Friday, 9 February 2018

हां मैं गद्दार हुँ क्यूंकि मीर उस्मान अली की क़ौम से हूँ ?

हमको गद्दार कहने वाले गद्दारों सुन लो, मीर उस्मान अली कौन हैं क्या जानते हैं आप ?
एस एम फ़रीद भारतीय
एक ग़द्दार का लेख ?
नहीं ना तब मुस्लिमों को पाकिस्तानी ओर ग़द्दार कहने वाले गद्दारों सुन लो ओर समझ लो ये कोई कहानी नहीं कडवी सच्चाई आपको मैं ब्यान कर रहा हुँ ये भारत ही नहीं दुनियां के एक एतहासिक भारतीय का नाम है मीर उस्मान अली हैदराबादी निज़ाम ?

बात सन १९६५ की है जब भारत पाकिस्तान
युध्द चल रहा था ओर उस वक़्त देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी थे उस वक्त भारत जंग के साथ आर्थिक तंगी से भी जूझ रहा था ओर देश मैं जंगी हालात होने वाले थे मंगाई आसमान को छूती ओर उस हालत मैं देश मैं लूटमार शुरू हो जाती ?
तब भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने रेडियो ओर अख़बारों के जरिये देश से एक अपील की कि देश को तुम्हारी मदद की ज़रूरत है, आप लोग आगे आयें ओर देश को बचाने के लिए दिल खोलकर चंदा दें लोगों ने इस अपील को बहुत ग़ौर से सुना ओर अमल करने वालों ने अमल करते हुए अपनी हैसियत के हिसाब से देश के लिए चंदा दिया, लेकिन प्रधानमंत्री की बार बार अपील साबित कर रही थी कि ये मदद ना काफ़ी है सारे ही राजे रजवाड़े अपनी दौलत को छुपाये बैठे थे !
आज देशभक्ती का पाठ पढ़ाने वाले संघी जो बड़े गल्ले वाले व्यापारी भी थे सबके सब अपने माल पर कुंडली मारे बैठे थे ओर ये इंतज़ार कर रहे थे कब भारत कमज़ोर हो ओर हारे मैं तो यही कहुंगा!
तब ये प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पुकार हैदराबाद के निज़ाम मीर उस्मान अली के कानों तक पहुंची ओर वो बैचेन हो गये, इसी बैचेनी मैं आपने देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को फ़ोन कर कहा कि आप हैदराबाद आयें, तब प्रधानमंत्री ने कहा कि देख नहीं रहे जंग चल रही है तब निज़ाम मीर उस्मान अली साहब ने कहा मैं उसी सिलसिले मैं आपको दावत दे रहा हुँ जल्द से जल्द आप आयें तब प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी निज़ाम हैदराबाद के पास हवाई जहाज़ से पहुंचे ओर आप लोगों को यक़ीन नहीं आयेगा उस वक़्त निज़ाम साहब ने अपने प्रधानमंत्री को कैसे विदा किया ?
आज के प्रधानसेवक को तो ये बना इतिहास मालूम होगा क्यूं किसी मंच से आप ये ऐलान नहीं करते कि मुल्क को १९६५ की जंग मैं दुश्मन से बचाने वाला कौन था, क्या ये इतिहास का सबसे बड़ा सच देश की बिकाऊ मीडिया ओर गद्दारों को नहीं मालूम जो देश मैं नफ़रतों के बीज बौने वालों की मदद कर रहे हैं ?
उस वक़्त निज़ाम हैदराबाद ने देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को आधी जंग जीतने की ख़ुशी दी थी, एक ग़द्दार कहे जाने वाली क़ौम के निज़ाम ने उस वक़्त पांच टन सोना जी हां पांच हज़ार किलो सोना देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के हवाई जहाज़ मैं मदद के तौर पर भरवा कर देश के प्रधानमंत्री के रूख़स्त किया था, जो आज २०१८ तक भी रिकार्ड के तौर पर दर्ज है अभी तोड़ने वाला पैदा नहीं हुआ, हां देश को लूटने के इससे बड़े कारनामें ज़रूर खुलने बाकी हैं या छुपे हैं!
इतिहास की इस कड़वी सच्चाई को पढ़कर भी कहें कि हम गद्दार हैं, क्यूंकि जब इस कडवी सच्चाई को जानने वाले ही हमको गद्दार कहते हैं तो आप लोग पढ़कर या सुनकर कह लोगे तब कौनसा पहाड़ टूट जायेगा, हमको फ़क्र होता है अपनी इस गद्दारी पर कि हम हमेशा ऐसे ही गद्दार रहें ओर तुम वफ़ादार इस मुल्क को अपनी वफ़ादारी मैं लूटते ओर लुटवाते रहें ?
नोट- ये लेख को कहानी नहीं है गूगल पर सर्च कर इसकी सच्चाई को जान सकते हैं ?

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