Sunday, 27 August 2017

क्या बलात्कारी राम-रहीम का अनुयायी हो सकता है ?

एस एम फ़रीद भारतीय
खोज ख़बर, गुरमीत राम-रहीम ?
गुरमीत राम रहीम सिंह डेरा सच्चा सौदा प्रमुख है, गुरमीत राम रहीम सिंह सिद्धू मूल का पंजाबी जाट है, राम रहीम का पहला म्यूजिक ऐल्बम 'हाइवे लव चार्जर' नाम से 2014 में आया था, गुरमीत राम रहीम सिंह ने 2015 में फिल्मों में प्रवेश किया था, 5 फिल्में कर
चुका हैं राम रहीम, सिरसा के डेरा सच्चा सौदा की कमान राम रहीम ने 90 के दशक में संभाली थी.
डेरा सच्चा सौदा आश्रमों की एक श्रृंखला है, संत मत का अनुसरण करने वाले इस आश्रम का मुख्यालय हरियाणा के सिरसा में बेगू मार्ग पर स्थित है, इसकी स्थापना सन् १९४८ में एक संत शाह मस्ताना जी ने की थी.
जन्म 15 अगस्त 1967 (आयु 50) श्री गुरूसार मोदिया राजस्थान भारत 
आवास सिरसा हरियाणा भारत 
राष्ट्रीयता भारतीय
कारोबारी साम्राज्य- गुरमीत राम रहीम के भारत के कई राज्यों में आश्रम हैं, जिनमें हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं.

ये धार्मिक लीडर, माॅल, बाज़ार, होटल्स, बसें, फ़िल्मकार, एक्टर्स, गायक, संगीतकार
फ़िल्मस-
एमएसजी: द मैसेंजर 2015
एमएसजी: द वारियर लॉयन हार्ट 2016
एमएसजी - 2 द मेसेंजर 2015
सक्रिय वर्ष 1990–अब तक 
संगठन डेरा सच्चा सौदा
बच्चे- चार 
माता-पिता माघर सिंह, नसीब कौर

सिरसा में सैकड़ों एकड़ में बने दो आश्रम हैं, डेरा सच्चा सौदा ट्रस्ट का एक मार्केट कॉप्लैक्स भी है, जिसमें प्रत्येक दुकान का नाम 'सच' से शुरू होता है, मसलन सच हार्डवेयर, सर्च मेडिकल स्टोर एवं सच पेट्रोल पंप, यहाँ स्कूल, रेस्तरां, अनाथ लड़कियों के लिए शेल्टर, तीन अस्पताल और होटल भी हैं ओर अपनी सेना बनाने के भी आरोप हैं.
गुरमीत राम रहीम पर अदालत में हत्या, बलात्कार और जबरन नसबंदी कराने का मामला चल रहा है.
नसबंदी के मामले में प्रशासन ने अदालत के आदेश के बाद सात लोगों की चिकित्सीय जांच कराकर पाया कि उनकी नसबंदी हुई थी.
जनहित याचिका दाखिल करने वाले हंसराज चौहान के मुताबिक गुरमीत राम रहीम के निर्देश पर चार सौ लोगों की जबरन नसबंदी हुई, सीबीआई इस मामले की भी जांच कर रही है, क्यूं हुई ये आप समझ सकते हैं ?
इन गंभीर आरोपों के अलावा हाई कोर्ट ने सिरसा ज़िला प्रशासन को गुरमीत राम रहीम के आश्रम में हथियार होने की जांच करने को कहा था. पिछले सप्ताह ही पुलिस अधिकारियों ने डेरा सच्चा सौदा की तलाशी ली, लेकिन तलाशी में क्या मिला इसपर पुलिस ने कुछ भी नहीं कहा है.
अब आते हैं आज के राम-रहीम ओर असल राम-रहीम की जीवनी पर ?
राम (रामचन्द्र), प्राचीन भारत में अवतरित, भगवान हैं, हिन्दू धर्म में, राम, विष्णु के १० अवतारों में से सातवें हैं, राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है.
राम पर तुलसीदास ने भी भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस रचा था, खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूजनीय हैं, रामचन्द्र हिन्दुओं के आदर्श पुरुष हैं,
राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी
कौशल्या के सबसे बडे पुत्र थे, राम की पत्नी का नाम सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं)

