द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप बेबुनियाद हैं, अगर मुझपर लगे आरोप सही साबित होते हैं तो मैं सार्वजनिक जीवन से सन्यास ले लूंगा.
रुपये के गिर रहे स्तर पर पीएम ने कहा, रुपये में गिरावट चिंता का विषय है लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह 1991 के स्तर के करीब है, प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया पर जवाब देते हुए टीम अन्ना सदस्य प्रशांत भूषण ने कहा, गैरजिम्मेदाराना कहने से पहले पीएम को कम से कम एक बार आरोपों को पढ़ लेना चाहिए था और हर एक बिंदू पर जवाब देना चाहिए था, हमने जो आरोप लगाए हैं उनका आधार बहुत ठोस हैं, सभी आरोप सीएजी की रिपोर्ट के बाद लगाए गए हैं, पब्लिक लाइफ छोड़ने की बात बाद की है, पहले वो एसआईटी गठित करके जांच करवा दें, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.
अन्ना हजारे के एक बयान से साफ होता है कि उनकी टीम उन्हें विश्वास में लिए बिना काम कर रही है, टीम अन्ना ने मनमोहन सरकार के 15 मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में 25 जुलाई से अनशन का ऐलान तक कर दिया है, लेकिन हजारे को इस बारे में पूरी जानकारी तक नहीं है.
अन्ना ने यहां सोमवार को कहा, दिल्ली से मुझे परसों मैसेज आया था कि दिल्ली में कुछ मंत्रियों ने करप्शन किया है, क्या किया है मुझे पता नहीं, पहले मैं समझ लूंगा फिर 25 जुलाई के आंदोलन में क्या करना है, तय करूंगा, 600-700 पन्नों का दस्तावेज उन्होंने भेजा है, यह अंग्रेजी में है, मैं दौरे पर हूं, इसलिए मुझे पढ़ने का मौका नहीं मिला है, इसमें क्या है, पता नहीं.
अब तक ऐसी खबर आती रही थी कि टीम अन्ना के सदस्यों में आपस में मतभेद है, लेकिन अन्ना के इस बयान से ऐसा लगता है कि उनके साथी उन्हें ही भरोसे में नहीं ले रहे, अन्ना कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री के खिलाफ उनके पास कोई सुबूत नहीं है, पर उनके सहयोगी प्रधानमंत्री पर भी अंगुली उठा चुके हैं.
जनलोकपाल पर आंदोलन कर रही टीम अन्ना एक बार फिर विवादों का शिकार हो गई है, सोशल साइटों के मदद से टीम इस आंदोलन को मशहूर करने में योगदान देने वाले शिवेंद्र सिंह चौहान ने प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है, चौहान ने उन्हें एक लंबा पत्र लिखकर उनके तौरतरीके पर तीखे सवाल पूछे हैं.
अंगरेजी में लिखे चार पन्नों के इस खत में चौहान ने बाकयदा केजरीवाल के सवाल लिखे और नीचे उनका जवाब दिया है, चौहान ने लिखा मैंने कभी भी आंदोलन के हितों के खिलाफ काम नहीं किया है, आप किस अधिकार से मुझे अलग कर देंगे ? मुझे पूरा यकीन है कि असहमति रखना और स्वतंत्र रूप से भी आंदोलन के हितों के लिए काम करना, आंदोलन को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं हो सकता.
केजरीवाल का आरोप था कि चौहान लोकतांत्रिक तरीके से काम नहीं करते और उन्होंने सोशल मीडिया केंपेन के बारे में बिना विचार विमर्श के फैसले लिए हैं, केजरीवाल ने चेतावनी दी कि अगर वह कोर समिति के फैसलों को नहीं मानते तो उन्हें आंदोलन से अलग किया जा सकता है.
शिवेंद्र ने अपने जवाब में लिखा, यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों का आंदोलन है और हम में से ज्यादातर लोग इसमें अपनी मर्जी से शामिल हुए, न कि किसी औपचारिक प्रक्रिया के तहत, इसलिए किसी समूह की ओर से निकाले जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता, यह हम सभी का आंदोलन है और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में किसी का एकाधिकार नहीं हो सकता.
