1984 में इंद्रा गांधी की हत्या के खिलाफ सड़को पे उतरे हिन्दू समाज ने उन सिखो को 4000 से अधिक की संख्या में मौत के घाट उतार दिया जो यदि सिख नहीं होते तो आज हिन्दुओ का आस्तित्व ही न होता , हिन्दुओ को इंद्रा गांधी की हत्या याद रही लेकिन वह भूल गया कि गुरु गोविन्द सिंह ने अपने 4 बेटे शहीद न किये होते तो शायद न इंद्रा होती न हिन्दू होते! सिखो को सड़क पे जलाते समय, मारते काटते समय, आगजनी करते समय हमको इंद्रा के हत्यारे याद रहे, लेकिन हम फ़तेह सिंह और जोरावर सिंह को भूल गए जिन्होंने दीवार में खुद को चिनवाना पसंद किया लेकिन आपका सर नहीं झुकने
दिया! इंद्रा के हत्यारो के रूप में जब सरदार दुश्मन दिख रहे थे तब किसी ने भगत सिंह की कुर्बानी को याद किया होता तो शायद सिखो पे जुल्म करने के लिए तलवार उठती ही नहीं! कई लाख करोड़ की संपत्ति को जलाकर राख कर देने वाले , 1984 में 4000 सिखो की निर्मम हत्या कर देने वाले हिन्दू आजतक सहिष्णु है जबकि मुस्लिम कट्टरवादी है!
मायावती की एक मूर्ती लखनऊ में तोड़ी गयी तो दलितों ने सड़को पे उतर कर आतंक मचा दिया, 225 करोड़ की निजी और सरकारी संपत्ति जलाकर राख कर दी गयी, पूर्णिया और मालदा की तरह किसी ने दलितों से कोई सवाल नहीं किया कि आखिर पत्थर की एक बेजान मूर्ती टूटने के बदले आप मुल्क की संपत्ति कैसे जला रहे है? कैसे आतंक का तांडव कर रहे है?
राजस्थान में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ मिलकर आरक्षण माँगा गया तो गुर्जर आंदोलन में पूरा स्टेट जला, हजारो करोड़ की संपत्ति स्वाह हो गयी, गुजरात में हार्दिक पटेल ने पाटीदार के लिए आरक्षण माँगा तो 7000 करोड़ की सरकारी संपत्ति जली, हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग को लेकर हो रहे आंदोलन में अब तक 2600 करोड़ की सरकारी संपत्ति यानि इस देश की अमानत फूंके जाने का आंकड़ा है...
कश्मीर में सेना पे पत्थर मारने वालो को आतंकवादी कहा जाता है , लेकिम सेना के ट्रक कब्ज़ा लेने वाले सिर्फ आंदोलनकारी है, कल एक वीडियो में मैंने देखा कि जवान भाग रहा है और आंदोलनकारी उसके पीछे है उसको दौड़ा रहे है, पोलिस के थानो, आईजी एसएसपी के दफ्तर फूंक दिए गए, सभ्य समाज मुझे बताये म्यांमार की घटना के विरोध में मुम्बई में निकले जुलुस में अमर जवान ज्योति में लात मारना यदि देशद्रोही कृत्य है तो फिर जवानो के ट्रक कब्जाना, फूंक देना, चौकियों, थानो और जवानो के दफ्तरों में आग लगा देना कौन का राष्ट्रवादी कार्य है? मुम्बई में तो देशद्रोही सिर्फ जवान ज्योति में ही लात मार रहा है आप तो जवानो को ही लात मार रहे हो, वर्दी को ही कुचल रहे हो, गुर्जर आंदोलन पटेल आंदोलन और जाट आंदोलन पे सब खामोश है, मुझे आरक्षण नहीं आरक्षण आंदोलन के तरीके से समस्या है...और यदि आन्दोलन का यही तरीका है तो ठीक है फिर पूर्णिया और मालदा को क्यों रोते हो? अरे कमलेश तिवारी ने उनकी अकीदत, उनकी आस्था को ललकारा था जिनके दुनिया में 54 देश है, जब एक एक दो दो करोड़ की संख्या वाले लोग सड़को पे आरक्षण के नाम पे तांडव कर सकते है तो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी, 250 करोड़ मुस्लिमो की अकीदत पे प्रहार करने वाले कमलेश तिवारी के खिलाफ सड़क पे गुस्से में पूर्णिया और मालदा में जो हुआ वह तो आपके अनुपात में दशमलव 1 प्रतिशत भी नहीं है, 1984 में आप तांडव करके कई लाख करोड़ की संपत्ति फूक कर भी देशभक्त, मूर्ती टूटने पे 225 करोड़ की संपत्ति फूंक कर दलित भी देशभक्त, पटेल भी, गुर्जर भी और जाट भी देशभक्त....तो मालदा में और पूर्णिया में महज 2 - 4 वाहन फूंक देने वाला मुस्लिम देशद्रोही और आतंकवादी क्यों? रंगनाथ मिश्रा और सच्चर समिति की रिपोर्ट के आधार पर मुस्लिमो को भी आरक्षण चाहिए, मुलायम सिंह ने 18 % देने का वादा भी किया था, लेकिन इनका सब्र देखो कि 10 साल के बच्चे को पाना लेकर गाडी के नीचे घुसा देते है लेकिन आरक्षण के लिए किसी गरीब का ठेला नहीं जलाते....मुजफ्फरनगर में एक घटना के विरोध में 10 हजार मुस्लिमो के घरो को आग लगा देने वाले, बहन बेटियो की इज़्ज़त लूटने वाले, 1 लाख मुस्लिमो को घर से बेघर कर देने वाले, 1984 से लेकर आज तक सड़को पे तांडव मचा कर कई लाख करोड़ की संपत्ति फूंक देने वाले मालदा और पूर्णिया में जलाई गयी 4 बसो का मातम करते अच्छे नहीं लगते....
