Friday, 19 May 2017

तीन तलाक़ तीन तलाक़ तीन तलाक़ क्या है ये ...?

एस एम फ़रीद भारतीय
तीन तलाक़ पर हंगामा करने वाली मुस्लिम नामक औरतों के साथ हंगामा मचा रहे चैनल्स ओर सरकार की सोच पर मुझको जहां हंसी आती है वहीं अफ़सोस भी हो रहा है ओर सबसे ज़्यादा अफ़सोस कानून की सोच पर है कि कैसे देश की अहम ज़रूरतों से ध्यान हटाकर चंद मंदबुद्धि औरतों की
आवाज़ पर कानून ओर देश का पैसा ओर वक़्त बर्बाद कर रहे हैं ।

जो धर्म ओर इस्लाम को नहीं जानते वो समझ लें कि अल्लाह की पाक किताबों मैं हर जायज़ सवाल का जवाब जो बीत चुका उसका ओर जो सामने आने वाला है उसका भी माकूल जवाब अल्लाह ने दिया हुआ है, कुरआन जहां अल्लाह की आखिरी किताब है वहीं वेद भी अल्लाह की ही पाक किताबें हैं।
मिसाल के तौर पर खानपान एक मामूली सा सवाल है लेकिन इन्सान की सेहत के लिए कैसा खानपान हो ओर किस तरहां से हो ये भी मौजूद है यानि पानी पीने का सहीह तरीका क्या है ओर सहीह तरीके से पानी पीने से क्या फ़ायदे हैं आदि।
आज हमने जब जब धार्मिक ओर सुन्नत तरीकों को छोड़ कर अंग्रेज़ों के तरीके को अपनाया है तब हमारी कमाई का बड़ा हिस्सा दवाओं पर ख़र्च हो रहा है।
क्या हम आज अपने आळिमों ओर आचार्यों से दूर होकर अपने को नफ़रत की आग मैं नहीं झोंक रहे, क्या हमारी नफ़रत हमको हमारे धर्म को ओर देश को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं ...?
हमको समझना होगा कि हम क्या ओर क्यूं कर रहे हैं, वरना बहुत बड़ी मुसीबत हमको घेर लेगी ओर हम आज बहुत ख़ुश हैं कि हम अपने लिए कमा रहे हैं नहीं दोस्तों ओर साथियों ये बस हमारी सोच हो सकती है, वरना आज हम पहले से ज़्यादा अंग्रेज़ों के लिए कमा रहे हैं ओर हमारी डौर किसी ना किसी तरहां आज भी अंग्रेज़ों के हाथ मैं है॥
तीन तलाक़ भी कुछ भटकी हुई अंजान तड़क भड़क वाली सोच रखने वाली औरतों की देन है वरना जो वेद गीता, कुरआन ओर सहीह हदीस को जानती है वो औरत सड़क पर आवाज़ तो क्या अपने घर मैं भी अपनी आवाज़ को ग़ैर मर्दों के कानो मैं नहीं पड़ने देगी॥
सोचो पहले क्या परदा सिर्फ़ मुस्लिम औरतें ही किया करती थी, क्या घूंघट मैं सिर्फ मुस्लिम औरतें ही रहा करती थीं ओर आज भी गांवों मैं चले जायें तब मालूम हो जायेगा धर्म ओर शर्म क्या है॥।
वक़्त मिले तो सोचना कैसे ...?
आपका दोस्त

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