आज मैं सिर्फ और सिर्फ शिक्षा पर लिखूंगा और कल एक नया मुद्दे पर ? मेरे पास १० मुद्दे हैं जो देश को खोखला और कमज़ोर कर रहे हैं ? इनको ही नहीं देश से जाति और धर्म के भेद भाव को भी एक कानून और सही योजना से खत्म किया जा सकता है लेकिन अफ़सोस सरकार इनके लिए गंभीर तो है लेकिन लाखों करोड़ खर्च करने के बाद भी कोइ कारगर योजना नहीं बना सकी है यह मुद्दे हैं - रोटी, कपडा, और मकान = बिजली, पानी, सड़क, प्रदूषण, शिक्षा,
बे-रोजगारी और भ्रष्टाचार ?
५ साल मैं २ लाख करोड़ शिक्षा पर खर्च करेंगी केंद्र के साथ मिलकर राज्य सरकारें सुन कर दिल को ख़ुशी के साथ ग़म भी होता है , इसकी वजा है सरकार जब किसी योजना का एलान करती है तो इसको कारगर करने के बजाये इसको कैसे लुटा जाया इस योजना पर पहले काम शुरू हो जाता है ? ५ साल मैं २ लाख करोड़ शिक्षा पर खर्च करेंगी केंद्र के साथ मिलकर राज्य सरकारें करो लूट की तय्यारी ?
आज हमारे देश मैं जो कुछ हो रहा है वो कितना सही है कितना ग़लत यह सबके सामने है, सरकारी योजनाएँ आज देश मैं कितनी कारगर हैं यह सबके सामने हैं, ८० के दशक तक देश मैं तीन बड़ी परेशानियाँ थीं रोटी, कपडा और मकान इन्ही तीन परेशानियों से देश मैं हलचल सी रही थी और सरकार परेशां आज देश मैं यह तीनो जस की तस हैं इसके बावजूद सात नई परेशानियाँ देश मैं पैदा हुई बिजली,पानी,सड़क,प्रदूषण, शिक्षा, बे-रोजगारी और इन सब पर भारी भ्रष्टाचार ?
इन सब समसियाओं का इलाज है मगर सरकार क्यूँ अनजान है यह समझ मैं नहीं आता है , सबसे पहले मैं बात करना चाहूँगा शिक्षा पर क्यूंकि मेरे सामने आज जो लेख आया और दिल को चंद पल की ख़ुशी के साथ यह सोचने को मजबूर कर गया के क्या देश की सीबीआई को अगले पञ्च साल बाद एक और घोटाले की जाँच के लिए तैयार रहना चाहिए ?
वजा साफ़ है सरकार अगले पांच साल मैं प्रदेश की सरकारों के साथ मिलकर शिक्षा पर २ लाख करोड़ खर्च करने जा रही है, मुझको नहीं लगता के सरकार की यह योजना भी कोइ अच्छा असर छोड़ेगी, इसकी वजा है अब तक देश मैं शिक्षा के नाम पर करोड़ों करोड़ रुपया पानी की तरहां बहाया गया है और सरकार ने जितना भी इसपर खर्च किया है उतना ही नुकसान सरकारी शिक्षा को होने के साथ शिक्षा के व्यापारियों को फ़ायदा हुआ है !
आज सरकारी शिक्षा जहाँ कागजों मैं चमक रही है वहीँ शिक्षा के व्यापारियों के घरों मैं इसका असर साफ़ तोर पर देखा जा सकता है, आज देश मैं सरकारी स्कूल जहाँ खली हैं वहीँ प्राइवेट स्कूलों के बाहर लम्बी-लम्बी लाइन लगी हुई हैं, आज कोइ भी सरकारी स्कूल मैं अपने बच्चे को पढ़ना ही नहीं चाहता है वजा हैं हज़रोरों हज़ार करोड़ खर्च करने के बाद भी स्कूलों की बदहाली ?
आज शिक्षा के मैदान मैं इस बदहाली का बड़ा कारण है सरकार की लापरवाही और इस देश का दुर्भाग्य, सरकार की बदहाली इस लिए के आज तक सरकार ने जो भी योजना शिक्षा के लिए बनाये है वो चलने से पहले ही दम तोड़ देती है, और जो योजनायें चल भी रही हैं उनसे शिक्षा को कोइ फ़ायदा मिल रहा है मुझको नहीं लगता है, जिस घर मैं परिवार को पलने के लाले पड़े हूँ वहां उस परिवार के बच्चे को आप स्कूल मैं खाने के लिए बुलाते हैं वो भी उस खाने के लिए जिसका यह भी नहीं मालूम के यह बीमारी लायेगा या तंदरुस्ती ?
