आज जहां तमाम मुल्क की पालिटिकल पार्टियां ओर जनता अचम्बे मैं हैं भाजपा की जीत से वहीं भाजपा के ख़ुद के लोग भी इस जीत को नहीं पचा पा रहे हैं वो भी दबी ज़ुबान मैं कहने लगे हैं कि कहीं ना कहीं
कोई ना कोई गड़बड़ झाला तो है.
वरना राम लहर मैं भी देश मैं इतनी सीटें भाजपा को नहीं आई जो अब आई हैं ओर उस वक़्त मैं आई हैं जब भाजपा ने कहीं कोई बड़ा कारनामा नहीं किया है, भाजपा आज तक वही सब काम मुल्क मैं कर रही है जिसका उसने विपक्ष मैं रहकर कड़ा विरोध किया था.
ऐसा क्यूं हो रहा है क्या जानते हैं आप लोग नहीं ना तब मैं थोड़ा सा इशारा अपनी छोटी सी अक्ल से आपको किये देता हुँ जो आपकी समझ मैं आजाये कि ये खेल क्यूं ओर किसने खेला है ओर पप्पू ने पूरी भाजपा को पप्पू बना दिया है बस एक आदमी की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर ओर आदमी कोई ओर नहीं आप हैं यानि "केजरीवाल" मतलब समझे कि नई...? समझ जायेंगे जनाब
आज से तीन साल पहले के वक़्त मैं जायें जब कांग्रेस का विरोध बात बात पर करने वाली भापजा हुआ करती थी ओर उसका वजूद सिर्फ़ ओर सिर्फ़ दिल्ली मैं हुआ करता था बाकी मुल्क के किसी राज्य मैं कभी भाजपा ने विरोध नहीं किये कहीं सड़क नहीं घेरी कहीं कोई हंगामा नहीं किया बस उसका विरोध ओर हंगामा दिल्ली ओर दिल्ली के आसपास की सड़कों पर था ओर भाजपा के नेता बूढे़ होते जा रहे थे मतलब कि विपक्ष की भाजपा जो कांग्रेस की ही पैदाईश है वो ख़त्म होने के कगार पर थी वहीं एक आदमी मुल्क मैं अपनी मेहनत लगन ओर जनसेवक होने के नाते मुल्क की जनता के सामने जनआन्दोलन लेकर खड़ा होता है ओर सरकार को ललकारता है .
तब भाजपा के कुछ चेहरे भी उसके मंच पर जाते हैं ये दिखाने ओर बदनाम करने के लिए कि ये आदमी हमारा ही प्यादा है यानि संघ का नया चेहरा है, उनका मक़सद था उसकी बढ़ती लोकप्रियता को रोकना ओर ये साबित करना कि अरविंद केजरीवाल की अपनी कोई सोच नहीं है वो तो बस मोहरा है डोर तो किसी ओर के हाथों मैं है.
वहीं मंच पर पहुंचने के बाद भी भाजपाईयों ने कहना शुरू किया कि केजरीवाल कांग्रेस का मोहरा है सुना भी होगा आप लोगों ने भाजपाई क्या कहा करते थे ओर कांग्रेसी क्या ओर क्यूं ये सब ड्रामा किया जा रहा था जबकि सदन के अंदर दोनों ही एक हुआ करते थे ओर उनको डर था कि अब देश हम दोनों के हाथ से निकलकर सीधा जनता के हाथों मैं जाने वाला था तब बड़े बड़े ड्रामे किये गये ओर चैलेंज किया केजरीवाल को कि अगर हिम्मत है तो चुनावी मैदान मैं आओ ओर देखो देश ओर दिल्ली की जनता क्या कहती है.
तब अरविंद केजरीवाल ओर ओर उनकी टीम ने एक राय होकर ना चाहते हुए भी एक पार्टी का गठन किया ओर नाम रखा "आम आदमी पार्टी" ओर कूद पड़े जनता के बीच ओर कैसे कूदे ये आपने देख ओर दिखा ही दिया.
वहीं अब आते हैं कांग्रेस पप्पू की पार्टी है या उसने किसी के डर ओर अपना काम निकलवाने के लिए भाजपा को पप्पू बनाया है बात साफ़ सी ओर सबके सामने है ओर थोड़ा जुमलों के बारे मैं सोचे क्या कहा था भाजपा ने लोक सभा चुनाव से पहले कि हम तीन सौ प्लस सीट पर जीत रहे हैं ओर यूपी मैं 73 सीटें हमारी होंगी क्या किसी ने यक़ीन किया था उस वक़्त ओर आज भी कोई कर सकता है, क्या क्या वादे किये थे किसी वादे पर अमल की सोची है नहीं ना तब साफ़ है दिल्ली के हशर को देखकर कांग्रेस ने थाली मैं रखकर भाजपा की ये सरकार बनवाई थी वो भी ईवीएम की बदौलत क्यूंकि बिना केन्द्र सरकार की मदद या आदेशों के चुनाव आयोग इतना बड़ा क़दम नहीं उठा सकता ओर ये सब चुनाव आयोग ने पैसे की ख़ातिर नहीं किया है इसकी दो वजह हैं एक तो देश विदेश की नीतियों मैं भाजपा का अड़ंगा लगाकर काम रोकना दूसरे भाजपा का विपक्ष ही से हमेशा के लिए सफ़ाया हो जाना ओर नये विपक्ष के रूप मैं आम आदमी पार्टी का काबिज़ होना ओर बाद मैं सत्ता परिवर्तन होने पर सच मैं कांग्रेस मुक्त भारत हो जाना...
हो सकता है मेरी सोच ग़लत हो लेकिन सोचना ज़रूर मेरी लाईन पर आकर धन्यवाद सहित
आपका ख़ादिम
सम्पादक
एस एम फ़रीद भारतीय
एनबीटीवी इंडिया डाट काम
सदस्य (पीयूसीएल)
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