Friday 13 April 2012

अखिलेश ने बनाया अनोखा रिकार्ड, हिल गई ब्यूरोक्रेसी

लखनऊ- केवल 24 दिन के भीतर 1 हजार से ज्यादा ब्यूरोक्रेट्स के ट्रांसफर होने से साबित हो गया है कि यूपी की सबसे पावरफुल ब्यूरोक्रेसी इन दिनों पूरी तरह से हिली हुई है, इतना ही नहीं राज्य की पुलिस से लेकर ब्यूरोक्रेट्स तक सभी फुल ओवरहॉलिंग की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, अधिकारी इस बात से हैरान भी हैं कि कैसे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इतने बड़े पैमाने पर उलटफेर में जुटे हैं.
शुरूआत धीमी, फिर आई बाढ़
सत्ता में आने के पहले दिन यानी 15 मार्च को अखिलेश यादव ने छोटे बदलाव किए और अपने सेक्रेटेरियट में नए चेहरों को जगह दी, उसके बाद तो जैसे बाढ़ ही आ गई और आईएएस और आईपीएस अफसरों के बड़े पैमाने पर तबादले शुरू हो गए, अब तक हजार से ज्यादा पुलिस और एडमिनिसट्रेटिव सर्विसेज से जुड़े अधिकारियों के ट्रांसफर हुए हैं जिनके नामों की लिस्ट 'निष्ठा' के आधार पर तैयार हुई थी.
इन तबादलों में चीफ सेक्रेटरी जावेद उस्मानी का नाम भी शामिल है, इसके अलावा यूपी को नए पुलिस बॉस भी मिले, जिसमें डीजी, पुलिस ए. सी. शर्मा का नाम शामिल है, इन्होंने अतुल कुमार की जगह ली, इसके अलावा राज्य के अधिकतर इंसपेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, डिप्टी इंसपेक्टर जनरल, सीनियर सुपरिंटेंडेंट, अडिशनल सुपरिंटेंडेंट और डिप्टी सुपरिंटेंडेंट के ट्रांसफर हुए, ज्यादातर लोगों को इस सरकारी उलटफेर से हैरत हुई.
24 घंटे में दोबारा हुआ ट्रांसफर
100 से ज्यादा आईएएस, आईपीएस, पीपीएस और पीसीएस अफसरों की पोस्टिंग हुई और 24 घंटे से भी कम समय में उनकी पोस्टिंग कैंसल हो गई, अधिकतर का मानना है कि इस खेल में पर्दे के पीछे चले जानेवाले दांव पेंच का हाथ है,  उन्होंने माना कि बार बार तबादले होने से उनके लिए अजीब सिचुएशन पैदा हो जाती है, बड़े उलटफेर में सीनियर आईएएस ऑफिसर संजय अग्रवाल को 28 मार्च को मुख्यमंत्री का प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाया जाना था, उन्होंने रात को ही मुख्यमंत्री के सेक्रेटेरियट में पांचवीं मंजिल पर कुर्सी संभाली थी लेकिन अगले ही दिन उन्हें वहां से हटाकर प्रिंसिपल सेक्रेटरी, हेल्थ का काम सौंप दिया गया.
ऐसा ही माजिद अली के साथ हुआ जिन्हें प्रिंसिपल सेक्रेटरी, पावर की कुर्सी दी गई थी, लेकिन कुछ घंटों में ही वहां से हटाकर उनको - ऑपरेटिव्स का काम सौंप दिया गया, राजन शुक्ला को इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट कमिश्नर बनाया गया और केवल दो दिन बाद ही वहां से हटाकर सिंचाई का चार्ज दे दिया गया, बुलंदशहर की डीएम कामिनी रतन चौहान को पहले प्रतापगढ़ का जिला प्रमुख बनाया गया था और फिर अडिशनल कमिश्नर ट्रेड टैक्स बना दिया गया, इसी तरह संतोष यादव को पहले मेरठ का डिविजन कमिश्नर बनाना गया और फिर वहां से मात्र 5 दिन बाद ही हटा दिया गया और गाजियाबाद डवलपमेंट अथॉरिटी का चेयरमैन बना दिया.

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