एस एम फ़रीद भारतीय
आजकल टीवी पर पत्रकार आधी रात का सच दिखा रहे हैं। रात के 2 बजे किसी थाने-चौकी, पिकेट में घुस जा रहे हैं और वहाँ सो रहे पुलिस वालों को दिखा के कहते हैं कि देखिये पुलिस सो रही है ।
Investigative Journalism।
मामले समस्या की जड़ में,
तह में जा के कारण और समाधान खोजना।
यदि आप हिन्दुस्तान की किसी चौकी थाने में जाएँ और वहाँ आपको कोई सिपाही या थानेदार बा वर्दी सोता हुआ मिल जाए , तो उसे उठाने से पहले 4 बार सोचिये ।
अगर उठा दिया तो पहले ये पूछिए , भैया कब से सो रहे हो आखिरी बार अपने घर / बैरक के बिस्तर पे चैन की नींद पूरे 6 - 8 घंटे कब सोये थे ।
आखिरी weekly off कब मिला था ? कितने साल पहले ?
बीबी बच्चों की शक्ल देखे कितने दिन / हफ्ते / महीने हुए ।
पिछले कितने घंटे से लगातार duty कर रहे हो ?
खाना खाया ?
जी हाँ मित्रों, समाज में हमारी police की प्रचलित image जो भी हो , पर जिन विकट परिस्थितियों में हमारी पुलिस काम करती है , वो असलियत में आप जान जाएंगे तो आपकी रूह काँप जायेगी ।
क्या आप जानते हैं कि Police को साल में एक भी weekly off नहीं मिलता । जैसे आप Saturday Sunday और इसके अलावा दीवाली होली ईद और गुरुपर्व पे छुट्टी मनाते हैं - Police कोई कोई Sunday या दिवाली दशहरा नहीं मिलता । वो हफ्ते में सातों दिन काम करते हैं । और रोज़ाना 14 से 16 घंटे ।
कभी कोई emergency आ जाए या कोई VIP duty या VIP movement हो जाए तो ये लगातार 24 - 48 घंटे भी हो जाता है ।
किसी का धरना प्रदर्शन हो तो non stop 48 घंटे पुलिस duty आम बात है ।
काम के घंटे fix न होने के कारण खाना नहाना घर परिवार सब disturb रहता है ।
कल्पना कीजिये कि आप पिछले 15 दिन से लगातार 24 घंटे रोजाना ड्यूटी दे रहे हैं और रात दो बजे आपकी कुर्सी पे बैठे बैठे आँख लग जाए और ऐसे में कोई टीवी पत्रकार आ जाए कैमरा ले के ।
मैं तो ऐसे पत्रकार को बैठा लूँगा और कहूँगा , भैया मेरे साथ 15 दिन रहो दिन रात मेरा जीवन जी के देखो, फिर बात करना ।
भारत की police बेहद सीमित संसाधनों में , बेहद stressed और charged माहौल में , बिना किसी professional training के , बहुत उम्दा काम कर रही है ।
130 करोड़ लोगों के इस विशाल और बेहद corrupt देश में , बेहद सीमित संसाधनों में हमको अमेरिका की FBI जैसी policing की उम्मीद नहीं करनी चाहिए ।
देश को police reforms की ज़रूरत है ।
सवाल पूछने हैं तो चौकी , picket या PCR में सोते हुए सिपाही से नहीं बल्कि अपने system पूछिए , CM से पूछिए , PM से पूछिए कि पुलिस वाला पिछले 24 घंटे से लगातार ड्यूटी पे क्यों है ?
उसके खाने पीने सोने की क्या व्यवस्था है बैरक में ।
उसको weekly off क्यों नहीं मिलता ?
उससे एक हफ्ते में 48 घंटे से अधिक काम क्यों लिया जाता है, ये सवाल ऊपर वालों से पूछो ये सवाल मिला है मुझको ओर मेरा जवाब है ये ।
बिल्कुल सही कटु सत्य मैं मानवाधिकार कार्यकर्ता हुँ समझ सकता हुँ हमारी पुलिस की क्या परेशानियां हैं ओर क्यूं हैं ।
जहां इन समस्याओं का सवाल है बेशक ये जायज़ हैं ओर इनसे छुटकारा मिलना भी चाहिए ।
लेकिन दूसरा सच ये भी है कि पुलिस इस परेशानी को पैदा करने मैं ख़ुद भी उतनी ही ज़िम्मेदार है जितनी देश ओर प्रदेशों की सरकारें ।
मुझको ये तफ़्सील से बताने की ज़रूरत नहीं आप ये जानते होंगे।
बस एक बात मैं कहना चाहुँगा जिस दिन हमारे मुल्क ओर प्रदेशों की पुलिस अपने रूत्बे के मुताबिक काम करने लगी उस दिन मुल्क मैं चैन अमन ओर भाई चारा फिर से कायम हो जायेगा ओर देश को लूटने वालों से छुटकारा मिल जायेगा।
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