Monday, 21 September 2015

AIMIM या औवेसी को हक़ क्यूं नहीं ?

AIMIM ओर अकबरूद्दीन औवेसी के खिलाफ़ आग उगलने वाले कौन हैं, क्या मुस्लिमों को मुल्क मैं अपनी सियासत करने का हक़ संविधान नहीं देता, क्या आज जो सरकार मुल्क मैं हुकूमत कर रही है वो औवेसी भाई या AIMIM की बदौलत है ?
ऐसे ही बहुत से सवाल हैं जिनका जवाब जनता
ख़ुद दिल पर हाथ रखकर ईमानदारी से सोचे .
आज जब दलित ओर मुस्लिम की खुली राजनीति करने का बीड़ा औवेसी ने उठाया है तब कुछ सत्ता के भूखें सैकुर्लवाद का मुखौटा पहने हुए राजनेताओं के पेट मैं दर्द होने लगा है आज वो औवेसी भाईयों को भाजपा का ऐजेंट होने का प्रचार ज़ोर शोर से कर रहे हैं वो भी उस चेहरे ओर दिल से जो कई बार भाजपाई होने के दीदार से हमको रूबरू करा चुके हैं.
सवाल है कि आज अगर पूरे बहुमत के साथ भाजपा सत्ता पर बैठी है क्या ये औवेसी बन्धुओं की बदौलत है, कई प्रदेशों मैं सैकुर्लवादियों की सरकार के बाद लोकसभा चुनावों मैं सफ़ाया कर दिया क्यूं?
वजह तुमको भी मालूम है ओर हमको भी मालूम है हमको भी मालूम है कुछ तुम्हारी ग़लतियां ओर कुछ बड़े खेल का कमाल.
ओर रही बात ये दिखावे की कि भाजपा सत्ता मैं आई तो देश से मुस्लिम ख़त्म हो जायेगा या मुस्लिमों के लिए बुरा होगा ये सब भी तुम्हारा फैलाया हुआ डर का जाल था जो तुम्हारी नीतियों ओर ग़लतियां से ज़ार ज़ार होकर टूट चुका है .
आज भाजपा सत्ता मैं है अब तो हमको ये देखना है कि हमारे यानि मुस्लिमों के साथ होता क्या है?
मौत से बड़ी कोई सज़ा नहीं ओर मोमिन मौत से डरता नहीं.
रही बात सियासत की तब मुस्लिमों को अब तक क्या मिला है?
65 साल मुस्लिमों ने देश की हुकूमत आप लोगों पर यक़ीन करके आपके हाथों मैं सौंपी किस डर से या लालच से ये भी बताने की मुझको ज़रूरत नहीं है ओर हुआ क्या ये भी नहीं बताऊंगा.
मुस्लिमों का ख़ून अगर भाजपा के हाथों या दामन मैं खुलेआम नज़र आता है या आप दिखाने की कोशिश करते हो तब दामन ओर हाथ आपके भी ख़ाली नहीं हैं ये भी हम जानते हैं.
दूसरे अगर भाजपा का दामन मुस्लिमों के ख़ून से दाग़दार हुआ तो भी ये आपकी ओर आपके शासन की लापरवाही या मिली भगत का नतीजा है क्या यही है आपके शासन की नीति ओर तरीका?
आज अरसे बाद कोई तुम्हारे ज़ुल्म ओर सियासत से परेशान आकर अगर अपनो की मदद से अपने पैरों पर खड़ा होना या अपनी हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी ख़ुद उठाना चाहता है तब आपके पेट मैं दर्द शुरू हो जाता है क्यूं ....
सोचो ओर जवाब दो?
एस एम फ़रीद भारतीय
# Farid Bharti #

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