Friday, 13 April 2012

मायावती की सत्ता जाते ही आ निकला करोड़ों का घोटाला ?


अखिलेश राज में यूपी पुलिस खेल रही है कुछ अलग ही 'खेल'!नोएडा- ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के उद्यान विभाग में करोड़ों रुपए के घपले का मामला सामने आया है, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा लगाये पौधों में धांधली पाये जाने पर चेयरमैन व सीईओ रमा रमण ने बुधवार को तीन मैनेजरों को निलंबित कर दिया तथा एक महाप्रबंधक के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिये हैं, जांच एसीईओ हर्ष तन्खा करेंगे.

 मायावती सरकार में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के उद्यान विभाग ने शहर को हरा भरा रखने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किये, आरोप है कि इस दौरान बड़े पैमाने पर धांधली हुई, फाइलों में लाखों पौधे लगाये गये जबकि हकीकत में उससे आधे पौधे भी नहीं लगे.
  बसपा सरकार में ग्रेटर नोएडा के उद्यान विभाग के महाप्रबंधक ललित विक्रम वासवानी थे, वरिष्ठ प्रबंधक रमेश चंद्र, मैनेजर उमेश चंद्रा व सहायक प्रबंधक मुकेश ने पिछले पांच साल तक उद्याग विभाग देखा, इस दौरान उद्यान विभाग ने करीब 225 करोड़ रुपए खर्च किये.
  प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही घोटालों की परतें खुलने लगीं, पहले तो सभी चारों अधिकारियों को उद्यान विभाग से हटाया गया, उसके बाद सीईओ ने मामले की जांच महाप्रबंधक (प्रोजेक्ट) एसएसए रिजवी को सौंपी.
  रिजवी ने बुधवार की शाम अपनी रिपोर्ट सीईओ को सौंप दी, जांच में पाया गया कि उद्याग विभाग ने सरकारी पैसे को पानी की तरह बहाया है, जहां जरूरत है, वहां पौधे नहीं लगाये गये हैं, फाइलों में लाखों पौधे लगाये गये हैं जबकि हकीकत में उससे आधे पौधे भी नहीं मिले, पार्कों के रखरखाव पर भी करोड़ों खर्च किये गये लेकिन मौके पर पार्कों में न तो झूले मिले और न ही बाउंड्रीवाल मिली.
  मिट्टी भराव में भी जमकर घोटाला किया गया, प्रथमदृष्टया दोषी पाये जाने पर सीईओ ने रमेश चंद्र, उमेश चंद्रा व मुकेश को निलंबित कर दिया है, साथ ही उद्यान विभाग के तत्कालीन महाप्रबंधक ललित विक्रम वासवानी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गयी है.
 उधर तीन कर्मचारियों के एक साथ निलंबित होने की खबर से प्राधिकरण में हड़कंप मच गया, पूर्व सरकार में अच्छे पदों पर रहे अन्य कर्मचारियों को पसीना छूट रहा है, सूत्र बताते हैं कि अभी अन्य विभागों की भी जांच शुरू होने वाली है.
  आरोप है कि इन कर्मचारियों ने अपने चहेतों तथा ठेकेदारों को जमकर ठेके दिये, पुराने ठेकेदारों को दरकिनार कर दिया गया था, यही नहीं दर्जनों ठेकेदारों का तो सालों से भुगतान भी नहीं किया गया, इन्हीं ठेकेदारों ने मिलकर मुख्यमंत्री से शिकायत भी की थी.

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