हज़रत आदम की पैदाइश दुनियां का पहला मज़हब इंसानियत जिसको अल्लाह ने अपने कलाम कलामुल्लाह (क़ुरऑन) मैं ख़ुद ब्यान फ़रमाया...?
"एस एम फ़रीद भारतीय"
अल्लाह हर काम पर क़ादिर है वो चाहे तो पलक झपकते ही तमाम
जहानों को पैदा कर सकता है लेकिन इस दुनिया और इंसानों की तख़लीक़ उसने कई मरहलों (Stages) में की जब अल्लाह तआला ने हज़रत आदम को पैदा करना चाहा तो फ़रिश्तों से फ़रमाया कि-
” बेशक मैं बनाने वाला हूँ ज़मीन में अपना नायब, उन्होंने कहा तू उसे नायब बनायेगा जो वहाँ फ़साद करें और ख़ून बहाएं और हम तेरी हम्द के साथ तेरी तस्बीह बयान करते हैं और तेरी पाकी बयान करते हैं, फ़रमाया बेशक मैं जानता हूँ जो तुम नहीं जानते।”
(सूरते बक़र आयत 29 ,30 )
इस आयत की तफ़्सीर...?
“फ़रिश्तों ने ऐसा इस लिए कहा कि सबसे पहले ज़मीन पर रहने वाले जिन्नो ने फ़साद बरपा किया, ख़ून बहाया और अल्लाह कि नाफ़रमानी की लिहाज़ा अब जो ख़लीफ़ा बनेगा वो भी वैसा ही करेगा। अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि बेशक तुम नहीं जानते जो मैं जानता हूँ।”
यह बात याद रखनी चाहिए कि फ़रिश्तों का यह कहना एतराज़ के तौर पर नहीं था और न ही आदम और उनकी औलाद से हसद के तौर पर क्योंकि क़ुरआन मजीद के मुताबिक़ फ़रिश्ते वह बात नहीं कहते जिसको कहने या पूछने की उन्हें इजाज़त न हो।’
लिहाज़ा जब अल्लाह तआला ने आदम को बनाना चाहा तो फ़रमाया कि सारी ज़मीन से मिट्टी लाई जाए और आदम के लिये लेसदार चिपकने वाली मिट्टी आसमान की तरफ़ बुलन्द की गई पहले यह मिट्टी गारे की शक्ल में थी फिर इससे ख़मीर उठ गया, लिहाज़ा इस लेसदार और चिपकने वाली मिट्टी से अल्लाह तआला ने आदम का पुतला अपने दस्त-ए-क़ुदरत से बनाया
इब्लीस का घमण्डः-
अल्लाह तआला क़ुरआन पाक में फ़रमाता है कि-
और उनमें जो कहे कि मैं अल्लाह के सिवा माबूद हूँ तो उसे हम जहन्नुम की जज़ा देंगे, हम ऐसी ही सज़ा देते हैं सितमगारों को।
(सूरह अल अम्बिया, आयत- 29)
इस आयत की तफ़सीर में इब्ने जरीह रहमातुल्लाह अलैह लिखते हैं कि-
”फ़रिश्तों में सब से पहले जिसने यह बात कही कि अल्लाह के बजाए मैं माबूद हूँ वो इब्लीस लईन है ”
वहीं हज़रत क़तादह रहमातुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं कि-
“यह आयत अल्लाह के दुश्मन इब्लीस के बारे में उतरी। अल्लाह ने इस पर लानत फ़रमाई और इसे अपनी रहमत से निकाल दिया। और फ़रमाया हम इसे दोज़ख़ की सज़ा देंगे और ज़ालिमों को हम इसी तरह का बदला दिया करते हैं।”
अल्लाह तआला क़ुरआन पाक में एक जगह और इरशाद फ़रमाता है-
“और याद करो जब हमने फ़रिश्तों को हुक्म दिया कि आदम को सजदा करो तो सबने सजदा किया सिवाए इब्लीस के, मुन्किर हुआ ग़ुरूर किया और काफ़िर हो गया।)”
(सूरह अलबक़राह, आयत- 34)
इब्लीस को ऐसा घमण्ड क्यों हुआ कि उसने न सिर्फ़ अल्लाह का हुक्म मानने से इन्कार किया बल्कि ख़ुदाई का भी दावा कर बैठा इसके बारे उलमा के बहुत से क़ौल हैं।
सब से पहले आदम को दुनिया में भेजा गया। हज़रत आदम को अबुलबशर यानि सब इन्सानों का बाप कहा जाता है। दुनिया में जितने भी इन्सान शुरू से आख़िर तक आ चुके हैं या आयेंगे सब हज़रत आदम की ही औलाद हैं इसी लिये इन्हें “आदमी” कहा जाता है। जब अल्लाह तआला ने हज़रत आदम की पैदाइश का इरादा फ़रमाया और फ़रिश्तों से अर्ज़ किया कि मैं ज़मीन में अपना ख़लीफ़ा बनाने वाला हूँ उस वक़्त ज़मीन में जिन्नात रहते थे और “इब्लीस” की बादशाहत थी लिहाज़ा आपके बारे में कुछ बताने से पहले शैतान इब्लीस का ज़िक्र करना ज़रूरी है क्योंकि इस वाक़िये का शैतान से गहरा ताल्लुक़ है।
इब्लीस-ए-लईन की नाफ़रमानी...?
