Saturday, 30 June 2012

अपना घर की दर्जनों महिलाएं लापता ?


हरियाणा के गुडगांव के 'सुपर्णा का आंगन' तथा रोहतक जिले की श्रीनगर कालोनी में "अपना घर'' जैसे अनाथालय/ संरक्षणगृह में रह रहे बच्चों तथा लडकियों के साथ हुए यौन हिंसा तथा तस्करी के मामले में अभी भी नए-नए तथ्य उजागर होते जा रहे हैं तथा घटनाक्रम की खबरें मीडिया में प्रमुखता से छायी है। अपना घर की दर्जनों महिलाएं लापता हैं जिनकी सूचि रोहतक पुलिस ने जारी की है तथा इनके फोटो अखबारों में प्रकाशित हुए है, अबतक कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं,
'सुपर्णा के आंगन' का रसोइया सन्तोष जिसने 11 साल की लडकी, जो दोनों पैरों से लाचार है, के साथ बलात्कार किया था तथा केयरटेकर रचित ने भी बलात्कार तथा यौन उत्पीडन यहां की बालिकाओं के साथ किया था दोनों की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है.
जैसा कि तथ्य सामने आ रहे हैं रोहतक में अपना घर शेल्टर होम में न केवल बच्चों और लडकियों का यौन शोषण किया जाता था बल्कि यहां से उन्हें बाहर पार्टियों आदि में भी देहव्यापार के लिए भेजा जाता था, जिनमें सरकारी अधिकारियों की पार्टियां भी शामिल थीं., एनजीओ मालकिन जसवन्ती के दामाद इन लडकियों के साथ  जबतब बलात्कार करता रहता था, रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि यहां से कई विदेशी ग्राहकों को भी बच्चे एवं लड़कियां उपलब्ध कराये जाते थे, विदेशी यहां फिल्म बनाने के लिए आते थे, बच्चों से कहा जाता था कि अंकल तुम्हें प्यार करेंगे, ज्ञात हो कि भारत विकास संघ द्वारा संचालित अपना घर शेल्टर होम में 9 मई 2012 को शिकायत मिलने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने छापा मारकर 10 से 15 साल के बीच के 94 लडकियों को बरामद किया था जिनके साथ तरह-तरह के अमानवीय कृत्य किए जाते थे.
पता चला कि इन बच्चियों को निर्वस्त्र करके उनका विडियो भी तैयार किया जाता था, इस पूरे घटनाक्रम में पुलिसवालों के शामिल होने के बारे में भी जांच चल रही है, एक लडकी के एचआईवी संक्रमित होने के बारे में भी कोर्ट द्वारा गठित कमिटी ने बताया है, लडकियों ने बताया कि वे यदि यौन उत्पीडन का विरोध करती थीं तो उन्हें निर्वस्त्र कर छत के पंखे से उलटा लटकाया जाता था, कमेटी ने रिपोर्ट में बताया कि बोलने और सुनने में अक्षम एक लडकी तथा मानसिक रूप से बीमार एक लडकी के गर्भवती हो जाने पर उसकी योनि में स्टिक (लकडी) आदि डालकर गर्भपात कराया गया, हरियाणा पुलिस पर गम्भीर आरोप है कि वह इन सब में मदद करने के साथ ही नियमित होम्स का विजिट कर लडकियों साथ यौन अत्याचार करती रही,
निश्चित ही इस काण्ड के तार दूर तक फैले हैं और जब तक विधिवत जांच न हों तब तक इस काण्ड में विभिन्न स्तरों पर शामिल लोगों का पता लगना मुश्किल है, यह सही है कि अपना घर की संचालिका को मिले तमाम पुरस्कार वापस लिए गए हैं, मगर क्या उन सभी धवल चेहरों की असलियत सामने आ सकेगी, जिन्होंने इन अपराधों की तरफ आंखें मूंदी रखीं, ऐसा तो मुमकिन नहीं है कि यह सारा कुछ पर्दे के पीछे चलता रहा हो और किसी को इस बात का पता भी चल नहीं सका हो, अर्थात इन मामलों में बड़े बड़े सियासतदानों-वरिष्ठ अधिकारियों-पुलिस कर्मियों की साफ मिलीभगत दिखती है, उनके चेहरों की शिनाख्त करनी होगी, पिछले साल केरल में सामने आए एक किशोरी के यौन अत्याचार का मामला एवं उसे लेकर चली जांच का उल्लेख यहां समीचीन होगा, उपरोक्त मामले में बेटी को इस काम में धकेलने का काम उसके बाप ने ही किया था तथा जो उसकी दलाली करता था, किशोरी के बयान पर जब जांच आगे बढ़ी तो लगभग 119 लोगों पर मामला दर्ज हुआ, जिनमें से कई विदेशों में भी बसे थे, और तमाम लोगों की गिरतारियां भी हुईं.
