Wednesday 25 April 2012

टिफिन बमकांड-19 साल बाद फैसला डॉ बम को 15 साल की जेल ?


जयपुर में टिफिन बम रखने के 19 साल पुराने मामले में डेजिग्नेटेड कोर्ट ने मंगलवार को दो आतंकियों को दोषी ठहराते हुए दंडित किया है, डॉ. बम के नाम से मशहूर आतंकी डॉ.जलीस अंसारी को 15 साल और बम लगाने वाले पाक प्रशिक्षित आतंकी अब्रे रहमत अंसारी उर्फ कारी को 20 साल की कठोर कैद की सजा दी है, दोनों पर जुर्माना भी लगाया गया है.

न्यायाधीश कमल कुमार बागड़ी ने 267 पेज के फैसले में दो अन्य आरोपी मुहीउद्दीन जमाल अलवी और डॉ.हबीब अहमद को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है, इस मामले में लगभग आठ माह में 34 पेशियों पर चली लंबी बहस के बाद 14 फरवरी 12 को फैसला सुरक्षित रखा गया था, मंगलवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया.
सीबीआई ने इस मामले में 20 दिसंबर 1998 को अजमेर की सेंट्रल जेल में बंद आतंकी डॉ. जलीस अंसारी उर्फ डॉ. बम समेत एम जमाल अलवी और अब्रे रहमत अंसारी को प्रोडक्शन वारंट के जरिए गिरफ्तार किया, चौथे आरोपी डॉ. हबीब अहमद को 1999 में रायबरेली से गिरफ्तार किया गया था, सीबीआई ने चारों के खिलाफ टाडा और विस्फोटक अधिनियम के तहत आरोप लगाते हुए चार्जशीट दायर की थी.
डॉ. जलीस अंसारी, अब्रे रहमत अंसारी और एम जमाल अलवी को बाबरी मस्जिद का विवादास्पद ढांचा गिराए जाने की पहली बरसी पर देश के विभिन्न हिस्सों में राजधानी एक्सप्रेस में हुए बम धमाकों के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जयपुर में हुए धमाके में भी इन तीनों का हाथ होने की जानकारी सीबीआई के पास थी, डॉ. जलीस अंसारी ने जयपुर में बम धमाकों की योजना बनाई थी और इसके लिए लखनऊ के मकान के बाहर बैठक भी हुई थी, अब्रे रहमत अंसारी को बम लेकर जयपुर भेजा गया था, जो उसने विभिन्न स्थानों पर प्लांट किए थे.
किसको कितनी सजा- अदालत ने अब्रे रहमत को आतंककारी गतिविधि निरोधक कानून यानी टाडा की धारा 3 (1) सपठित धारा 3(2)(2) के तहत बीस वर्ष कठोर कैद और पांच हजार जुर्माना, धारा 3(3) के तहत 15 वर्ष कठोर कैद और पांच हजार जुर्माना, धारा 6(1) में 15 वर्ष कठोर कैद और 5 हजार रुपए जुर्माना, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4 के तहत 7 वर्ष कैद और तीन हजार रुपए जुर्माना और विस्फोटक अधिनियम की धारा 9(बी) के तहत 2 वर्ष कठोर कैद और पांच सौ रुपए जुर्माने से दंडित किया है, वहीं डॉ. जलीस अंसारी को आतंककारी गतिविधि निरोधक कानून यानी टाडा की धारा 3 (1) व धारा 3(3) के तहत 15 वर्ष कठोर कैद और पांच हजार जुर्माना, धारा 6(2) में 7 वर्ष कठोर कैद और तीन हजार रुपए जुर्माना और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4 के तहत 7 वर्ष कठोर कैद से दंडित किया है.
सजा में नरमी की गुहार- डॉ. जलीस अंसारी व अब्रे रहमत को अदालत ने दोषी ठहराया तो उनकी ओर से सजा में नरमी की गुहार की गई, डॉ. जलीस अंसारी का कहना था कि वह 19 साल से जेल में है, सीबीआई ने आतंकवादी घटनाओं के कई मामलों में झूठा फंसाया है, मुंबई के बम विस्फोट कांड में उसे डिस्चार्ज किया गया है, उसके सात संतान है जिसमें चार लड़के व तीन लड़कियां हैं, सभी शादीशुदा है, इनके शादी ब्याह करने में भी वह शामिल नहीं हो पाया, उम्र व हालात को देखते हुए नरमी की गुहार की गई, वहीं अब्रे रहमत अंसारी की ओर से कहा गया कि उसके 17 वर्षीय एक पुत्र है और वह 15 साल से जेल में जबकि इस मामले में उसे 20 दिसंबर 1998 को गिरफ्तार किया गया था, उसके पिता लकवाग्रस्त हैं व मां की मृत्यु हो गई है इसलिए सजा में नरमी बरती जाए.
