Saturday 27 October 2018

#कश्मीर कश्मीरियों समझो अपने वजूद को ?

एस एम फ़रीद भारतीय 
पाकिस्तान का नाम जब भी सामने आता है तब हमेशा ही ख़ुद बा खुद दिल से एक नफ़रत की सी आवाज़ निकलती है ओर ये आवाज़ पाकिस्तान की अवॉम की वजह से नहीं वहां की हुकूमत के कारनामों की वजह से निकलती है, जानते हैं क्यूं...?

वो इसलिए कि हमेशा आपने एक मिसाल सुनी तो होगी मगर
देखी नहीं होगी, सुना करते थे "हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी साथ लेकर डूबेंगे" सुनी है ना...?

पाकिस्तान उसी मुल्क का नाम है ओर ये मिसाल पाकिस्तान ने आज़ादी से आजतक कश्मीर को बीच मैं लेकर कायम की हुई है, पाकिस्तान जो ख़ुद दुनियां के कर्ज़ से अपने को चलाता है या यूं कहूं कि दुनियां से भीक मांग कर अपने मुल्क की अवॉम की ख़ुशियों ओर तरक्की का गला घोंटता है.

उसी पाकिस्तान ने कश्मीर मैं कट्टरता को बढ़ावा देकर हमारे मुल्क भारत को भी एक परेशानी मैं धकेला  हुआ है, जबसे भारत के सामने कश्मीर समस्या आई है तब से भारत के विकास की रफ़्तार कुछ धीमी होने के साथ भारत के महाशक्ति बनने मैं रूकावट बनी है.

पाकिस्तान को युद्ध मैं हार के बाद सबक़ लेना चाहिए था ओर समझना चाहिए था कि वो हमारे मुल्क से या हमसे मुकाबला हरगिज़ नहीं कर सकता, तब ऐसे मैं पाकिस्तान को चाहिए था वो हमसे हाथ मिलाकर हमें बड़ा भाई मानकर जो बड़े का फ़र्ज़ अपने छोटों के लिए होता है उसकी याद दिलाकर अपने हितों ओर ज़रूरतों को पूरा कराता.

मगर नहीं वो ग़ैरों के हाथों की कठपुतली बना ओर हमारे लिए अपनी गंदी नीयत ओर नीति से परेशानियां पैदा करता रहा, एक बार भी उसे ये ख़्याल नहीं आया कि मैं अपने बड़े को बर्बाद करने के चक्कर मैं ख़ुद को बर्बाद कर रहा हुँ.

चलो एक मिनट को मान लेते हैं कि हम कश्मीर उसको दे देते हैं तब वो कश्मीर की अवॉम के साथ अपने मुल्क की अवॉम को भी बताये कि उसमें कमाकर खिलाने की हिम्मत है, कहां से खायेगा ओर कैसे खिलायेगा, जो अपना पेट ख़ुद भीक मांगकर भरता हो, कहते हैं नंगा नहायेगा क्या ओर निचोड़ेगा क्या...?

लिहाज़ा आज ओर अभी भी वक़्त है वो कश्मीर के राग को कश्मीरी लोगों के लिए नहीं अपनी अवॉम के हित मैं अलापना छोड़ अपने को अपने पैरों पर खड़ा करने वाला बना ले, आज तमाम दुनियां पाकिस्तान को एक कमाऊ पूत की नियत से नहीं बल्कि एक बिगड़ेल भिकारी की नियत से देखती है ओर वो ये अपने मुल्क की अवॉम पर बदनुमा दाग़ लगा रहा है...!

वहीं कश्मीरियों को सोचना होगा कि उसको रिश्ता जो ख़ुद भिकारी है उससे रखना है या उससे जो दरिया दिल ही नहीं दुनियां मैं इंसानियत की मिसाल एक परेशानी मैं भी ख़ुशहाल मुल्क है...?

जयहिंद जय भारत

No comments:

Post a Comment

अगर आपको किसी खबर या कमेन्ट से शिकायत है तो हमको ज़रूर लिखें !

भारत के पहले प्रधानमंत्री कौन थे...?

मोहम्मद यूनुस देश के पहले प्रधानमंत्री (राजनीतिज्ञ) मोहम्मद यूनुस (4 मई, 1884 - 13 मई, 1952) ब्रिटिश भारत के बिहार प्रांत के पहल...