Wednesday 7 February 2018

शैतानियत को हमने दावत दी है ओर दे रहे है ?

क्या आप मोमिन हैं ओर अगर हैं तब क्या आप इतना भी नहीं जानते कि टॉयलेट और बाथरूम खबीस और शरारती जिन्नों के रहने की जगह होते हैं क्योंकि वो गन्दी जगहों पर रहना ज़्यादा पसन्द करते हैं ?
पुराने ज़माने में टॉयलेट बाथरूम घरो में नही बनाई जाती थीं बल्कि कज़ाये हाजत के लिए लोग घरो और आबादी से दूर वीरानो में जाया करते थे या खेतो झाड़ियों में
चले जाया करते थे और औरतों के लिए हवेली में एक कोने में दूर रहती थी टॉयलेट क्यूंकि मकान बहुत बड़े हुआ करते थे।
वक्त बदला लोग सहूलियात के आदि होते गए और टॉयलेट को घरों के सबसे आखिरी छोर पर दरवाज़े के बाहर बनाया जाने लगे फिर उसके बाद ये घरो के अंदर बनाये जाने लगे, वक़्त बदलता रहा ओर आज तो हालात ये हो गए हैं की टॉयलेट बाथरूम घर के अंदर हर कमरे में "अटैच" बनाये जाने लगे हैं जो कि हर घर की ज़रूरत बन चूका है,
हमारे मुल्क की ही नहीं तमाम दुनियां की सरकारें भी आज शैतानियत को घरों मैं लाने का काम बड़े ज़ोर शोर से कर रही हैं यही वजह है आज शैतानियत बाहर से निकल कर हमारे घरों ओर दिलों मैं बस गई है?
आज हम लोग खबीस जिन्नातो और शयातीन को घर के अंदर ले आये हैं और हर कमरे में ला कर बसा दिया है इस वजह से आज हर घर में परेशानियों बीमारियों और लड़ाई झगड़ो में इज़ाफ़ा हों गया है लेकिन?
ऐसी सूरत ए हाल में मोमिन को घबराने की नहीं बल्कि क़ुरआन ओर हदीसों को समझ कर इनका हल निकालने की ज़रूरत है, आज के हालातों पर अगर हम नज़र डालें तब हमारी इबादतगाहें भी इससे ख़ाली नहीं हैं ?
टॉयलेट बाथरूम हमेशा इस्तेमाल की ज़रूरत नहीं है तब क्यूं ये हमारी इबादतगाहों के अंदर बनी है ऐसे ही दौर के लिए यानि दुनियां मैं आने वाले जमाने के लिए क़ुरआन मैं सब कुछ पहले ही बता दिया गया है, हम नासमझ ना शुकरे आज परेशान इसीलिए हैं कि हमको वक़्त ही नहीं है क़ुरआन ओर हदीसों को जानने का ना ही हमारे उलेमाओं को फ़िक्र है ऐसे हालातों से बाख़बर करने की, आज इनको घर से बाहर करना मुमकिन नही है फिर इन खबीस जिन्नातो और शैतानो से बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए ?
आइये मुहम्मद ए अरबी नबी ऐ करीम ﷺ  से जानते हैं ऐसे मोडर्न दौर में क्या हुक्म है इन खबीस जिन्नातो से बचने के लिए क्या फ़रमाया है...?
मसनून दुआओ के एहतिमाम से इन खबीस जिन्नों के शर से बचा जा सकता है घर में दाखिल होते हुए पहले सलाम की आदत बना लें.
घर का बच्चा हों या बड़ा सबको टॉयलेट में दाखिल होने और बाहर निकलने की दुआ सीखा दें और पाबन्दी से एहतिमाम की आदत डालें.
जो लोग अपने घर में बीमारियों परेशानियो और लड़ाई झगड़ो से आजिज़ आ चुके हैं, वो इस अमल को पाबन्दी से करें चन्द दिनों में हैरत अंगेज़ परिणाम देखने को मिलेंगे.
ख़ास बात ये है की टॉयलेट में दाखिल होते हुए अपने सर को ढक कर अन्दर जायें और कभी भी पहले सीधा पैर यानी दांया पैर अंदर न रखें हमेशा उल्टा यानी बांया पैर रखें इसी तरह निकलते हुए पहले सीधा पैर बाहर रखें फिर बांया पैर बाहर रखें
टॉयलेट में दाखिल होने की मसनून दुआ पड़े
ﺍَﻟﻠّٰﮩُﻢَّ ﺇﻧِّﯽْ ﺍٔﻋُﻮْﺫُ ﺑِﮏَ ﻣِﻦَ ﺍﻟْﺨُﺒُﺚِ ﻭَﺍﻟْﺨَﺒَﺎﺋِﺚ
(बुखारी,मुस्लिम)
"अल्लाहुम्मा इन्नी अ ऊज़ुबिका मिनल खूबूसि वल खबाइस"
(ए अल्लाह मैं खबीस शैतानो और शैतानियों से तेरी पनाह में आता /आती हूँ)

टॉयलेट से निकलते हुए ये दुआ पढ़ें
ﻏُﻔْﺮَﺍﻧَﮏ "َ ग़ुफ रा नक
(तिर्मिज़ी,अबूदाऊद,इब्ने माजा)
(ए अल्लाह मैं तुझसे माफ़ी चाहता/चाहती हूँ)

सम्पादित करके 
एस एम फ़रीद भारतीय
+919997554628

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