Thursday 12 April 2012

दोनों बीवियों को बराबर का हक दिया जाए ? दारुल उलूम


बीवी के रहते दूसरा निकाह न करें: दारुल उलूम दारुल उलूम की यह सलाह उन तमाम शौहरों के लिए जोर का झटका है, जो बीवी होते हुए भी शरई कानून का हवाला देकर दूसरे निकाह की तमन्ना रखते हैं। शादीशुदा शौहर के सवाल पर दी गई इस सलाह में मुफ्तियों ने फरमाया है कि शरीयत में बीवी होते हुए दूसरे निकाह को जायज बताया गया है, लेकिन हिंदुस्तानी रस्मोरिवाज इसकी इजाजत नहीं देता।
इसके अलावा शौहर दो बीवियों के साथ न्याय भी नहीं कर पाता है। इसलिए बेहतर यही है कि एक ही निकाह किया जाए। दारुल उलूम के फतवा विभाग दारुल इफ्ता से यह सलाह एक भारतीय मुसलिम ने ली है। उसने सवाल (संख्या 38097) में लिखा था कि वह नौ साल से शादीशुदा है। उसके दो बच्चे हैं। कालेज के दिनों में वह एक मुसलिम लड़की से मोहब्बत करता था। सिर के आगे के दो-तीन इंच बाल उड़ जाने के कारण लड़की से उसका निकाह नहीं हो पाया। अब वे दोनों फिर से संपर्क में हैं और निकाह करना चाहते हैं। सवाल करने वाले के मुताबिक उसने उसे अपनी शादी और दोनों बच्चों के बारे में भी बता दिया है। यह जानकर भी वह उससे निकाह को राजी है। क्या इसकी इजाजत है? इस पर मुफ्तियों ने सलाह दी कि हालांकि शरीयत में एक ही समय में दो बीवियां रखना जायज है, लेकिन हिंदुस्तानी रस्मोरिवाज इसकी इजाजत नहीं देते। यहां दो बीवियां रखना सैकड़ों मुसीबतों को दावत देने जैसा है। इसके अलावा शौहर दोनों बीवियों के साथ समानता और न्याय भी नहीं कर पाता है। इसलिए एक ही बीवी रखनी चाहिए। सवाल करने वाले को सलाह दी गई है कि वह दूसरे निकाह का ख्याल अपने मन से निकाल दे। सलाहियत रखने वाला ही कर सकता है दूसरा निकाह एक निकाह के बाद दूसरा निकाह करने संबंधी मामले में मदरसा जामिया इमाम मोहम्मद अनवर शाह के वरिष्ठ मुफ्ती अरशद फारुखी का कहना है कि लड़ाई-झगड़े की बुनियाद पर दूसरा निकाह करना सही नहीं है। मुफ्ती का कहना है कि शरीयत में चार बीवी रखने की इजाजत है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति दूसरा निकाह करना चाहता है तो उसकी इतनी सलाहियत होनी चाहिए की वह दोनों बीवियों को बराबर का हक दे सके। उन्होंने कहा कि यदि पहली बीवी अपाहिज है तो मजबूरी में व्यक्ति दूसरा निकाह कर सकता है, लेकिन याद रहे कि यदि दूसरा निकाह किया जा रहा है तो दोनों बीवियों को बराबर का हक दिया जाए।

Do not marry a second wife to live: Darul Uloom Deoband seminary, it is recommended that all Suhron big shock to the wife while the Shariat law, citing the desire to keep the marriage. Muftis in the advice on the question of the husband married the wife crowed that the Shari'a is said to justify the second marriage, but it does not allow Indian Rsmoriwaj. The husband is able to do justice to two wives. So it is better to be married the same. Fatwa Department of Darul Uloom Darul Ifta have the advice of an Indian Muslim. He questions (number 38 097) wrote that he married nine years. Her two children. In college he was a Muslim girl would love. Head of the next two - three inches of hair off the girl could not marry her. Now they both want to marry again and get in touch. According to question him about his marriage and two children told. Knowing that he is willing to marry him. What is this allowed? The muftis also advised that the Sharia is justified to have two wives at the same time, the Indian Rsmoriwaj not allow it.Hundreds take two wives like to invite trouble. The husband with two wives can not have equality and justice. Why should a wife. The question has been advised that the second marriage to take care of your mind.

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