Monday, 8 August 2016

संघ ओर पीएम का ब्यान बड़े डर की ख़ास वजह कहीं दलित-मुस्लिम एक ना हो जाऐं ?

आजकल जिस तरहां से देश की राजनीति मैं बदलाव देखने को मिल रहा है उसपर एकदम यक़ीन नहीं हो पा रहा था, कि पीएम ओर संघ एक दम गौरक्षकों के ख़िलाफ़ कैसे, कैसे इतना बड़ा ब्यान अपनों ही के ख़िलाफ़ दे दिया ?
बहुत सोचा ओर सोचकर समझने की कोशिश की कि ये ब्यान बहुत ही सोच समझकर हिसाब लगाकर दिया गया ब्यान है, पहले ब्यान पर पीएम बधाई के पात्र थे तब मैने बधाई देने मैं अपनी क़लम से ज़रा भी देर नहीं की ओर पीएम साहब को दिलसे बधाई दी.
लेकिन आज मैं देख रहा हुँ पीएम साहब की फ़ितरत मैं कोई
बदलाव नहीं आया है बल्कि ये सब कुछ एक सोची समझी राजनीति के तहत किया जा रहा है ओर पीएम के दूसरे ब्यान ने ये ख़ुद ख़ुलकर साफ़ भी कर दिया कि मेरा मक़सद सबका साथ सबका विकास नहीं बस राजनेतिक रोटियां सैकना था, है, ओर रहेगा भी, क्यूंकि ये तो रिमोट चलित पीएम हैं.
ऐसा क्यूं कहा तब पीएम के शब्दों पर ग़ौर करें ओर ब्यान का ज़रा ख़ुलकर मुआयना करें साफ़ हो जायेगा, देश का पीएम गौरक्षा के नाम पर दलितों की पिटाई पर तो अपना मुंह खौलता है लेकिन इन्ही गौरक्षकों ने घर मैं घुसकर एक बेगुनाह को मार डाला उसपर क्यूं मुंह नहीं खोलता ?
जवाब सामने तब आता है जब दलितों की पिटाई पर कहा जाता है मुझको मारो, मुझपर हमला करो लेकिन "दलितों" पर नहीं शब्द है "दलित" जबकि होना चाहिए था बेगुनाहों पर हमला मत करो.
लेकिन बेगुनाह की जगह दलित शब्द का इस्तेमाल बता रहा है कि ये खुली राजनीति है, देश को तोड़ने वाली देश के माहौल को ख़राब करने वाली है वो भी पीएम जैसे ज़िम्मेदार पद पर बैठे इंसान के लिए.
अब जानते हैं ऐसा क्यूं कहा तब समझ लें ऐसा इसलिए कहा गया कि देश के दो बड़े समूह जाति वर्ग के साथ करीब करीब एक ही वक़्त मैं यानि कम वक़्त मैं ये घटनाऐं संघ के चेलों ने अंजाम दी हैं, ओर दोनो ही समाज दलित ओर मुस्लिम एक दूसरे के करीब भी हैं ओर ये करीबी कहीं चुनावी गठबंधन ना बन जाये आने वाले चुनावों मैं, ये सोचकर पीएम ने संघ के इशारे पर ब्यान दिया है ना कि संघ ने पीएम के ब्यान का समर्थन किया है, नहीं ये सबसे ऊंचे पद पर बैठकर शक मैं देश को तोड़ने की साज़िश के सिवा कुछ नहीं.....
एसएम फ़रीद भारतीय
एनबीटीवी इंडिया डॉट कॉम

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