मत+दान कर यानि अपने वोट को किसी को जाति धर्म या किसी दबाव या बहकावे मैं दान ना करें बल्कि बड़ी ही सोच समझकर इसका उपयोग करें क्यूंकि यही एक मत हमारा ओर हमारे देश का भविष्य तय करता है.
लेकिन आज हम ना तो देश की फ़िक्र कर रहे हैं ओर ना ही अपनी ओर अपने बच्चों की ? बल्कि हम समझदार होकर भी बड़ी बड़ी बातों के झांसे मैं फंस जाते हैं
फिर हम पूरे पांच साल पछताते हैं ओर यही पछतावा हमें ओर हमारे मुल्क को कई साल पीछे धकेल देता है क्यूं, ये ग़ौर करने की ज़रूरत है ?
दोस्तों अठारह साल उम्र पूरी कर चुके हर भारतीय नागरिक को मतदान करने का अधिकार है, (अगर उसे की सक्षम न्यायालय ने पागल नहीं घोषित किया है या फिर भ्रष्टाचार तथा चु्नाव से संबद्ध किसी अपराध के लिए किसी कानून के अंतर्गत उसे मतदान के अयोग्य घोषित नहीं किया गया है).
केवल मतदाता कार्डों में शामिल लोगों के नाम ही नई मतदाता सूची में लिए जाते हैं.
निर्वाचन आयोग के द्वारा किसी क्षेत्र की मतदाता सूचियों में संशोधन का आदेश दिए जाते ही, मतदाताओं की गणना करने वाले सरकारी कर्मचारी क्षेत्र के हर घऱ में जाते हैं.
कर्मचारी घर के मुखिया और उसकी अनुपस्थिति में परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य उन सदस्यों के नाम तथा अन्य विवरण लेते हैं जो मतदाता सूची में शामिल किए जाने की पात्रता रखते हैं.
गणना करने वाले कर्मचारी इन सदस्यों की उम्र तथा आवास के प्रमाणपत्र, जन्म प्रमाणपत्र , पासपोर्ट आदि मांग सकते हैं.
इन ब्योरों से संतुष्ट होने के बाद कर्मचारी मतदाता कार्ड पर इन नामों और ब्योरों को दर्ज करता है और कार्ड पर कोड नंबर डलता है.
कर्मचारी मतदाता कार्ड की प्रति घऱ के मुखिया को देता है जिसे भविष्य में संदर्भ के लिए संभालकर रखना चाहिए.
मतदाता कार्ज के आधार पर मतदाता सूची में नाम दर्ज किया जाता है.
मतदाता कार्ड में सामान्य रुप से रहने वालों के नाम ही दर्ज किए जाते हैं, लेकिन पढ़ाई के लिए बाहर रहने वाले और छुट्टियों में घऱ आने वाले वयस्क हो चुके बच्चों के नाम भी उनके माता-पिता के पते के साथ मतदाता कार्ड में दर्ज कर लिए जाते हैं.
अगर सरकारी कर्मचारी के बार-बार जाने पर भी घऱ का मुखिया अथवा कोई वरिष्ठ व्यक्ति नहीं मिलता है तो कर्मचारी घर में एक फॉर्म छोड़ जाता है । यह फॉर्म भरकर कर्मचारी के अगली बार आने पर उसे दे देना चाहिए.
यह फॉर्म भरकर चुनाव क्षेत्र के चुनाव पंजीकरण अधिकारी अथवा क्षेत्र के चीफ चुनाव अधिकारी के पास सीधे भी भेजा जा सकता है.
सैन्यकर्मी और बाहर काम करने वालों के लिए प्रक्रिया
इन वर्गों में शामिल लोग…
संघ सरकार के अधीन सैन्य बलों में कार्यरत लोग,
आर्मी एक्ट ,1950 के अंतर्गत आने वाले किसी सैन्य बल में कार्यरत लोग,
किसी राज्य के ऐसे सैन्य बल के सदस्य , जो राज्य के बाहर कार्यरत हों,
भारत सरकार के अधीन देश से बाहर के पदों पर कार्यरत व्यक्ति.
