बेंगलुरू. अग्नि-5 के सफल परीक्षण से रक्षा क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धाक जमाने के बाद भारत अब अंतरिक्ष के क्षेत्र में मील का पत्थर स्थापित करने में जुट गया है, इसके तहत मंगल पर पहुंचने की तैयारियां तेज कर दी गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अगले साल प्रस्तावित मंगल अभियान को पूरा करने के लिए यान में जाने वाले वैज्ञानिक उपकरणों की सूची तैयार कर ली है.
मार्स ऑर्बिटर मिशन- नवंबर 2013 तक इसरो ने महत्वाकांक्षी 'इंडियन मार्स ऑर्बिटर मिशन' को पूरा करने की योजना बनाई है, अभियान की रिपोर्ट स्वीकृति के लिए सरकार को भेज दी गई है, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान 'पीएसएलवी-एक्सएल' के जरिए इस यान को मंगल की कक्षा में भेजा जाएगा, यह मंगल परिक्रमा यान ग्रह के चारों ओर 500 गुणा 80,000 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
इसरो की 2011-12 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, मंगल अभियान का वैज्ञानिक लक्ष्य ग्रह पर पर्यावरण, भूविज्ञान और जीवन के विकास तथा निरंतरता का अध्ययन करना होगा, उपग्रह की आधार रेखा सौर पैनल और परावर्तक विन्यास पर भी निर्णय ले लिया गया है, संचार प्रणाली से संबंधित कार्य प्रगति पर हैं.
आदित्य-1-इसरो ने 'आदित्य-1' परियोजना के लिए सोलर कोरोनाग्राफ उपकरण ले जाने और इसके विकास के लिए भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के साथ समझौता किया है, आदित्य-1 की मदद से सूर्य के सबसे बाहरी हिस्से 'कोरोना' का अध्ययन किया जाएगा.
सेंस अभियान- इसके अलावा इसरो ने पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष में विद्युत यांत्रिकी वातावरण का अध्ययन करने के मकसद दो अन्य छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण की भी योजना बनाई है, इस अभियान का नाम 'सेंस' रखा गया है, इन दोनों उपग्रहों को पृथ्वी के चारों ओर 500 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित करने की योजना है, इससे मौसम संबंधी अध्ययन में मदद मिलेगी....
No comments:
Post a Comment
अगर आपको किसी खबर या कमेन्ट से शिकायत है तो हमको ज़रूर लिखें !