ये मुल्क किसी के बाप का नहीं है और रही आतंकवाद की बात तो सुनो...JNU ने बता दिया है कि आतंकवादी सिर्फ उमर खालिद नहीं होता...कोई कन्हइया भी देशद्रोही हो सकता है।
अमित जानी
अध्यक्ष- उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना
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दिया! इंद्रा के हत्यारो के रूप में जब सरदार दुश्मन दिख रहे थे तब किसी ने भगत सिंह की कुर्बानी को याद किया होता तो शायद सिखो पे जुल्म करने के लिए तलवार उठती ही नहीं! कई लाख करोड़ की संपत्ति को जलाकर राख कर देने वाले , 1984 में 4000 सिखो की निर्मम हत्या कर देने वाले हिन्दू आजतक सहिष्णु है जबकि मुस्लिम कट्टरवादी है!
मायावती की एक मूर्ती लखनऊ में तोड़ी गयी तो दलितों ने सड़को पे उतर कर आतंक मचा दिया, 225 करोड़ की निजी और सरकारी संपत्ति जलाकर राख कर दी गयी, पूर्णिया और मालदा की तरह किसी ने दलितों से कोई सवाल नहीं किया कि आखिर पत्थर की एक बेजान मूर्ती टूटने के बदले आप मुल्क की संपत्ति कैसे जला रहे है? कैसे आतंक का तांडव कर रहे है?
राजस्थान में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ मिलकर आरक्षण माँगा गया तो गुर्जर आंदोलन में पूरा स्टेट जला, हजारो करोड़ की संपत्ति स्वाह हो गयी, गुजरात में हार्दिक पटेल ने पाटीदार के लिए आरक्षण माँगा तो 7000 करोड़ की सरकारी संपत्ति जली, हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग को लेकर हो रहे आंदोलन में अब तक 2600 करोड़ की सरकारी संपत्ति यानि इस देश की अमानत फूंके जाने का आंकड़ा है...
कश्मीर में सेना पे पत्थर मारने वालो को आतंकवादी कहा जाता है , लेकिम सेना के ट्रक कब्ज़ा लेने वाले सिर्फ आंदोलनकारी है, कल एक वीडियो में मैंने देखा कि जवान भाग रहा है और आंदोलनकारी उसके पीछे है उसको दौड़ा रहे है, पोलिस के थानो, आईजी एसएसपी के दफ्तर फूंक दिए गए, सभ्य समाज मुझे बताये म्यांमार की घटना के विरोध में मुम्बई में निकले जुलुस में अमर जवान ज्योति में लात मारना यदि देशद्रोही कृत्य है तो फिर जवानो के ट्रक कब्जाना, फूंक देना, चौकियों, थानो और जवानो के दफ्तरों में आग लगा देना कौन का राष्ट्रवादी कार्य है? मुम्बई में तो देशद्रोही सिर्फ जवान ज्योति में ही लात मार रहा है आप तो जवानो को ही लात मार रहे हो, वर्दी को ही कुचल रहे हो, गुर्जर आंदोलन पटेल आंदोलन और जाट आंदोलन पे सब खामोश है, मुझे आरक्षण नहीं आरक्षण आंदोलन के तरीके से समस्या है...और यदि आन्दोलन का यही तरीका है तो ठीक है फिर पूर्णिया और मालदा को क्यों रोते हो? अरे कमलेश तिवारी ने उनकी अकीदत, उनकी आस्था को ललकारा था जिनके दुनिया में 54 देश है, जब एक एक दो दो करोड़ की संख्या वाले लोग सड़को पे आरक्षण के नाम पे तांडव कर सकते है तो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी, 250 करोड़ मुस्लिमो की अकीदत पे प्रहार करने वाले कमलेश तिवारी के खिलाफ सड़क पे गुस्से में पूर्णिया और मालदा में जो हुआ वह तो आपके अनुपात में दशमलव 1 प्रतिशत भी नहीं है, 1984 में आप तांडव करके कई लाख करोड़ की संपत्ति फूक कर भी देशभक्त, मूर्ती टूटने पे 225 करोड़ की संपत्ति फूंक कर दलित भी देशभक्त, पटेल भी, गुर्जर भी और जाट भी देशभक्त....तो मालदा में और पूर्णिया में महज 2 - 4 वाहन फूंक देने वाला मुस्लिम देशद्रोही और आतंकवादी क्यों? रंगनाथ मिश्रा और सच्चर समिति की रिपोर्ट के आधार पर मुस्लिमो को भी आरक्षण चाहिए, मुलायम सिंह ने 18 % देने का वादा भी किया था, लेकिन इनका सब्र देखो कि 10 साल के बच्चे को पाना लेकर गाडी के नीचे घुसा देते है लेकिन आरक्षण के लिए किसी गरीब का ठेला नहीं जलाते....मुजफ्फरनगर में एक घटना के विरोध में 10 हजार मुस्लिमो के घरो को आग लगा देने वाले, बहन बेटियो की इज़्ज़त लूटने वाले, 1 लाख मुस्लिमो को घर से बेघर कर देने वाले, 1984 से लेकर आज तक सड़को पे तांडव मचा कर कई लाख करोड़ की संपत्ति फूंक देने वाले मालदा और पूर्णिया में जलाई गयी 4 बसो का मातम करते अच्छे नहीं लगते....
ये मुल्क किसी के बाप का नहीं है और रही आतंकवाद की बात तो सुनो...JNU ने बता दिया है कि आतंकवादी सिर्फ उमर खालिद नहीं होता...कोई कन्हइया भी देशद्रोही हो सकता है।
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अध्यक्ष- उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना
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