Wednesday, 13 November 2019

अयोध्या फ़ैसले पर एक नज़र ऐसे भी...?अमेरिकियों से महान हैं हमारे पंडित...??

"एस एम फ़रीद भारतीय"
शून्य का अविष्कार आर्यभट्ट ने किया ये भी झूंठ, अमेरिका अपने खोज करता का जन्म स्थान सटीक ना बता सके तब वो भारत से महान क्यूं, हम 8,80,100 वर्ष पूर्व हमारे
भगवान का जन्म कहां हुआ, शहर का नाम सटीक जगह और सही समय भी बता दें तब भी हम महान नहीं क्यूं, चलिए डालते हैं इसी पर एक नज़र...?

शून्य (0) एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिये प्रयुक्त आजकी सभी स्थानीय मान पद्धतियों का अपरिहार्य प्रतीक है। इसके अलावा यह एक संख्या भी है। दोनों रूपों में गणित में इसकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्णांकों तथा वास्तविक संख्याओं के लिये यह योग का तत्समक अवयव (additive identity) है।

ग्वालियर दुर्ग में स्थित एक छोटे से मन्दिर की दीवार पर शून्य (०) उकेरा गया है जो शून्य के लेखन का दूसरा सबसे पुराना ज्ञात उदाहरण है। यह शून्य आज से लगभग १५०० वर्ष पहले उकेरा गया था।

प्राचीन बक्षाली पाण्डुलिपि में, जिसका कि सही काल अब तक निश्चित नहीं हो पाया है परन्तु निश्चित रूप से उसका काल आर्यभट्ट के काल से प्राचीन है, शून्य का प्रयोग किया गया है और उसके लिये उसमें संकेत भी निश्चित है। २०१७ में, इस पाण्डुलिपि से ३ नमूने लेकर उनका रेडियोकार्बन विश्लेषण किया गया। इससे मिले परिणाम इस अर्थ में आश्चर्यजनक हैं कि इन तीन नमूनों की रचना तीन अलग-अलग शताब्दियों में हुई थी- पहली की 224 ई॰ – 383 ई॰, दूसरी की 680–779 ई॰, तथा तीसरी की 885–993 ई॰, इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पा रहा है कि विभिन्न शताब्दियों में रचित पन्ने एक साथ जोड़े जा सके.

भारत का 'शून्य' अरब जगत में 'सिफर' (अर्थ - खाली) नाम से प्रचलित हुआ। फिर लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच आदि से होते हुए इसे अंग्रेजी में 'जीरो' (zero) कहते हैं।

अब आते हैं अमेरिका की खोज पर...?
नयी दुनिया में क्रिस्टोफर कोलंबस का आगमन, १४९२ की तस्वीर गैर-जन्मज लोगों द्वारा उत्तरी अमेरिका की खोज उत्तरी अमेरिका के महाद्वीप का मानचित्रण और पता लगाने का एक सतत प्रयास था, जो सदियों तक चला। उत्तरी अमेरिका के महाद्वीप को मानचित्रित करने के लिए विभिन्न विदेशी देशों(विशेषतः यूरोपीय देशों) के कई लोगों और अभियानों के प्रयास शामिल हैं। जिनमें; स्पेन , पुर्तगाल ब्रिटेन, फ्रांस और नीदरलैंड जैसे देश प्रमुख हैं। मानचित्रण का यह सतत प्रयास, यूरोपीय देशों द्वारा, अमेरिगो वेसपुची और तत्पश्चात कोलंबस द्वारा आन्ध्र महासागर के पार खोजे गए, नयी दुनिया की तलरूप और उसके प्राकृतिक संसाधनों को जानने के लिए किया गया था। इन अभियानों का अंत्यत परिणाम अमेरिका का यूरोपीय देशों द्वारा उपनिवेशीकरण हुआ। यह भौगोलिक अन्वेषण, यूरोपीय इतिहास के खोज युग का हिस्सा था.

कोलंबस के पूर्व के अभियान ...?
हालाँकि, अमेरिका के मानचित्रण की प्रक्रिया ने कोलंबस के यात्रा के बाद से गति पकड़ी और यूरोप में सुर्ख़ियों में आयी, मगर कोलम्बस के बहुत पहले नॉर्स लोगों ने (जिन्हें अक्सर वाइकिंग भी कहा जाता है) अमेरिका में अपनी बस्तियां स्थापित की थीं। आइसलैंडिक कथाओं के अनुसार, वर्ष ९०८ में एरिक द रेड के नेतृत्व में, नॉर्स लोगों , दक्षिणी ग्रीनलैंड में बस्तियाँ बसाई थीं, जिनको वर्ष १३०० में खाली करवा दिया गया। न्यूफाउंडलैंड के लांसे ऑक्स मेडोज़ में पाए गए पुरातात्विक अवशेष, पुरातात्विक, नॉर्स बस्तियों के एकमात्र ज्ञात अवशेष हैं। इन्हें अक्सर लिएफ एरिक्सन द्वारा आज़माइशी, विनलैंड नामक बस्ती के अवशेष मन जाता है, जिसे वर्ष १००३ में स्थापित करने का प्रयास किया गया था.

