एस एम फ़रीद भारतीय
दोस्तों, बात करने में अल्फ़ाज़ों का बहुत बड़ी अहमियत हुआ करती है, एक ही बात हो हम अलग अलग ढंग से कह सकते हैं ताकि लोग उस बात के साथ साथ बात करने वाले के Emotions को भी समझ पाएं, आइये आज आप को एक small story सुनाता हुँ जो अल्फ़ाज़ों की
अहमियत को समझा देगा।
किसी इमारत के सामने एक अंधा अपनी टोपी को सामने रखे भीख मांग रहा था, साथ ही उसने एक तख्ती लगा रखी थी जिसपर लिखा था
“मैं अंधा हूँ मेरी मदद कीजिए”
अल्फ़ाज़ों को समझने वाला एक आदमी का उधर से गुजर हुआ जिसने देखा कि अंधा तो सच मैं रहम के लायक है मगर उसकी टोपी में कुछ सिक्कों के सिवा कुछ भी नहीं है।
अंधे से पूछे बिना उसने तख्ती उठाई और पहले वाली लिखावट मिटाकर एक नई लिखावट लिख दी।
देखते ही देखते टोपी में सिक्के और नोट गिरना शुरू हो गए, अंधे ने महसूस किया कि कुछ परिवर्तन जरूर आई है और शायद आई भी इस पट्टिका की लिखावट है जिसपर वह कुछ लिखा जाना लगा था, एक पैसे डालने वाले से उसने पूछा उस तख्ती पर क्या लिखा है?
उसने बताया कि लिखा है,
“हम बहार के मौसम में रह रहे हैं, लेकिन मैं इस बहार की लाई हुई ख़ूबसूरती को देख नहीं सकता”
इंसान को समझाने के लिए सही अल्फ़ाज़ों की पहचान ओर चुनाव ज़रूरी है, समझो ओर समझाओ दोस्तों ज़िंदगी तो जानवर भी जीते हैं, मगर इंसान की ज़िंदगी दूसरों की ख़ुशी के लिए भी हो इससे बेहतर कुछ नहीं॥
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