इन वर्गों के लोग डाक मतपत्र के जरिए मतदान कर सकते हैं.
इन लोगों को रिकॉर्ड ऑफिस में उपलब्ध जरुरी फॉर्म भरने होते हैं, रिकॉर्ड ऑफिस इन्हें संबद्ध चीफ निर्वाचन अधिकारी को भेज देता है.
निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी मतदाता सूची के एक अलग भाग में इन लोगों का नाम दर्ज करता है.
मतदाताओं की गणना का पूरा हो जाने पर , कच्ची मतदाता सूचियां तैयार की जाती हैं और इन्हें प्रकाशित करके लोगों से कहा जाता है कि अगर उनके दावे अथवा आपत्तियां हों तो दर्ज कराएं.
अपने परिवार के वयस्क सदस्यों के नाम मतदाता सूचियों में दर्ज किया जाना सुनिश्चित करें.
अगर कच्ची मतदाता सूची में आपके घर के किसी वयस्क सदस्य का नाम नहीं है तो निर्धारित फॉर्म में दावा पेश करें.
इस दौरान आपको प्रमाण के रूप में मतदाता कार्ड की प्रति पेश करनी पड़ सकती है.
किसी तरह की परेशानी होने पर चुनाव पंजीकरण अधिकारी या जिला निर्वाचन अधिकारी या चीफ निर्वाचन को शिकायत कर सकते हैं.
आप सीधे निर्वाचन आयोग को भी शिकायत कर सकते हैं.
मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण बातें
कोई व्यक्ति एक से ज्यादा चुनाव क्षेत्रों में मतदाता के रुप में पंजीकृत नहीं हो सकता है.
कोई व्यक्ति एक ही चुनाव क्षेत्र के एक से ज्यादा हिस्सों में मतदाता नहीं हो सकता है.
मतदाता कार्ड पर गलत जानकारी देने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अंतर्गत गलत जानकारी देने के अपराध में एक साल की कैद या जुर्माना या दोनों सजाएं हो सकती हैं.
अगर मतदान केंद्र ऐसी जगह हो जहां पहुंचना संभव न हो या दूरी ज्यादा हो या आसपास अपराधियों का इलाका हो या राजनीतिक दलों के दफतर करीब हो या आस-पास कोई धार्मिक स्थल हो.
मतदान केंद्र बहुत तंग जगह पर हो और केंद्र में प्रवेश करने तथा निकलने के अलग-अलग रास्ते न हों.
एक ही इमारत में बहुत अधिक मतदान केंद्र हों, तो इसकी शिकायत करें.
ऊपर उल्लिखित समस्याओं के बारे में जिला चुनाव अधिकारी या निर्वाचन अधिकारी या चीफ चुनाव अधिकारी या निर्वाचन आयोग से शिकायत करें.
मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी से आग्रह करें कि आपकी राय अपनी डायरी में दर्ज करें.
अगर मतदाताओं या कैंडीडेटों के एजेंटों या मतदान करवाने वाले कर्मचारियों को डराया- धमकाया जाता है.
मतदान केंद्रों पर कब्जा और अथवा गड़बड़ी फैलाई जाती है.
चुनाव प्रचार तथा लोगों से पैसा वसूलने के लिए गुंडों की मदद ली जाती है तो इसकी शिकायत करें.
पीठासीन अधिकारी या निर्वाचन अधिकारी या जिला चु्नाव अधिकारी या चीफ चुनाव अधिकारी या फिर निर्वाचन आयोग से शिकायत कर सकते हैं.
न्यायिक मजिस्ट्रेट से शिकायत कर सकते हैं.
लोकपाल नियुक्त हो तो उससे शिकायत कर सकते हैं.
हर हिंसक घटना की थाने में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं.
चुनाव में बेहिसाब पैसों के खर्च की शिकायत, स्थानीय आयकर अधिकारियों से शिकातय करें, निर्वाचन आयोग के चुनाव प्रेक्षक से शिकायत करें, निर्वाचन आयोग के चुनाव व्यय प्रेक्षक से शिकायत करें, राज्य सरकार से शिकायत करें, पुलिस से शिकायत करें, न्यायिक मजिस्ट्रेट शिकायत करें, निर्वाचन अधिकारी या जिला चुनाव अधिकारी या चु्नाव अधिकारी या निर्वाचन अधिकारी से शिकायत करें.