उन्होंने यह भी लिखा कि कोर समिति के सदस्य लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चुने गए, इस साल जनवरी में केजरीवाल ने मुझे समिति में शामिल करने की पेशकश की थी, लेकिन मैंने कहा था कि मुझे इसकी जरूरत नहीं है.
चौहान ने उन आरोपों का भी खंडन किया जिनमें कहा गया था कि हजारे से संबंधित जानकारी फेसबुक पेज पर नहीं डाली गई, उन्होंने बताया कि हजारे के महाराष्ट्र दौरे की जानकारी सबसे पहले फेसबुक और ट्विटर पर ही डाली गई.
टीम अन्ना में बड़े मतभेद की खबर है, इस बार किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल की खटपट सामने आई है, खबर है कि बेदी ने अन्ना को ईमेल कर बताया कि केजरीवाल के एनजीओ पब्लिक काउज रिसर्च फाउंडेशन (पीसीआरएफ) में गड़बड़ चल रही है, इसके बाद अन्ना ने फोन कर केजरीवाल को चेताया कि यह गलत है और आगे ऐसा नहीं होना चाहिए.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अन्ना के हवाले से ही यह खबर दी है, खबर के मुताबिक इस मसले पर केजरीवाल को कोई खत लिखने से अन्ना ने इनकार किया है, लेकिन इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ताओं के बीच इन दिनों एक चिट्ठी बंट रही है, यह चिट्ठी केजरीवाल को संबोधित है और इस पर जो दस्तखत हैं, वे अन्ना के हस्ताक्षर से मिलते-जुलते हैं.
यह चिट्ठी 3 मार्च को लिखी गई है, इसमें लिखा है, मुझे किरण बेदी जी से एक ईमेल मिला है, इसमें उन्होंने लिखा है कि पीसीआरएफ के लिए एक बजट तय किया जाना जरूरी है, बजट में इस बात का ब्यौरा हो कि विभिन्न मदों पर किस तरह और कितनी रकम खर्च की जानी है, एक ऑडिट रिपोर्ट जारी कर देना भर काफी नहीं है, 5 रुपये का भी खर्चा हो तो इसकी जानकारी आईएसी के ट्रस्टियों और कोर कमेटी के सदस्यों को दी जानी चाहिए.
अन्ना हजारे के एक बयान से साफ होता है कि उनकी टीम उन्हें विश्वास में लिए बिना काम कर रही है, टीम अन्ना ने मनमोहन सरकार के 15 मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में 25 जुलाई से अनशन का ऐलान तक कर दिया है, लेकिन हजारे को इस बारे में पूरी जानकारी तक नहीं है.
अन्ना ने यहां सोमवार को कहा, दिल्ली से मुझे परसों मैसेज आया था कि दिल्ली में कुछ मंत्रियों ने करप्शन किया है, क्या किया है मुझे पता नहीं, पहले मैं समझ लूंगा फिर 25 जुलाई के आंदोलन में क्या करना है, तय करूंगा, 600-700 पन्नों का दस्तावेज उन्होंने भेजा है, यह अंग्रेजी में है, मैं दौरे पर हूं, इसलिए मुझे पढ़ने का मौका नहीं मिला है, इसमें क्या है, पता नहीं.
अब तक ऐसी खबर आती रही थी कि टीम अन्ना के सदस्यों में आपस में मतभेद है, लेकिन अन्ना के इस बयान से ऐसा लगता है कि उनके साथी उन्हें ही भरोसे में नहीं ले रहे, अन्ना कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री के खिलाफ उनके पास कोई सुबूत नहीं है, पर उनके सहयोगी प्रधानमंत्री पर भी अंगुली उठा चुके हैं.