राम के तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ! हनुमान , भगवान राम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते है, राम ने राक्षस जाति के राजा रावण का वध किया.
राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है, राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता पिता, यहाँ तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा, इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है, राम रघुकुल में जन्में थे, जिसकी परंपरा प्राण जाए पर वचन ना जाये की थी, पिता दशरथ ने सौतेली माता कैकेयी को वचन दिया था, उसकी 2 इच्छा ( वर) पुरे करने का, कैकेयी ने इन वर के रूप में अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा और राम के लिए 14 वर्ष का वनवास माँगा.
पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया, (यहां आज के राम राज्य के बारे मैं ज़रूर सोचें?) पत्नी सीता ने आदर्शपत्नी का उदहारण पेश करते हुए पति के साथ वन जाना पसंद किया, सौतेले भाई लक्ष्मण ने भी भाई का साथ दिया, भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका ( चप्पल) ले आए.
फिर इसे ही राज गद्दी पर रखकर राजकाज किया, राम की पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया, राम ने उस समय की एक जनजाति वानर के लोगो की मदद से सीता को ढूंढा, समुद्र में पुल बनाकर रावण के साथ युद्ध किया, उसे मार कर सीता को वापस लाये, जंगल में राम को हनुमान जैसा दोस्त और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये.
राम के आयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया, राम न्याय प्रिय थे, बहुत अच्छा शासन् किया इसलिए आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं, इनके पुत्र कुश व लव ने इन राज्यों को संभाला, हिन्दू धर्म के कई त्यौंहार, जैसे दशहरा और दीपावली, राम की जीवन-कथा से जुड़े हुए हैं.
जन्म रामचरितमानस बालकाण्ड से.
वैज्ञानिक तथा प्लेनिटेरियम सॉफ्टवेयर के अनुसार राम जन्म 4 दिसम्बर 7,393 ई° पूर्व हुआ था, यह गणना हिन्दू कालगणना से मेल खाता है.

वाल्मीकि पुराण के अनुसार राम जन्म के दिन पाँच ग्रह अपने उच्च स्थान में स्थापित थे, नौमी तिथि चैत्र शुक्लपक्ष तथा पुनर्वसु नक्षत्र था, जिसके अनुसार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था.
वाल्मीकि तथा तुलसीदास नें अपने ग्रंथों में लिखा है कि रामजन्म मध्यान्ह में हुआ था, पीवी वर्तक के अनुसार वाल्मीकि रामायण जैसी परिस्थितियाँ राम जन्म के दिन दोपहर 12:25 बजे.
राम के जीवन की प्रमुख घटनाएँ ?
बालपन और सीता-स्वयंवर पुराणों तथा किवदंतियों में श्री राम के जन्म के बारे में स्पष्ट प्रमाण मिलते कि श्री राम का जन्म उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के अयोध्या नमक नगर में हुआ था, अयोध्या जो कि भगवान् राम के पूर्वजों की ही राजधानी थी, राम चन्द्र के पूर्वज रघु थे.

