Tuesday 25 February 2014

दोस्तों छोटा मुंह बड़ी बात कहने जा रहा हूँ लेकिन..... ?

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क्या देश मैं महंगाई कि एक वजह हमारी क्रिकेट भी है, 
जिस देश मैं किसी घर मैं एक वक़्त कि रोटी खाने को नहीं है वहाँ इंसानो कि बोली लगती है शोक के लिए करोड़ों रुपए वोह भी एक सीज़न के लिए क्या मिलता है हमको क्या इससे देश कि परेशानी दूर होती है या यह देश मैं ग़रीबी और परेशानी को बढ़ा रहे हैं,

मुझको अफ़सोस होता है जब देश कि सरकार और सरकारी तंत्र के दिमाग़ मैं यह बात नहीं आती के देश के कुछ लोग देश कि पूंजी को जमा ही नहीं कर रहे हैं बल्कि देश कि जनता के साथ खिलवाड़ कर रहे है, खिलवाड़ इस लिए के यह अपने बोर्ड से बड़ी तनखा पाते ही हैं लेकिन इसके अलावा भी यह करोड़ों रुपया उन कम्पनियों से लेते हैं जो अपना सामान देश कि जनता को इनके ज़रिये बेवक़ूफ़ बनाकर बेचते हैं?
दूसरी तरफ आई पी एल इनको करोड़ों रुपए मैं खरीद कर इनको मालामाल करने के साथ देश मैं सट्टे को बढ़ावा दे रहा है =, मैंने देख के यहाँ आई पी एल मैं हर बॉल पर सत्ता लगता है और हमारे देश के वफादार खिलाडी इस सट्टे का बड़ा हिस्सा हैं इनको इस सट्टे से भी करोड़ों रुपया मिलता है मैं नाम लेना नहीं चाहूंगा किसी का लेकिन कुछ मैच देखकर मुझको लगा के यह बहुत बड़ा रेकेट है और मैं ज़ुबान से किसी का नाम लेना भी सही नहीं होगा ?
क्यूंकि देश का कानून अँधा है और इसको पुख्ता सबूत चाहिए और वोह साबुत मैं जूता नहीं सकता अगर कोई इनको जूता भी लेगा तब सरकारी तंत्र इनको झुण्ठलाने कीपुरी कोशिश करेगा  क्यूंकि इस सरकारी तंत्र के बहुत से बड़े लोग भी इसका बड़ा हिस्सा है, वोह ही क्यूँ मैं देखता हूँ के फ़िल्मी दुनियां के लोग भी आज इस मैं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं यही मेरी सोचने कि वजह भी हैं के यह लोग सिर्फ नाम के लिए तो ऐसा कर नहीं रहे हैं क्यूंकि अगर यह नाम को करते तब देश कि जनता ने इनको बड़ा नाम दिया है और अपने प्यार से सर पर बिठाया है तब इसकी वजह क्या हो सकती है आप जानते ही हैं ?
क्यूंकि मैंने सुना है पैसा जितना जिसके पास ज़ियादा होता है उसकी भूख भी उतनी ही बड़ी हो जाती है यह सही भी है ग़रीब या छोटा आदमी रुपए दो रुपए से कम चला लेगा लेकिन जितना बड़ा ओहदा होता जायेगा उतनी ही फीस बढ़ती जायेगी यह हकीकत है, मुझको नहीं पता मैं यह क्यूँ लिख रहा हूँ लेकिन एक सुकून दिल को मिल रहा है इस लिए इसको लिखने कि कोशिश कर रहा हूँ और यह भी सुना है के पाप का घड़ा एक दिन भरता है और जब भरता है तब ग़रीब कि चंडी होती है ?
आज देश अगर ऐसे लोगों कि कमाई पर लगाम लगा दे तब यक़ीनन देश से भुखमरी और बेरोज़गारी को कम करने के साथ देश मैं काम कि रफ़्तार को बढ़ाया जा सकता है आज देश मैं महंगाई और बदहाली कि एक सबसे वाड़ी वजह यह भी है और अगर यूँ कहूं के यही है तो और भी बेहतर होगा आज ग़रीब के पैसे से बड़े लोग ऐश करते हैं और देश के ग़रीब को और ग़रीब करने पर लगे हुए हैं इसपर सरकार को घोर करना होगा अगर देश मैं फिर से खुश हाली लानी है ?  

