नासिक. महाराष्ट्र के नासिक जिले में बोगस वोटर कार्ड बनाने वाले एक गिरोह का भंड़ाफोड़ हुआ है। महानगरपालिका, जिला परिषद और पंचायत समिति के हाल ही में हुए चुनाव के बाद हुए इस खुलासे ने राजनीतिक हलको में सनसनी
फैला दी है।
कैसे हुआ गिरोहा का पर्दाफाश :- मुंबई स्थित राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यालय में एक युवक ने नासिक में फर्जी वोटर कार्ड बनाने वाले गिरोह के सक्रिय होने की लिखित शिकायत की थी। इस युवक का दावा था कि वह विजय कसबे नामक युवक बोगस वोटर कार्ड बनाने का मास्टरमाइंड है .
आरोप लगाने वाले युवक का कहना था कि वह आतिशा इन्फोटेक का कर्मचारी रह चुका है और उसने कसबे के साथ मिलकरे दो हजार से अधिक बोगस वोटर कार्ड बनाये थे। जिसका उपयोग हाल ही में हुए नासिक मनपा चुनाव में किया गया था, इस सनसनीखेज आरोप की जब राज्य निर्वाचन आयुक्त ने नासिक पुलिस के जरिए जांच करवाई, तो सच में कसबे के कार्यालय व घर से बड़े पैमाने पर वोटर कार्ड मिले।
क्या है प्रशासन का दावा:- नासिक के जिलाधिकारी व तहसिलदार का कहना है कि विजय कसबे के ठिकानों से जो वोटर कार्ड बरामद हुए हैं। वे बोगस नहीं है। प्रशासन की ओर से दलील दी जा रही है कि कसबे निर्वाचन आयुक्त का अधिकृत ठेकेदार है। उसे वोटरों का डेटा इंट्री करने और उसके बाद लेमेनेशन करने का ठेका मिला हुआ है।
इसके बावजूद शिकायतकर्ता के आरोपों के अनुसार अब इस बात की जांच की जा रही है कि क्या हकीकत में कसबे ने वोटर लिस्ट में ऐसे लोगों का नाम घुसाया, जिनका कोई भी प्रमाणपत्र नहीं था, बता दें कि शिवसेना के जिला प्रमुख सुनिल बागुल ने इस गिरोह में तहसिलदार कार्यालय के तीन अधिकारियों का नाम लेकर उनके शामिल होने का आरोप लगाया है।
जबकि अभियुक्त कसबे भी खुद को राज्य निर्वाचन आयुक्त का खुद को अधिकृत ठेकेदार बताकर अपना बचाव कर रहा है। मगर नासिक पुलिस मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरे प्रकरण की बारीकी से जांच कर रही है। ताकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले भारत देश की चुनाव प्रणाली पर कोई अंगुली न उठा सके.
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