कहा गया है कि फ़ेसबुक ने ये भी मंज़ूर कर लिया है कि वह सदस्यों की प्राइवेसी या निजता को लेकर किसी भी स्वायत्त संस्था से अगले 20 साल ऑडिट करवाता रहेगा. रिपोर्ट के अनुसार एफ़टीसी ने फ़ेसबुक को परिवर्तन से पहले अपने सदस्यों की स्वीकृति लेने के तरीक़ों के बारे में कोई सुझाव नहीं दिया है.
लंदन में निजता के लिए काम करने वाली एक संस्था प्राइवेसी इंटरनेशनल ने कहा है, "फ़ेसबुक अपने कामकाज में पारदर्शिता को लेकर ऐतिहासिक रूप से थोड़ा अड़ियल रहा है, इसलिए हम इन उपायों का स्वागत करते हैं जिसकी वजह से उसे अपने सदस्यों की स्वीकृति लेने को बाध्य होना पड़ा है."
संस्था का कहना है कि हालांकि एफ़टीसी के क़दम से फ़ेसबुक के उन प्रयासों पर आंशिक रूप से ही रोक लगेगी जिसमें वह अपने सदस्यों की सारी जानकारी हासिल कर लेना चाहता था.
प्राइवेसी इंटरनेशनल का कहना है, "ये संभव है कि जब छोटे-छोटे अक्षरों छपे ढेर सारे पन्नों के ज़रिए किसी परिवर्तन के लिए स्वीकृति मांगी जाएगी तो हो सकता है कि ज़्यादातर सदस्य इसकी स्वीकृति दे दें और हर स्वीकृति के साथ हम ज़ुकरबर्ग के उस सपने के क़रीब पहुँचते जाएँगे जहाँ निजता रहित भविष्य है."
हालांकि पिछले हफ़्ते एक टीवी शो में ज़ुकरबर्ग से निजता यानी प्राइवेसी के बारे में सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, "फ़ेसबुक पर आपने जो कुछ भी साझा किया है उस सब पर आपका अधिकार है और आप जब चाहें उसे हटा सकते हैं."
उनका कहना था कि दूसरे सर्च इंजिन और विज्ञापन नेटवर्क कुकीज़ के ज़रिए जो जानकारियाँ इकट्ठी कर लेते हैं वह फ़ेसबुक की तुलना में बहुत कम पारदर्शी हैं.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 से अब तक कई शिकायतें की जा चुकी हैं कि फ़ेसबुक अपने उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा नहीं कर रहा है और उसकी निजता की रक्षा नहीं हो रही है. फ़ेसबुक का दावा है कि उसके 80 करोड़ उपभोक्ता हैं जिन्होंने पिछले एक महीने में कम से कम एक बार फ़ेसबुक का उपयोग किया है.
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