کیا ملک میں مہنگائی کہ ایک وجہ ہماری کرکٹ بھی ہے ،
جس ملک میں کسی گھر میں ایک وقت کہ روٹی کھانے کو نہیں ہے وہاں اسانو کہ بولی لگتی ہے غم کے لئے کروڑوں روپے ارکان بھی ایک سیزن کے لئے کیا ملتا ہے ہم کو کیا اس سے ملک کہ پریشانی دور ہوتی ہے یا یہ ملک میں غربت اور پریشانی کو بڑھا رہے ہیں ،
مجھ کو افسوس ہوتا ہے جب ملک کہ حکومت اور سرکاری مشینری کے دماغ میں یہ بات نہیں آتی کے ملک کے کچھ لوگ ملک کہ سرمایہ کو جمع ہی نہیں ہیں بلکہ ملک کہ عوام کے ساتھ کھلواڑ کر رہے ہے ، کھلواڑ اس لئے کے یہ اپنے بورڈ سے بڑی تنكھا پاتے ہی ہیں لیکن اس کے علاوہ بھی یہ کروڑوں روپیہ ان کمپنیوں سے لیتے ہیں جو اپنا سامان ملک کہ عوام کو ان کے ذریعہ بے وقوف بنا کر فروخت کرتے ہیں ؟
دوسری طرف آئی پی ایل ان کو کروڑوں روپے میں خرید کر ان کو مالا مال کرنے کے ساتھ ملک میں سٹے کو فروغ دے رہا ہے = ، میں نے دیکھ کے یہاں آئی پی ایل میں ہر بال پر اقتدار لگتا ہے اور ہمارے ملک کے وفادار کھلاڑی اس سٹے کا بڑا حصہ ہیں ان کو اس سٹے سے بھی کروڑوں روپیہ ملتا ہے میں نام لینا نہیں چاہوں گا کسی کا لیکن کچھ میچ دیکھ کر مجھ کو لگا کے یہ بہت بڑا رےكےٹ ہے اور میں زبان سے کسی کا نام لینا بھی صحیح نہیں ہوگا ؟
کیوںک ملک کا قانون ادھا ہے اور اس کو پختہ ثبوت چاہئے اور وہ سارا میں جوتے نہیں سکتا اگر کوئی ان کو جوتا بھی لے گا تب سرکاری مشینری ان جھٹھلانے كيپري کوشش کرے گا کیوںک یہ سرکاری نظام کے بہت سے بڑے لوگ بھی اس کا بڑا حصہ ہے ، ارکان ہی کیوں میں دیکھتا ہوں کے فلمی دنیا کے لوگ بھی آج اس میں بڑھ چڑھ کر حصہ لے رہے ہیں یہی میری سوچنے کہ وجہ بھی ہیں کے یہ لوگ صرف نام کے لئے تو ایسا کر نہیں رہے ہیں کیوںک اگر یہ نام کو کرتے تب ملک کہ عوام نے ان کو بڑا نام دیا ہے اور ان کی محبت سے سر پر بٹھایا ہے تو اس کی وجہ کیا ہو سکتی ہے آپ جانتے ہی ہیں ؟

کیوںک میں نے سنا ہے پیسہ جتنا جس کے پاس زیادہ ہوتا ہے اس کی بھوک بھی اتنی ہی بڑی ہو جاتی ہے یہ صحیح بھی ہے غریب یا چھوٹا آدمی روپے دو روپے سے کم چلا لے گا لیکن جتنا بڑا عہدہ ہوتا جائے گا اتنی ہی فیس بڑھتی جائے گی یہ حقیقت ہے ، مجھ کو نہیں پتہ میں یہ کیوں لکھ رہا ہوں لیکن ایک سکون دل کو مل رہا ہے اس لئے اس کو لکھنے کہ کوشش کر رہا ہوں اور یہ بھی سنا ہے کے گناہ کا گھڑا ایک دن برتا ہے اور جب بھرتا ہے تو غریب کہ چنڈی ہوتی ہے ؟

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