Thursday 12 April 2012

शादियों का पंजीकरण करना जरूरी होगा ?

शादियों का रजिस्ट्रेशन जरूरी, नहीं करवाने पर होगी जेलभारत में अब सभी धर्मों के तहत होने वाली शादियों का पंजीकरण करना जरूरी होगा. इसके अलावा अब अंतर-धार्मिक शादियाँ करना भी आसान हो जाएगा, केंद्रीय कैबिनेट ने इससे जुड़े कानून मंत्रालय के प्रस्‍ताव को गुरूवार को मंजूरी दे दी, केंद्रीय मानव संसाधन और दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने गुरूवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार चालू बजट सत्र में ही इस सबंध में एक बिल संसद में पेश करेगी.

इस कानून के बन जाने के बाद बिना पंजीकरण वाली शादी को गैर कानूनी माना जाएगा और इसके लिए सजा भी हो सकती है, सिब्बल के अनुसार सभी धर्म के तहत होने वाली शादियों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने के लिए जन्म एंव मृत्यु अधिनियम, 1969 में संशोधन किया जाएगा और संशोधन विधेयक इसी सत्र में पेश किया जाएगा,  सिब्बल के अनुसार कैबिनेट ने सिखों की शादी के पंजीकरण के लिए एक नए कानून बनाने पर भी अपनी मुहर लगा दी है, सिखों की शादी का पंजीकरण आनंद मैरेज एक्‍ट, 1909 के तहत होगा.

अल्पसंख्यकों को राहत
अब तक सिखों, बौद्धों और जैनों की शादी हिंदू मैरेज एक्‍ट के तहत ही पंजीकृत होती थी जबकि मुस्लिम, पारसी, इसाई और यहूदी धर्म के मानने वालों की शादियों के पंजीकरण के लिए अलग-अलग कानून हैं, अल्पसंख्यक समुदाय के लोग एक लंबे समय से मांग कर रहे थे कि उनकी शादियों के पंजीकरण के लिए अलग कानून बनाया जाए.
प्रस्तावित विधेयक से उम्मीद है कि शादी और गुजारे भत्ते से जुड़े अदालती मामलों में महिलाओं को कुछ राहत मिलेगी,  भारत की सर्वोच्च अदालत ने फरवरी 2006 में केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिए थे कि भारत के सभी नागरिकों की शादियों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाया जाए.

18वी विधि आयोग ने भी अपनी 205वीं रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए ताकि सभी धर्मों के तहत होने वाली शादियों को एक तय समयसीमा के तहत पंजीकृत किया जा सके,  कपिल सिब्बल ने बताया कि इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि प्रस्तावित केंद्रीय कानून और पहले से मौजूद राज्यों के कानून के कारण शादियों के पंजीकरण में कोई दिक्कत पेश ना आए.

नई दिल्ली, देश में शादियों का पंजीकरण अनिवार्य करने के उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण कानून में संशोधन कर इसमें विवाह के पंजीकरण का प्रावधन करने वाले एक विधेयक को मंजूरी दे दी है,  कैबिनेट ने कानून मंत्रालय के उस प्रस्ताव को भी मंजूर कर लिया जिसके मुताबिक विवाह का पंजीकरण दोनों पक्षों के धर्म का खुलासा किए बिना भी किया जा सकेगा। प्रस्ताव के कानून बनने के बाद शादी के बाद पंजीकरण न करवाने वालों को जेल की हवा खानी पड़ सकती है। कैबिनेट की मीटिंग में अहम फैसला लेते हुए सिख समुदाय के लिए अलग कानून बनाया गया है। अब सिख समुदाय के लोगों की शादियां आनंद कारज अधिनियम 1909 के तहत हुआ करेंगी। अब तक सिखों की शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत ही रजिस्टर हुआ करती थीं।

मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में हुए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि विधेयक जल्द से जल्द संसद में पेश किया जाएगा, सिब्बल ने बताया कि 1969 के उक्त कानून में इस संशोधन के बाद जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण के लिए बना प्रशासनिक तंत्र विवाह का पंजीकरण एवं इसके संबंध में आंकड़े एवं रिकॉर्ड भी रख सकेगा। हालांकि उन्होंने इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या सभी धर्मों के तहत होने वाले विवाह इस संशोधन के दायरे में आएंगे। उन्होंने कहा कि संसद में पेश किए जाने के बाद जन्म एवं मृत्यु कानून संशोधन विधेयक संसद की स्थायी समिति के विचारार्थ भेजा जाएगा और वह इन तमाम पहलुओं पर गौर करेगी।


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