अल्लाह तआला ने इस मख़लूक़ को बहुत ख़ूबसूरत बनाया था और शराफ़त व बुज़र्गी से भी नवाज़ा था। ज़मीन और दुनिया के आसमान की बादशाहत दी थी। इसके अलावा उसे जन्नत की पहरेदारी के इनाम से भी नवाज़ा था। लेकिन उसने अल्लाह के सामने घमण्ड किया और ख़ुदाई का दावा कर बैठा जिसकी वजह से अल्लाह तआला ने उसे अपनी बारगाह से निकाल दिया और उसे शैतान में बदल दिया। उसकी शक्ल बिगाड़ दी और सारे रुतबे जो अल्लाह तआला ने उसे अता किये थे छीन लिये। उस पर अपनी लानत फ़रमाई, उसको अपने आसमानों से निकाल दिया और आख़िरत में उसको और उसकी पैरवी करने वालों का ठिकाना जहन्नुम क़रार दिया।
जब फ़रिश्तों के सामने इब्लीस का घमण्ड ज़ाहिर हो गया और उस ने घमण्ड और सरकशी पर कमर बांध ली तो अल्लाह तआला ने उस पर लानत फ़रमाई आसमान और ज़मीन की हुकूमत उससे छीन ली और जन्नत की पहरेदारी से भी हटा दिया और फ़रमाया- “तू मरदूद है जन्नत से निकल जा अब क़यामत तक के लिए तुझ पर लानत है।”
इस के बाद अल्लाह ने हज़रत आदम को जन्नत में रहने का हुक्म फ़रमाया और इन पर ऊँघ डाल दी यानि उन पर नींद तारी हो गई। फिर इन की बायीं पसली में से एक पसली लेकर हव्वा को पैदा फ़रमाया। आदम जब सोकर उठे तो अपने सिरहाने एक औरत को खड़ा देखा। उन्होंने पूछा- “तुम कौन हो” कहा- “एक औरत” फिर पूछा – “किस लिए पैदा की गई हो” वो कहने लगीं- “ताकि तुम मुझसे सकून हासिल कर सको।”
जब फ़रिश्तों को ख़बर हुई तो वो इस औरत को देखने आये और कहा ऐ आदम! इसका नाम क्या है ?
आदम ने जवाब दिया- “हव्वा” इन्होंने फिर पूछा- “ये नाम क्यों रखा?