दुसरे वो माँ-बाप बच्चे को क्यूँ स्कूल भेजने लगे जिनके खुद के खाने के लाले पड़े हैं और वोह रोज़गार के लिए खुद परेशान हैं अधिकतर जिलों मैं जिला प्रशासन कागजों मैं हाजरी की पूर्ति करता है ? जबकि प्राइवेट स्कूलों मैं इसका उलट है ! यहाँ बच्चे गैर हाजिर नहीं रह सकते उनपर फीस के साथ जुर्माना भी लगाया जाता है! और वक़्त पर सभी शिक्षक भी हाज़िर रहते हैं! यह सोचने की बात है, और सबसे बड़ी बात यह है के जब बच्चे स्कूल मैं पढने के लिए जाते हैं तब अधिकतर स्कूलों मैं शिक्षक लापता और जब शिक्षक हाज़िर तो बच्चे लापता ?
सबसे बड़ी कमी जो मैं कहना चाहता हूँ वो यह है के सरकार जो पैसा शिक्षा के नाम पर बच्चों के दे रही है उससे शिक्षा का कितना फ़ायदा हो रहा है, क्या कभी गंभीरता से सोचा है सरकार की योजना बनाने वालों ने ? जबकि मैं दावे से कह सकता हूँ के जो आज तक सरकार ने शिक्षा पर खर्च किया है काश अगर उसका आधा भी सरकार शिक्षा की सही योजना पर खर्च करती तो आज देश का देश मैं ही नहीं दुनियां मैं नाम होता और सरकार एक तीर से दो नहीं बल्कि कई शिकार करती ?
जब मुझ जैसे इन्सान के दिमाग मैं एक ऐसी योजना आ सकती है जिससे देश के सपने को साकार कर सरकार एक तीर से दो नहीं कई शिकार कर सकती है वो भी कमान को अपने ही हाथ मैं लेकर तो फिर, आज तक शिक्षा के योजना बनाने वाले ऐसी योजना के बारे मैं क्यूँ नहीं सोच सके इसका मलाल मुझको हमेशा रहता है, और तब मैं यही सोचता हूँ के कोइ भी इसपर सही और कारगर कदम उठाना ही नहीं चाहते जिससे देश और देश वासियों को फ़ायदा हो देश मैं योजनायें बनती ही घोटालों के लिए हैं और यही वजा है आज देश महंगाई और भुखमरी की और बढ़ता ही जा रहा है ?
आज भी अगर सरकार की आंखें नहीं खुली और सरकार ने सही क़दम नहीं उठाये तो मुझको डर है के सरकार की इन योजनाओं से देश का भला नहीं देश का नुकसान होने के साथ देश मैं हालत बाद से बदतर होंगे और देश मैं ग़रीब का जीना ही नहीं बल्कि माध्यम परिवारों का जीना भी मुश्किल हो जायेगा और उस वक़्त सरकार के हाथ मैं कुछ नहीं होगा आज तो वक़्त और पैसा सरकार के हाथ मैं है और जनता का भरोसा भी सरकार के साथ है एक तरहां से देश मैं मंगाई की वजह सरकार की यह योजनायें भी हैं जो लूट खोरी की शिकार हैं ?
अब वक़्त हैं सरकार को सही योजना और वोह योजना जनता के लिए लानी होगी जो सिर्फ सरकार के सपने को साकार कर देश का नाम दुनियां मैं रोशन करे और और आम एक जाति या धर्म विशेष ही नहीं देश के आम नागरिक को इसका फ़ायदा होने के साथ देश से जाति धर्म का भेद भाव भी सरकार की योजना से ख़तम हो जाये ? यह सोच मेरी शायद खुवाब और सपना लगे मगर ऐसा नहीं है यह हकीक़त है और ऐसा आज भी मुमकिन है देश की बढती जन-संख्या इस मैं कोइ बाधा नहीं है बाधा है तो हमारी काम करने का तरीका और नीतियाँ ?
आपका नाचीज़ एस. ऍम फरीद भारती
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