Saturday 16 December 2017

कहते हैं ना लोहे को लोहा काटता है ?


*एस एम फ़रीद भारतीय*
पहले मुस्लिम कट्टरपंथियों से देश परेशान था ये दिखाने की कोशिश की गई, बनावटी मुस्लिमों को तैयार कर लगाया गया मुस्लिमों को बदनाम करने के लिए हुआ क्या ?

देश की बेगुनाह जनता को कुर्बानी के साथ कानून के रखवालों को भी कुर्बानी देनी पड़ी देश मैं एक डर का माहौल बना आज क्या हो रहा है ?
आज हिंदुत्व के नाम पर देश मैं दहशत ओर डर का माहौल
बनाया जा रहा है सब कुछ सत्ता पाने के लिए किया गया ओर आज भी यही हो रहा है फ़र्क सिर्फ़ इतना है आज सत्ता को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा ओर कानून व कानून के रखवाले कानून का मज़ाक बनते देख रहे हैं ?
आम इंसान ही नहीं कानून के मंदिरों को भी अब अपनी चपेट मैं लेना शुरू कर दिया गया है दहशत आज कानून के रखवालों के दिलों मैं भी होगी बेशक वो किसी वजह से अपने दर्द को ब्यान नहीं कर पा रहे हों.
लेकिन एक बात है आज देश को दुनियां के सामने नीचा देखना पड़ रहा है देश दुनियां के सामने शर्मिंदा है ओर मीडिया जो प्रजातंत्र की रक्षक कहलाती है वो आंखें मूंद कर नोटों की घुट्टी पीने मैं मग्न है अपने को बेचकर देश को लुटता देख रही है क्या होगा इस देश का ये कोई नहीं जानता, हां प्लान बनाकर देश को नीचा दिखाने वाले ज़रूर जानते हैं लेकिन उनको नहीं मालूम ये देश दुनियां का सबसे सभ्य देश रहा है दो चार या सौ दो सौ के प्लान से ये देश नहीं बदलने वाला हां थोड़ा जख़्मी ज़रूर हो सकता है बस.
मुझको यक़ीन है कि देश की एकता एक बार फिर साथ मिलकर खड़ी होगी ओर देश को तोड़ने वाले या देश के कानून ओर संविधान का मज़ाक बनाने वाले देश को नोटों की घुट्टी पीकर चुपचाप देखने वाले तब बच नहीं पायेंगे, कहते हैं ना लोहे को लोहा काटता है ?

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