Tuesday 4 September 2012

पिछले दो साल में 489 करोड़ 89 लाख रूपये का नुकसान ?

आगरा- यूपी की ताज नगरी आगरा में बिजली वितरण निजी टोरंट कंपनी को देने से राज्य को पिछले दो साल में 489 करोड़ 89 लाख रूपये का नुकसान हुआ है, महालेखाकार की रिपोर्ट में इस नुकसान का खुलासा हुआ है, रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य की पूर्व सीएम मायावती ने कम कीमत पर टोरंट कंपनी को बिजली वितरण की व्यवस्था बीस साल के लिए लीज पर दी थी.


बीस सालों में राज्य को 5348 करोड रूपये का घाटा होगा, महालेखाकार ने रिपोर्ट में कहा है कि अनुबंध के अनुसार टोरंट कंपनी को जितनी बिजली दी जानी चाहिए थी उससे ज्यादा बिजली दी जा रही है 1 रिपोर्ट अप्रैल 2010 से मार्च 2012 तक की है, आगरा को जितनी बिजली दी जा रही है उस अनुपात में वसूली नहीं है, निजी कंपनी बिजली बिल को समय पर जमा कराने में भी असफल साबित हुई है, महालेखाकार ने रिपोर्ट में कहा है कि यूपी राज्य उर्जा निगम के तत्कालीन अधिकारियों ने निजी कंपनी को वितरण व्यवस्था देने में ज्यादा रूचि दिखायी और जल्दबाजी में इनर्जी टास्क फोर्स की सिफारिश से 27 प्रतिशत कम पर वितरण का काम दे दिया, ईटीएफ के अध्यक्ष तत्कालीन मुख्य सचिव ने पहले साल दो रूपया दस पैसे प्रति यूनिट से वितरण व्यवस्था देने की सिफारिश की थी लेकिन इसे दरकिनार करते हुये एक रूपये 54 पैसे पर अनुबंध किया गया.

सिफारिश के अनुसार बीस साल तक राज्य सरकार को दो रूपये 54 पैसे प्रति यूनिट मिलने थे लेकिन अधिकारियों की मेहरबानी से इसे दो रूपये दस पैसा ही रखा गया, महालेखाकर की रिपोर्ट ने सीएम अखिलेश यादव के सामने समस्या खड़ी कर दी है जिन्होंने कुछ दिन पहले टोरंट कंपनी को आगरा के वितरण में हर संभव सहयोग करने और कानपुर के वितरण की व्यवस्था इसी कंपनी को देने की बात कही थी, महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ गलत अनुबंध करने से ही राज्य सरकार को 1136 करोड़ 46 लाख रूपये का नुकसान उठाना पड़ा है, यूपीपीसीएल ने निविदा के दस्तावेज में सामान्य बिजली दर से कम दर रखी, टोरंट को बिजली वितरण का अधिकार आगरा में एक अप्रैल 2010 को दिया गया.

 बसपा सरकार का मानना था कि घाटे में चल रही सरकारी बिजली वितरण व्यवस्था को निजी हाथों में दे दिया जाये, आगरा की बिजली वितरण व्यवस्था जब टोरंट कंपनी को दी जा रही थी तब राज्य बिजली विभाग के कर्मचारियों ने इसका विरोध करते हुए आन्दोलन किया था, अब कर्मचारी सीएम की कानपुर की वितरण व्यवस्था इसी कंपनी को देने की घोषणा से भी आंदोलित हैं, महालेखाकार की रिपोर्ट आने के बाद विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने टोरंट कंपनी के साथ हुये अनुबंध को तुरन्त खत्म करने के साथ ही रिपोर्ट के आधार पर इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.

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