जनलोकपाल पर आंदोलन कर रही टीम अन्ना एक बार फिर विवादों का शिकार हो गई है, सोशल साइटों के मदद से टीम इस आंदोलन को मशहूर करने में योगदान देने वाले शिवेंद्र सिंह चौहान ने प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है, चौहान ने उन्हें एक लंबा पत्र लिखकर उनके तौरतरीके पर तीखे सवाल पूछे हैं.
अंगरेजी में लिखे चार पन्नों के इस खत में चौहान ने बाकयदा केजरीवाल के सवाल लिखे और नीचे उनका जवाब दिया है, चौहान ने लिखा मैंने कभी भी आंदोलन के हितों के खिलाफ काम नहीं किया है, आप किस अधिकार से मुझे अलग कर देंगे ? मुझे पूरा यकीन है कि असहमति रखना और स्वतंत्र रूप से भी आंदोलन के हितों के लिए काम करना, आंदोलन को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं हो सकता.
केजरीवाल का आरोप था कि चौहान लोकतांत्रिक तरीके से काम नहीं करते और उन्होंने सोशल मीडिया केंपेन के बारे में बिना विचार विमर्श के फैसले लिए हैं, केजरीवाल ने चेतावनी दी कि अगर वह कोर समिति के फैसलों को नहीं मानते तो उन्हें आंदोलन से अलग किया जा सकता है.
शिवेंद्र ने अपने जवाब में लिखा, यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों का आंदोलन है और हम में से ज्यादातर लोग इसमें अपनी मर्जी से शामिल हुए, न कि किसी औपचारिक प्रक्रिया के तहत, इसलिए किसी समूह की ओर से निकाले जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता, यह हम सभी का आंदोलन है और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में किसी का एकाधिकार नहीं हो सकता.
उन्होंने यह भी लिखा कि कोर समिति के सदस्य लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चुने गए, इस साल जनवरी में केजरीवाल ने मुझे समिति में शामिल करने की पेशकश की थी, लेकिन मैंने कहा था कि मुझे इसकी जरूरत नहीं है.
चौहान ने उन आरोपों का भी खंडन किया जिनमें कहा गया था कि हजारे से संबंधित जानकारी फेसबुक पेज पर नहीं डाली गई, उन्होंने बताया कि हजारे के महाराष्ट्र दौरे की जानकारी सबसे पहले फेसबुक और ट्विटर पर ही डाली गई.
टीम अन्ना में बड़े मतभेद की खबर है, इस बार किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल की खटपट सामने आई है, खबर है कि बेदी ने अन्ना को ईमेल कर बताया कि केजरीवाल के एनजीओ पब्लिक काउज रिसर्च फाउंडेशन (पीसीआरएफ) में गड़बड़ चल रही है, इसके बाद अन्ना ने फोन कर केजरीवाल को चेताया कि यह गलत है और आगे ऐसा नहीं होना चाहिए.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अन्ना के हवाले से ही यह खबर दी है, खबर के मुताबिक इस मसले पर केजरीवाल को कोई खत लिखने से अन्ना ने इनकार किया है, लेकिन इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ताओं के बीच इन दिनों एक चिट्ठी बंट रही है, यह चिट्ठी केजरीवाल को संबोधित है और इस पर जो दस्तखत हैं, वे अन्ना के हस्ताक्षर से मिलते-जुलते हैं.
यह चिट्ठी 3 मार्च को लिखी गई है, इसमें लिखा है, मुझे किरण बेदी जी से एक ईमेल मिला है, इसमें उन्होंने लिखा है कि पीसीआरएफ के लिए एक बजट तय किया जाना जरूरी है, बजट में इस बात का ब्यौरा हो कि विभिन्न मदों पर किस तरह और कितनी रकम खर्च की जानी है, एक ऑडिट रिपोर्ट जारी कर देना भर काफी नहीं है, 5 रुपये का भी खर्चा हो तो इसकी जानकारी आईएसी के ट्रस्टियों और कोर कमेटी के सदस्यों को दी जानी चाहिए.
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