बचपन से ही शान्त स्वभाव के वीर पुरूष थे, उन्होंने मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया था, इसी कारण उन्हे मर्यादा पुरूषोत्तम राम के नाम से जाना जाता है, उनका राज्य न्यायप्रिय और खुशहाल माना जाता था, इसलिए भारत में जब भी स्वराज की बात होती है, रामराज या रामराज्य का उदाहरण दिया जाता है.
धर्म के मार्ग पर चलने वाले राम ने अपने तीनों भाइयों के साथ गुरू वशिष्ठ से शिक्षा प्राप्त की, किशोरवय में विश्वामित्र उन्हें वन में राक्षसों द्वारा मचाए जा रहे उत्पात को समाप्त करने के लिए ले गये, राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी इस काम में उनके साथ थे.
ताड़का नामक राक्षसी बक्सर (बिहार) में रहती थी, वहीं पर उसका वध हुआ, राम ने उस समय ताड़का नामक राक्षसी को मारा तथा मारीच को पलायन के लिए मजबूर किया, इस दौरान ही विश्वामित्र उन्हें मिथिला ले गये, वहाँ के विदेह राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए एक समारोह आयोजित किया था, जहाँ शिव का एक धनुष था जिसकी प्रत्यंचा चढ़ाने वाले शूरवीर से सीता का विवाह किया जाना था, बहुत सारे राजा महाराजा उस समारोह में पधारे थे, बहुत से राजाओं के प्रयत्न के बाद भी जब धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर धनुष उठा तक नहीं सके, तब विश्वामित्र की आज्ञा पाकर राम ने धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने की प्रयत्न की, उनकी प्रत्यंचा चढाने की प्रयत्न में वह महान धनुष घोर ध्वनि करते हुए टूट गया.
महर्षि परशुराम ने जब इस घोर ध्वनि सुना तो वहाँ आ गये और अपने गुरू (शिव) का धनुष टूटनें पर रोष व्यक्त करने लगे, लक्ष्मण उग्र स्वभाव के थे, उनका विवाद परशुराम से हुआ, तब राम ने बीच-बचाव किया, इस प्रकार सीता का विवाह राम से हुआ और परशुराम सहित समस्त लोगों ने आशीर्वाद दिया.
अयोध्या में राम सीता सुखपूर्वक रहने लगे, लोग राम को बहुत चाहते थे, उनकी मृदुल, जनसेवायुक्त भावना और न्यायप्रियता के कारण उनकी विशेष लोकप्रियता थी, राजा दशरथ वानप्रस्थ की ओर अग्रसर हो रहे थे, अत: उन्होंने राज्यभार राम को सौंपनें का सोचा, जनता में भी सुखद लहर दौड़ गई की उनके प्रिय राजा उनके प्रिय राजकुमार को राजा नियुक्त करनेवाले हैं, उस समय राम के अन्य दो भाई भरत और शत्रुघ्न अपने ननिहाल कैकेय गए हुए थे, कैकेयी की दासी मंथरा ने कैकेयी को भरमाया कि राजा तुम्हारे साथ गलत कर रहें है, तुम राजा की प्रिय रानी हो तो तुम्हारी संतान को राजा बनना चाहिए पर राजा दशरथ राम को राजा बनाना चाहते हैं.
राम के बचपन की विस्तार-पूर्वक विवरण स्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस के
बालकाण्ड से मिलती है.
राजा दशरथ के तीन रानियाँ थीं: कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी !

सीता का हरण
राम एवं सुग्रीव का मिलान, वनवास के समय, रावण ने सीता का हरण किया था, रावण एक राक्षस तथा लंका का राजा था, रामायण के अनुसार, जब राम , सीता और लक्ष्मण कुटिया में थे तब एक हिरण की वाणी सुनकर सीता व्याकुल हो गयी, वह हिरण रावण का मामा मारीच था, उसने रावण के कहने पर सुनहरे हिरण का रूप बनाया, सीता उसे देखकर मोहित हो गई और श्रीराम से उस हिरण का शिकार करने का अनुरोध किया.

श्रीराम अपनी भार्या की इच्छा पूरी करने चल पड़े और लक्ष्मण से सीता की रक्षा करने को कहा, मारीच श्रीराम को बहुत दूर ले गया, मौका मिलते ही श्रीराम ने तीर चलाया और हिरण बने मारीच का वध किया, मरते - मरते मारीच ने ज़ोर से "हे सीता ! हे लक्ष्मण" की आवाज़ लगायी, उस आवाज़ को सुन सीता चिन्तित हो गयीं और उन्होंने लक्ष्मण को श्रीराम के पास जाने को कहा, लक्ष्मण जाना नहीं चाहते थे, पर अपनी भाभी की बात को इंकार न कर सके, लक्ष्मण ने जाने से पहले एक रेखा खींची, जो लक्ष्मण रेखा के नाम से प्रसिद्ध है.
राम, अपने भाई लक्ष्मण के साथ सीता की खोज में दर-दर भटक रहे थे, तब वे हनुमान और सुग्रीव नामक दो वानरों से मिले, हनुमान, राम के सबसे बड़े भक्त बने.
सीता को को पुनः प्राप्त करने के लिए राम ने हनुमान, विभीषण और वानर सेना की मदद से रावन के सभी बंधु-बांधवों और उसके वंशजों को पराजित किया था और लौटते समय विभीषण को लंका का राजा बनाकर अच्छे शासक के लिए मार्गदर्शन किया.
रहीम कैसे जुड़ा, कौन हैं रहीम ?
रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम (अब्दुर्रहीम) ख़ानख़ाना था, आपका जन्म 17 दिसम्बर 1556 को लाहौर में हुआ, रहीम के पिता का नाम बैरम खान तथा माता का नाम सुल्ताना बेगम था, बैरम ख़ाँ मुगल बादशाह अकबर के संरक्षक थे, रहीम जब पैदा हुए तो बैरम ख़ाँ की आयु 60 वर्ष हो चुकी थी, कहा जाता है कि रहीम का नामकरण अकबर ने ही किया था.

