Saturday, 15 February 2014

क्या लोकसभा या विधान सभा कि तुलना किसी इबादतगाह से कि जा सकती है ?

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अरविन्द केजरीवाल ने जोश मैं आकर बोल दिया के विधान सभा मैं जो कुछ हुआ वोह मस्जिद मैं क़ुरान और और मंदिर मैं गीता के फाड़ने जैसा है, सही है केजरीवाल कि सोच ग़लत नहीं थी लेकिन सबसे सही यही है के दुनियां कि कोई भी किताब ना तो गीता का मुक़ाबला कर सकती है और क़ुरान का तो कोई मुक़ाबला ही नहीं है, और जहाँ तक लोकसभा और विधानसभा कि बात है
वोह ईमानदारी का मंदिर कहा जा सकता है लेकिन किसी भी इबादतगाह की जगह नहीं ले सकता क्यूंकि जब इंसान इबादतगाह मैं जाता है तब उसके दिल मैं दुनियां कि बातों को छोडकर सिर्फ ईश्वर का धियान होता है और आज हम सब के सामने है कि किस तरहां लोकसभा और विधानसभा दोनों ही मैं केसे केसे काम हो रहे हैं और क्या किया जा रहा है क्या इन कामों के साथ हम लोकसभा या विधानसभाओं को किसी इबादतगाह का दर्जा दे सकते हैं अरविन्द जी का मक़सद किसी का दिल दुखाना नहीं था लेकिन जोश मैं फिर भी जो बोला वोह ग़लत है और इसपर अरविन्द जी को अलफ़ाज़ वापसी के लिए बोलना चाहिए। ..


کیا پارلیمنٹ یا اسمبلی اس سے کسی عبادت گاہ سے کہ جا سکتی ہے ؟

اروند کیجریوال نے جوش میں آکر بول دیا کے اسمبلی میں جو کچھ ہوا ارکان مسجد میں قرآن اور اور مندر میں گیتا کے پھاڑنے جیسا ہے ، صحیح ہے کیجریوال کہ سوچ غلط نہیں تھی لیکن سب سے صحیح یہی ہے کے دنیا کہ کوئی بھی کتاب نہ تو گیتا کا مقابلہ کر سکتی ہے اور قرآن کا تو کوئی مقابلہ ہی نہیں ہے ، اور جہاں تک لوک سبھا اور اسمبلی کہ بات ہے ارکان ایمانداری کا مندر کہا جا سکتا ہے لیکن کسی بھی عبادت گاہ کی جگہ نہیں لے سکتا کیوںک جب انسان عبادت گاہ میں جاتا ہے تو اس کے دل میں دنیا کہ باتوں کو چھوڑ کر صرف خدا کا دھيان ہوتا ہے اور آج ہم سب کے سامنے ہے کہ کس ترها لوک سبھا اور اسمبلی دونوں ہی میں کیسے کیسے کام ہو رہے ہیں اور کیا کیا جا رہا ہے کیا ان کاموں کے ساتھ ہم پارلیمنٹ یا اسمبلیوں کو کسی عبادت گاہ کا درجہ دے سکتے ہیں اروند جی کا مقصد کسی کی دل دكھانا نہیں تھا لیکن جوش میں پھر بھی جو بولا ارکان غلط ہے اور اس پر اروند جی کو الفاظ واپسی کے لئے بولنا چاہئے . ..

What Parliament or Legislative Assembly of any ibadtagah than that? Arvind kejrival, Josh gave Legislative Assembly which I come and I say something happened voh mosque I Qur'an and Temple I like Geeta twinge right kejrival that thinking was wrong but that is the most perfect one of world's best parathas that no book can neither Gita footrace and Qur'an is a juxtaposition of, And as far as Lok Sabha and Assembly that thing might be called honest voh Temple but could not take place because of any ibadtagah when human being is his heart ibadtagah I I found that things only God's world's best parathas dhiyan and today we all have in front of which both the Lok Sabha and Assembly I tarhan kese kese are and what work is being done these errands We give a rate of Lok Sabha or assemblies can ibadtagah Arvind g was not an injustice of maksad but Josh I even uttered it wrong and the voh Arvind g alfaz return to speak. ..

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