मतदान करवा रहा सरकारी कर्मचारी अगर अपने राजनैतिक झुकाव की वजह से अपना दायित्व ठीक से नहीं निभाता है तो आप पुलिस अथवा न्यायिक मजिस्ट्रेट से उसकी शिकायत कर सकते हैं.
कानून व्यवस्था के प्रभारी अथवा कर्मचारी आपको परेशान करते हैं तो, जिला चुनाव अधिकारी या निर्वाचन अधिकारी या चुनाव अधिकारी या निर्वाचन आयोग से शिकायत करें, राज्य के पुलिस महानिदेश के शिकायत करें, राज्य के चीफ सचिव से शिकायत करें, संघ सरकार के गृहमंत्रालय से शिकायत करें.
राजनैतिक दलों द्वारा दीवारों और घरों पर नारे लिखना अपराध है। इसके खिलाफ नीचे लिखी कार्रवाईयां की जा सकती हैं
राजनैतिक दल के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करा सकते हैं, संपत्ति के नुकसान का सिविल दावा दर्ज करा सकते हैं, निर्वाचन आयोग के प्रेक्षकों से शिकायत कर सकते हैं, निर्वाचन अधिकारी या जिला चुनाव अधिकारी या चीफ चुनाव अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं, पुलिस से शिकायत कर सकते हैं.
चुनावों के दौरान निर्धारित समय के अलावा अथवा बहुत ऊंची आवाज में लाउज स्पीकरों के इस्तेमाल के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं.
जिला प्रशासन से शिकायत कर सकतें हैं, पुलिस से शिकायत कर सकते हैं, निर्वाचन आयोग के प्रेक्षक से शिकायत कर सकते हैं, निर्वाचन अधिकारी या जिला निर्वाचन अधिकारी या निर्वाचन आयोग से शिकायत कर सकते हैं.
अगर कोई व्यक्ति नकली दस्तावेज या वोटर कार्ड बनाने का काम करता है, तो उस पर आईपीसी की धारा 471 के तहत फर्जीवाड़ा, 467 के तहत धोखा देने व इस संबंध में उपयोग आने वाले उपकरण को रखना या कब्जे में रखने के आरोप में धारा 473 के तहत मुकदम चलाया जा सकता है । मामला साबित होने पर आरोपी को आजीवन कारावास या कम से कम दस वर्ष का कारावास व आर्थिक दण्ड लगाया जा सकता है.
फर्जी वोटर कार्ड या अन्य नकली दस्तावेज को इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति यह जानते हुए कि वह नकली है, फिर भी उसका इस्तेमाल करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 471 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। मामला साबित होने पर व्यक्ति को आजीवन कारावास या कम से कम दस वर्ष की सजा या आर्थिक दण्ड हो सकता है.
अब वोटर आईडी और आधार से भी बन जाएगा पैन कार्ड अब वोटर कार्ड के लिए नहीं लगानी होगी लाइन आधार से लिंक हुए 15 लाख वोटर आईडी कार्ड अब एटीएम कार्ड जैसे वोटर कार्ड मतदाताओं को मिलेंगे.
क्या इतने संविधानिक अधिकारों को जानने के बाद भी हम लाचार मजबूर या किसी के हाथ की कठपुतली बनेंगे ये बड़ी सोच ओर फ़िक्र की बात है, जब हम अपने को जाति धर्म या किसी पार्टी से विशेष से जोड़ लेते हैं तभी हम ख़ुद भी पीछे चले जाते हैं ओर अपने देश को भी पीछे ले जाते हैं, तब यही संवैधानिक अधिकार किसी के हाथ के ग़ुलाम हो जाते हैं, ओर इनका निशाना भी हमीं होते हैं ?
वक़्त मिले तो सोचना हमने क्या खोया है ओर क्या पाया है, हमें कहां होना चाहिए था हम कहां हैं ?
जयहिन्द जयभारत
एस एम फ़रीद भारतीय
Farid Bharti
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