सरकार ओर कानून की सही परिभाषा मालूम करनी है तो जेलों मैं जाकर देखो ?
देश संविधान ओर कानून कहता है कि बेशक सौ गुनाहगार छूट जायें लेकिन कोई बेगुनाह परेशान ना हो ?
क्या मेरे महान भारत मैं इसका पालन किया जा रहा है, आप कहेंगे नहीं, जबकि मैं कहूंगा हां ये सही है
ओर इसका पालन अगर दुनियां मैं सही तौर पर कहीं किया जा रहा है तो वो मेरा भारत देश ही है.
आज सोच रहे होंगे कि मेरा शायद दिमाग़ चल गया है जो बहकी बहकी बातें करने के साथ पोस्ट भी दिमाग़ ख़राब वाली डालकर कर दिमाग़ की दही कर रहा हुँ.
तब दोस्तों इस कानून का पालन सिर्फ़ ओर सिर्फ़ भारत मैं ही कैसे होता है ओर कानून क्या है मैं आपको समझाता हुँ .
अगर आपके पास ताक़त ओर पैसा है तब आप इस मुल्क मैं कुछ भी करने को आज़ाद हैं आज़ादी आपकी ग़ुलाम है जो चाहे वो आप कर सकते हैं एक नहीं लाखों मिसालें आपके ओर मेरे सामने हैं .
हां अगर आपके पास ताक़त या पैसे मैं से एक चीज़ है तब आप तब तक आज़ादी को ग़ुलाम बनाकर रख सकते हैं जब तक ये आपके पास है ओर जैसे ही आप की पकड़ से दूर हुई तब आप लाख चाहते हुए भी बच नहीं सकते.
ओर अगर आपके पास दोनों मैं से कुछ भी नहीं हैं तब आप मुल्क पर बोझ हैं बेगुनाही की तो सोचना ही जुर्म है.
आप आज़ादी ओर वर्दी वाले के रहमो करम पर हैं जैसे ही कही आपका नाम कहीं आया तब जेल की काल कोठरी आपके इंतज़ार मैं है बेशक पहले आप घर का अकेला सहारा हुआ करते थे लेकिन आज पुरे घर परिवार को आपका सहारा बनना होगा.
सब कुछ बेचकर आपको बेगुनाह साबित करने की कोशिश करनी होगी अगर आप बेगुनाह मान लिए गये तब आप किसमत वाले हैं ओर आगे के लिए सावधान रहिए सैंकड़ों निगाहें आप पर लगी हुई हैं ज़रा सी चूक या अनचाही ग़लती आपको फिर सींकचों के पीछे ले जा सकती है .
कहते हैं मुल्क मैं कानून ओर जनता का राज है?
कहां है कैसा है ये देखना है तब देश ओर प्रदेश की किसी भी जेल मैं चले जाओ आपको इस कानून की धज्जियां उड़ाते सैंकड़ों लोग मिल जायेंगे.
जेल मैं भी वो इतनी ज़िल्लत की ज़िन्दगी गुज़ारते हैं कि आप सोच भी नहीं सकते वहां उनके दर्द को सुनने ओर समझने वाले मिल तो बहुत जाते हैं लेकिन सब के सब एक जैसे होते हैं यानि मजबूर.
कब होगा मेरे देश मैं कानून का सम्मान ओर जनता का राज बस यही सोचता रहता हुँ क्या मेरी ज़िंदगी मैं हो पायेगा?
लेखक
एस एम फ़रीद भारतीय
सम्पादक एनबीटीवी इंडिया
व मानवाधिकार कार्यकर्ता
+919808123436
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