रहीम को वीरता, राजनीति, राज्य-संचालन, दानशीलता तथा काव्य जैसे अदभुत गुण अपने माता-पिता से विरासत में मिले थे, बचपन से ही रहीम साहित्य प्रेमी और बुद्धिमान थे.
सन 1562 में बैरम खान की मृत्यु के बाद अकबर ने रहीम की बुद्धिमता को परखते हुए उनकी शिक्षा-दीक्षा का पूर्ण प्रबंध अपने जिम्मे ले लिया, अकबर रहीम से इतना प्रभावित हुए कि शहजादो को प्रदान की जाने वाली उपाधि "मिर्जा खान" से रहीम को सम्बोधित करने लगे.
मुल्ला मुहम्मद अमीन रहीम के शिक्षक थे, इन्होने रहीम को तुर्की, अरबी व फारसी भाषा की शिक्षा व ज्ञान दिया, इन्होनें ही रहीम को छंद रचना, कविता, गणित, तर्कशास्त्र तथा फारसी व्याकरण का ज्ञान भी करवाया, इसके बदाऊनी रहीम के संस्कृत के शिक्षक थे.
साहित्यक ?
मुस्लिम धर्म के अनुयायी होते हुए भी रहीम ने अपनी काव्य रचना द्वारा हिन्दी साहित्य की जो सेवा की वह अद्भुत है, रहीम की कई रचनाएँ प्रसिद्ध हैं जिन्हें उन्होंने दोहों के रूप में लिखा.

रहीम के ग्रंथो में रहीम दोहावली या सतसई, बरवै, मदनाष्ठ्क, राग पंचाध्यायी, नगर शोभा, नायिका भेद, श्रृंगार, सोरठा, फुटकर बरवै, फुटकर छंद तथा पद, फुटकर कवितव, सवैये, संस्कृत काव्य प्रसिद्ध हैं.
रहीम ने तुर्की भाषा में लिखी बाबर की आत्मकथा "तुजके बाबरी" का फारसी में अनुवाद किया। "मआसिरे रहीमी" और "आइने अकबरी" में इन्होंने "खानखाना" व रहीम नाम से कविता की है.
रहीम व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था, वे मुसलमान होकर भी कृष्ण भक्त थे, रहीम ने अपने काव्य में रामायण, महाभारत, पुराण तथा गीता जैसे ग्रंथों के कथानकों को लिया है.
आपने स्वयं को को "रहिमन" कहकर भी सम्बोधित किया है, इनके काव्य में नीति, भक्ति, प्रेम और श्रृंगार का सुन्दर समावेश मिलता है.
रहीम ने अपने अनुभवों को लिस सरल शैली में अभिव्यक्त किया है वह वास्तव में अदभुत है, आपकी कविताओं, छंदों, दोहों में पूर्वी अवधी, ब्रज भाषा तथा खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है, रहीम ने तदभव शब्दों का अधिक प्रयोग किया है.
अब 25 अगस्त 2017 को पंचकूला की विशेष सीबीआई (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) अदालत ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम रेप (बलात्कार) केस में दोषी करार दिया है, सजा पर फैसला 28 अगस्त 2017 को सुनाने की घोषणा की गई है.
पहले गुरमीत राम रहीम सिंह एक अभियुक्त बलात्कारी था, जिसका अपराध अब न्यायालय में सिद्ध हो चुका है, वहीं बहुत सी ताक़ते आज भी बलात्कारी को बचाने मैं लगी हैं, जिनमें नेता अभिनेता ओर पाखंडी भी हैं.
अब सोचना है राजपाठ के लिए छल कपट हत्या बलात्कार जैसे कुकर्म करने वाला क्या राम-रहीम के नियमों का पालन कर रहा है, क्या ये राम-रहीम का अनुयायी कहलाने के लायक है फ़ैसला आपके हाथ है ओर शब्दों मैं कहीं ग़लती हो तो मांफ़ी चाहुंगा ??

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