क्रिस्टोफर कोलंबस के बाद के अभिया...?
वाइकिंग लोगों के ये अभियान, यूरोप में सामान्य मानस में अधिक ज्ञात नहीं हुआ। उसके लगभग ५०० वर्ष बाद, जब यूरोप में भारत अथवा पूर्वी एशिया (इंडीज़) के खोज की दौड़ लगना शुरू हुई। तब वर्ष, १४९२ में वर्त्तमान स्पेन के कैस्टिल की महारानी इज़ाबेला के समर्थन से, बहामाज़ , क्यूबा और हिस्पैनोलिया द्वीपों की खोज की। तत्पश्चात, कोलंबस ने त्रिनिदाद और टोबैगो , तथा कैरेबियन के अन्य कई द्वीपों की खोज की। कोलंबस के इन खोजों की खबर तुरंत पुरे यूरोप में तेज़ी से फ़ैल गयी, और उसके बाद कई यूरोपीय अधिराज्यों ने अपने नाविकों को "नयी दुनिया" के अभियान पर भेजा। अमेरिका के प्राकृतिक संसादनों का लाभ उठाने के लिए तत्पश्चात स्थायी बस्तियों को बसने की कोशिश शुरू हुई। नतीजतन, अनेक यूरोपीय देशों ने अमेरिका के भीतरी हिस्सों को खोजने और उपनिवेश स्थापित करना शुरू किया। हिस्पैनोलिया द्वीप पर इज़ाबेला नमक बस्ती, अमेरिका में, यूओपीय लोगों की पहली स्थायी बस्ती बानी। जिसे १४९३ में कोलंबस ने अपने दूसरे दौरे में स्थापित किया था। वर्त्तमान संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्जिनिया में अवस्थित जेम्सटाउन, पहली अंग्रेजी स्थायी बस्ती बनी.

लेकिन अमेरिकन आज भी ये नहीं बता सकते कि कोलंम्बस का जन्म स्थान कौनसा है वो कहां किस कमरे के किस कोने मै पैदा हुए...?

अब बात राम जन्म की भगवान कहे जाने वाले राम कब पैदा हुए...?
पुराण के मुताबिक मानव का एक वर्ष देवताओं के एक अहोरात्र यानी दिन-रात के बराबर है। जिसमें उत्तरायण दिन व दक्षिणायन रात मानी जाती है। दरअसल, एक सूर्य संक्रान्ति से दूसरी सूर्य संक्रान्ति की अवधि सौर मास कहलाती है। मानव गणना के ऐसे 12 सौर मासों का 1 सौर वर्ष ही देवताओं का एक अहोरात्र होता है। ऐसे ही 30 अहोरात्र, देवताओं के एक माह और 12 मास एक दिव्य वर्ष कहलाता है।

देवताओं के इन दिव्य वर्षो के आधार पर चार युगों की मानव सौर वर्षों में अवधि इस तरह है -
सतयुग 4800 (दिव्य वर्ष) 17,28,000 (सौर वर्ष)
त्रेतायुग 3600 (दिव्य वर्ष) 12,96,100 (सौर वर्ष)
द्वापरयुग 2400 (दिव्य वर्ष) 8,64,000 (सौर वर्ष)
कलियुग 1200 (दिव्य वर्ष) 4,32,000 (सौर वर्ष)
इस तरह सभी दिव्य वर्ष मिलाकर 12000 दिव्य वर्ष देवताओं का एक युग या महायुग कहलाता है, जो चार युगों के सौर वर्षों के योग 43,200,000 वर्षों के बराबर होता है। खासतौर पर, कलियुग की बात करें तो पौराणिक व ऐतिहासिक तथ्यों पर गौर करने पर पता चलता है कि 4,32,000 साल लंबे कलियुग को शुरू हुए तकरीबन 6000 वर्ष ही गुजरे हैं। जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि अभी कलियुग और कितना बाकी है व निकट भविष्य में प्रलय होने की बातों में कितनी सच्चाई है.

भगवान राम के जन्म-समय पर आधुनिक शोध...?
परम्परागत रूप से राम का जन्म त्रेता युग में माना जाता है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में, विशेषतः पौराणिक साहित्य में उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार एक चतुर्युगी में 43,20,000 वर्ष होते हैं, जिनमें कलियुग के 4,32,000 वर्ष तथा द्वापर के 8,64,000 वर्ष होते हैं। राम का जन्म त्रेता युग में अर्थात द्वापर से पहले हुआ था। चूँकि कलियुग का अभी प्रारंभ ही हुआ है (लगभग 5,500 वर्ष ही बीते हैं) और राम का जन्म त्रेता के अंत में हुआ तथा अवतार लेकर धरती पर उनके वर्तमान रहने का समय परंपरागत रूप से 11,000 वर्ष माना गया है।[14] अतः द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष + राम की वर्तमानता के 11,000 वर्ष + द्वापर युग के अंत से अबतक बीते 5,100 वर्ष = कुल 8,80,100 वर्ष। अतएव परंपरागत रूप से राम का जन्म आज से लगभग 8,80,100 वर्ष पहले माना जाता है.

इस लेख का सार यही है कि हमारे पंडितों को भगवान राम के जन्म के बारे मैं ये मालूम है कि वो 8,80,100 वर्ष पूर्व अयोध्या मैं पैदा हुए, किस जगह पैदा हुए ये भी बिल्कुल सटीक जानकारी है, जबकि शून्य अविष्कार अब से 1500 वर्ष पूर्व हुआ, लेकिन तुलसी दास और बाल्मीकि ने लिख दिया कि राम वहां इस समय पैदा हुए, राम के बाद कौन कौन से भगवानों ने जन्म लिया कब लिया क्या किया नहीं मालूम या यूं कहा जाये कि ज़रूरत ही नहीं थी, सबसे अहम बात अब सुप्रीम कोर्ट ने भी आस्था की बुनियाद पर अपनी पक्की मुहर लगा दी है, लेकिन सवाल हमेशा बने रहेंगे कि फ़ैसले का आधार क्या है...!

ये लेख बहुत सी जानकारियों को इकठ्ठा कर लिखा गया है, लेख का मतलब सच क्या है को पता लगाना है ना कि किसी की आस्था पर सवाल पैदा करना।

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