उधर उज्जैन के (जागरण 6.6.12) अम्बोदिया स्थित सेवाधाम आश्रम में तीन नाबालिग लडकियों के गर्भवती हो जाने का पता चला, आश्रम के खिलाफ अनियमितता की शिकायत मिलने पर बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने आश्रम का औचक निरीक्षण किया था तब 68 बच्चे अवैध रूप से कैद मिले थे, एक दस साल के बच्चे ने यौन अत्याचार की शिकायत की.
विभिन्न अनाथाश्रमों तथा शेल्टर होम्स् के बारे में इसके पहले भी कई बार ऐसी घटनाओं का पर्दाफाश हो चुका है, कुछ समय पहले राजधानी दिल्ली का आर्य अनाथालय भी सूर्खियों में था,जब दिसम्बर माह में वहां भरती एक किशोरी के अस्वाभाविक एवं असामयिक मौत के बाद चली रूटिन जांच में यह पता चला कि मरने के पहले वह यौन अत्याचार का शिकार हुई है, तब मामले की परतें खुलती गयीं, कुछ गिरफ्तारियां हुईं, मीडिया के दबाव में कुछ कार्रवाई चली,प्रशासन चुस्त दिखा और मामला फिर सूर्खियों से हट गया, फिलवक्त यह पता लगाना मुश्किल है कि मामले की जांच कहां तक पहुंची, कहने का तात्पर्य यह है कि अभी भी इस बात की कोई गारण्टी नहीं है कि अपना घर, सुपर्णा का आंगन जैसे काण्डों का पर्दाफाश होने के बाद ऐसे शेल्टर होम/ आश्रम नहीं चल रहे होंगे या भविष्य में नहीं चलेंगे, हो सकता है कि यह सब देख-सुनकर दूसरे संचालक-संचालिकाएं अपने 'काम'में थोडे समय सतर्कता बरते.
अगर इस पूरे मामले पर समग्रता में नज़र डालें तो यह नज़र आता है कि एक मामला तो ढीला एवं अनैतिक तथा आपराधिक, प्रशासनिक व्यवस्था का है जो कभी अपने चुस्ती के अभाव में तो कभी जानबूझकर और कभी स्वयम् उसमें शामिल होकर इन तमाम अमानवीय कृत्यों या अपराधों को होने देता है, लेकिन दूसरा मामला इस समाज में कुण्ठित मानसिकता के लोगों का है, जो इन मासूमों के ग्राहक होते हैं, आखिर जिन बच्चों के साथ वह सारे प्रकार के यौनिक व्यवहार होते हैं वे कोई हवा, पहाड या निर्जीव वस्तु नहीं है बल्कि हाडमांस वाले व्यक्ति थे, जिनके देखरेख और संरक्षण में यह सब हो रहा था वह तो प्रत्यक्ष और सबसे बडे अपराधी है और विचारणीय है कि उन्हे ऐसा हौसला और आश्वासन समाज में कैसा प्राप्त होत है, लेकिन जो बच्चे या महिलाएं शेल्टर होम में नहीं है उनके लिए भी असुरक्षित वातावरण तैयार करनेवाले लोग हर जगह मौजूद हैं.
सोचने और कुछ इस दिशा में प्रयास करने की जरूरत यह है कि पूरा समाज सही मायने में सभ्य होने की दिशा में आगे कैसे बढेगा, और ऐसे सभी व्यवहारों से चिन्तित या गलत माननेवालों की अपनी भूमिका कैसे सुनिश्चित हो पायेगी, सिर्फ अकेले-अकेले प्रयास काफी नही है बल्कि कई और लगातार चलने वाले मुहिमों की जरूरत पडेगी, ऐसे समूहों की जरूरत होगी जो प्रशासन पर दबाव बना सके कि अपने नाक के नीचे यह सब न होने दे और चुस्ती तथा सतर्कता बरते, अन्त में यह मसला अपने समाज के वास्तविक तौर पर सभ्य होने से जुड़ा है, समय के साथ समाजों के सभ्य बनते जाने के पैमाने बदलते रहते हैं, आज की तारीख में यह पैमाना भी महत्वपूर्ण होगा कि जो आप के संरक्षण में है उसके साथ आप का व्यवहार कैसा हो, अगर आप उसकी इस नाजुक / वल्नरेबल स्थिति के बावजूद उसके साथ समानता का व्यवहार करने को तैयार हों, उसके सम्मान की गारंटी करने को तैयार हों, वही आप के सभ्य होने की निशानी समझी जा सकती है.....

No comments:

Post a Comment

अगर आपको किसी खबर या कमेन्ट से शिकायत है तो हमको ज़रूर लिखें !

सेबी चेयरमैन माधवी बुच का काला कारनामा सबके सामने...

आम हिंदुस्तानी जो वाणिज्य और आर्थिक घोटालों की भाषा नहीं समझता उसके मन में सवाल उठता है कि सेबी चेयरमैन माधवी बुच ने क्या अपराध ...