कहा- “’इस लिए की यह “हइ” यानि ज़िंदा इन्सान से पैदा की गई।”
इस के बाद अल्लाह तआला ने फरमाया-
“तुम और तुम्हारी बीवी जन्नत में रहो और जहाँ से चाहो ख़ूब दिल खोल कर खाओ लेकिन इस दरख़्त के पास मत जाना कि हद से बढ़ने वालों में हो जाओगे”
(सूरह अलबक़राह, आयात- 34 से 35)
अल्लाह तआला ने हज़रत आदम और हव्वा को जन्नत में ठिकाना अता फ़रमाया और उन्हें हर तरह की आज़ादी अता फ़रमाई सिवाय एक दरख़्त के पास जाने के। उन्होंने अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ उस दरख़्त के पास जाने से ख़ुद को रोके रखा फिर इनके दिल में शैतान ने वसवसा डाला और आख़िर कार दोनों से वो खता हो गई जिस से अल्लाह तआला ने उन्हें मना फ़रमाया था।
क़ुरआन पाक में अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया-
“तो शैतान ने इन्हें इस दरख़्त के ज़रिये फुसलाया और जहाँ वो रहते थे वहाँ से उन्हें अलग कर दिया और हमने फ़रमाया तुम सब नीचे उतरो।”
(सूरह अलबक़राह, आयात- 36 से 37)
अभी फल खाना ही शुरू ही किया था कि जन्नती लिबास उतर गया और वह दोनों, पत्तों से अपना सतर ढाँपने और शर्मिन्दा होकर इधर उधर भागने लगे। अल्लाह तआला ने फ़रमाया, ऐ आदम! क्या मुझ से भागते हो अर्ज़ किया- “’नहीं” … “ऐ मेरे रब! बल्कि तुझ से हया करता हूँ। अल्लाह का अताब नाज़िल हुआ कि ऐ आदम! क्या मैंने तुमसे उस दरख़्त के पास जाने से मना नहीं किया था? क्या मैने तुम्हें ख़बरदार नहीं किया था कि शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है? हज़रत आदम फ़ौरन अपनी ग़लती का अहसास करते हुए सजदे में गिर गए और नदामत से अर्ज़ करने लगे-
“ऐ परवरदिगार हम ने अपनी जानों पर ज़ुल्म किया और अगर आप ने अपने फ़ज़्ल व करम से हमे माफ़ न फ़रमाया और हम पर रहम न फ़रमाया तो हम ख़सारा(नुक़सान) उठाने वाले हो जायेंगे।”
(सूरह अलऐराफ़,आयत -23)
अल्लाह तआला जो सब के दिलों के हाल जानता है वह हज़रत आदम के दिल की कैफ़ियत को अच्छी तरह जानता था। उसने आप को माफ़ फरमा दिया। लेकिन अल्लाह को आइन्दा के लिए दुनिया को आबाद करना था और नस्ले इन्सानी को बढ़ाना था इसलिए अल्लाह तआला ने हज़रत आदम और हव्वा को हुक्म दिया कि तुम ज़मीन पर उतर जाओ और वहीं पर रहो और यह बात हमेशा याद रखो कि- “शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है।”
अब सवाल ये पैदा होता है कि दुनियां का पहला मज़हब इस्लाम कैसे है...?
तब इसका सीधा सा जवाब है उनके लिए जो समझना चाहते हैं, वो ये कि अल्लाह ने अपने पहले नबी आदम अलेयहि सलाम को जब दुनियां मैं भेजा तब दुनियां का वजूद बना और अल्लाह अपने नबियों पर अपना हुकुम अपना कानून अपना मैसेज फ़रिश्तों के ज़रिये हालात के हिसाब से अपने 1लाख 44 हज़ार कम या ज़्यादा नबियों पर हमेशा ही भेजता रहा है जिसे कलामुल्लाह यानि अल्लाह का कलाम कहा जाता है, इस कलामुल्लाह की भाषा नबियों की पैदाईश के हिसाब से अलग अलग हो सकती है मगर आखिरी कलाम क़ुरआन अरबी मैं है क्यूंकि आख़िरी नबी की पैदाईश अरब मैं हुई।
और जो बातें ऊपर आदम अलेयहि सलाम के लिए कही गई उनका ताल्लुक क़ुरआन से है क़ुरआन ने हमे आख़िरी नबी (मैसेंजर) के ज़रिये हमको ये जानकारी दी कि दुनियां के पहले नबी आदम अलेयहि सलाम हैं और आखिरी नबी सल्ललाहु अलेयहि वसल्लम हैं...!
नोट- ये पोस्ट और लेख उनके लिए है जो अल्लाह के कलाम में यकीं रखते हैं, जो मानते है कि दुनियां मैं अकेली किताब ऐसी है जिसका हर शब्द वही और सच्चा है...!
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