दोस्तों कल तक मैं भी बहुत हैरान था अरविन्द जी के फैसले से इसी लिए कल ज़ियादा कुछ नहीं लिखा और रात काफी देर तक यही सोचता रहा के क्या सोचकर यह फैसला किया है अरविंदजी ने लोग तो सिर्फ विधायक बन्ने के लिए लाखों करोड़ों खर्च करते हैं और फिर भी नहीं बन पाते लेकिन अरविन्द जी ने तो विधायकों के मुख्या यानि दिल्ली की राज गद्दी को छोड़ दिया क्या यह पागलपन है ?
तब मुझको दिल से जवाब मिला के हाँ यह पागलपन है और ऐसा पागलपन सदियों मैं एक बार ही होता है और ऐसे ह लोग इतिहास मैं जगह भी पाते हैं, और यह हक़ीक़त है कल ही केजरीवाल ने दिल्ली के इतिहास मैं सबसे ऊपर अपना नाम लिखा लिया है, कुछ लोगों के कमेंट्स पढ़कर मुझको शर्म आती है के ऐसे लोग भी कमेंट्स कर रहे हैं और उस भाषा मैं जिनका ईमानदारी से कोई लेना देना नहीं है और न ही वोह क़ुरबानी क्या होती है यह जानते हैं, खासकरमोदी के समर्थकों कि भाषा तो बस क्या कहा जाये उनके लिए, और सही भी है उनको लग रहा है के मोदी चाय कि दूकान के रस्ते से दिल्ली आना चाहते थे और सोते जागते अब सिर्फ एक ही सपना मैं प्र्धानमंत्री बन गया उस सपने को सपना ही बनाने के लिए अरविन्द जी वाल बनकर उनके रास्तेमअ आगये हैं।
और अम्बानी बंधुओं कि भी रातों की नींदों को केजरीवाल ने हरम कर दिया है, हक़ीक़त भी है अगर अरविंदकेजरीवाल प्र्धानमंत्री बने या किसी को प्र्धानमंत्री बनाने के लायक भी बने तब अम्बानी बंधुओं जैसे लोग या तो जैल मैं होंगे या फिर आभास होते ही देश से बाहर। ...
दुनियां कुछ भी कहे केजरीवाल के लिए लेकिन बहुत सोचने के बाद मेरी नज़र मैं केजरीवाल महान है ?
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