साधारण नहीं है गुनाह- न्यायाधीश कमल कुमार बागड़ी ने अभियुक्तों की सजा में नरमी की गुहार को ठुकराते हुए पारित निर्णय में कहा कि मुल्जिमों ने षड्यंत्र रचकर पिंक सिटी कहे जाने वाले शांतिपूर्ण जगह जयपुर में बम प्लांट किए व बम विस्फोट किए, राजस्थान शांतिपूर्ण राज्य है और यहां के लोगों को देखकर पूरे विश्व में हिंदू मुस्लिम एकता का उदाहरण दिया जाता है, मुल्जिमों ने उस राज्य में घृणित कृत्य किया है, अदालत ने कहा कि जलीस अंसारी और अब्रे रहमत पूर्व में भी ट्रेन ब्लास्ट मामले में सजा भुगत रहे हैं, अब्रे रहमत के लिए अदालत ने कहा कि यह पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादी बताया जाता है, मामले के परिस्थितियों व तथ्यों को देखते हुए नियमानुसार दंडित कर न्याय की पुष्टि की जा रही है, दोनों अभियुक्त पहले ही ट्रेन बम ब्लास्ट मामले में उम्र कैद भुगत रहे हैं इसलिए उन्हें इस सजा से फर्क पड़ने वाला नहीं है,
अभियोजन करेगा अपील की सिफारिश
अभियोजन पक्ष ने आरोप प्रमाणित करने के लिए 41 गवाहों के बयान कराए गए थे, इसके अलावा 109 दस्तावेज और 16 आर्टिकल प्रदर्शित किए गए, बचाव पक्ष ने भी 9 गवाह पेश किए थे और 89 दस्तावेज प्रदर्शित कराए थे, अभियोजन पक्ष के वकील के अनुसार कोर्ट से बरी हुए एम. जमाल अलवी और डॉ. हबीब मोहम्मद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी.
साक्ष्य के अभाव में बरी हुए दो आरोपी- अदालत ने टिफिन बम कांड के आरोपी लखनऊ के पुराना नखास निवासी मुहीउद्दीन जमाल अलवी और रायबरेली स्थित कहारों का अड्डा निवासी डॉ. हबीब अहमद को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया, जमाल अलवी पर मुख्य रूप से आरोपियों को मदद करने का आरोप था, अभियोजन ने जो कहानी सामने रखी थी उसमें जयपुर बम कांड की योजना उसके मकान में बनाया जाना बताया गया था, अलवी को सीबीआई ने कुछ आतंकी संगठनों से जुड़ा होना भी जाहिर किया था, लेकिन वह साबित नहीं हो पाया, डॉ.हबीब अहमद पर भी जलीस अंसारी और अब्रे रहमत की मदद का आरोप था, अदालत ने दोनों आरोपियों से जमानत मुचलके पेश करने का आदेश जारी करते हुए कहा है कि अगर उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील या रिवीजन होती है तो दोनों वहां पेश होंगे.
इन्हें हुई सजा
जलीस अंसारी- एमबीबीएस डिग्रीधारी, मुंबई के मोमिन पुरा में चाल नंबर एक का निवासी, ‘डॉ. बम’ के अलावा ‘फादर ऑफ टैरर’ के नाम से मशहूर, बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर राजधानी एक्सप्रेस में सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में दोषी करार, फरवरी 2004 में उम्र कैद की सजा हुई, इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रखी है.
अब्रे रहमत अंसारी- यूपी के संत कबीर नगर स्थित कसौना खुर्द का निवासी, कम उम्र में ही आतंकवादियों के संपर्क में आ गया, कश्मीर में हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया, पाकिस्तान के आतंकी कैंपों में ट्रेनिंग प्राप्त। जयपुर में प्लांट किए बम कश्मीर से लाया, राजधानी एक्सप्रेस में ब्लास्ट के लिए वहीं से बम जुटाए, इस मामले में सजायाफ्ता.
एक बम फटा था, दो जिंदा मिले थे
30 सितंबर 1993: चांदपोल में धमाका- रमेश मीणा नामक किशोर सुबह आठ बजे मां के साथ चांदपोल के पास संजय सर्किल आया था, शिव मंदिर के पास रमेश को घड़ी व चार सेल मिले, रमेश ने जेब में रख लिए, रमेश इन्हें चांदपोल में परिचित जगदीश की दुकान नं.11 पर ले गया, घड़ी व सेल के तार जोड़ते समय विस्फोट हो गया, रमेश के गले व सीने पर गहरी चोटें आईं, सदर कोतवाली थाना में मुकदमा दर्ज हुआ.
30 सितंबर 1993: संसारचंद्र रोड पर बम
शाम 6:50 मिनट पर संसारचंद्र रोड के नजदीक फुटपाथ पर कांस्टेबल ब्रनंद को एक टिफिननुमा प्लास्टिक के डिब्बे में संदिग्ध वस्तु मिली, बम डिस्पोजल स्क्वॉड पहुंचा, घड़ी से डेटोनेटर व सेल जोड़कर बनाया गया बम बरामद, स्क्वॉड ने डिफ्यूज किया, जालूपुरा थाने में मुकदमा दर्ज.
02 अक्टूबर 1993: हवामहल के पास बम
हवामहल के पास गोवर्धन जी के मंदिर के पिछले गेट पर बम की सूचना, बम डिस्पोजल स्क्वॉड को प्लास्टिक के टिफिन में बम मिला, चार सेल, डेटोनेटर लगा था, इग्निशन के लिए अलार्म घड़ी भी थी, बम डिफ्यूज किया, माणक चौक थाने में मुकदमा दर्ज.

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