Wednesday, 6 November 2019

किरन बेदी जी पद की मर्यादा का ख़्याल करें...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"
किरन बेदी जी आज आप संवैधानिक पद पर हैं, दूसरे आप 1988 मैं पुलिस वकील मामले मैं ग़लत साबित हुई थीं और आज एक पार्टी से जुड़े होने के कारण किसी संवैधानिक
पद की गरिमा को अपने ब्यान से ठेस पहुंचा रही हैं, पहली महिला आईपीएस बनना आपके और महिलाओं के लिए ज़रूर गर्व की बात है, लेकिन आप न्यायालय को ही चैलेंज करें ये ठीक नहीं होगा.

किरन बेदी के ब्यान से लगता है पुलिस ने कोर्ट परिसर मैं जो कुछ किया वो सही है पुलिस की मांगे जायज़ हैं और पुलिस को अपनी मांगों पर अड़े रहना चाहिए, इसके लिए किरन बेदी जी ने अपने कार्यकाल मैं 1988 पुलिस वकील झड़प का हवाला दिया है.

तब मुझे ये अच्छी तरहां याद है उस वक़्त भी आपने अपनी पुलिस की ग़लती को सही ठहरा कर पुलिस की हिमायत की थी और वकीलों की मांग को नकारने की सलाह देकर पुलिस को अपने कथन और कार्यशैली पर अड़े रहने के लिए कहा था, मगर हुआ क्या जांच मैं दिल्ली पुलिस दोषी पाई गई और किरन जी आपके लिए तबादले के आदेश जारी किये गये थे ये तो याद ही होगा..?

ऐसा ही आज है देखने मैं ग़लती वकीलों की लग रही है, लेकिन ऐसा है नहीं, अगर हम अपने सूत्रों से मिली जानकारी का पर न्याय की बात करें तब विवाद पुलिस वैन के सामने वकील की गाड़ी खड़ी करने पर हुआ, तब ये उन वकील साहब को दोषी ठहराता है, मगर वकील दोषी नहीं है.

क्यूंकि विवाद गाड़ी खड़ी करने पर शुरू ज़रूर हुआ लेकिन मामला बिगड़ा अभद्रता और गाली गलौंच से जो पुलिस की तरफ़ से शुरू की गई, तब पुलिस ये भी भूल गई कि सामने कोई आम आदमी नहीं है एक वकील है...?

वहीं सूत्रों का कहना है कि अपने जवान की बदकलामी पर वहां मौजूद बाकी पुलिस वालों ने भी अपने ही जवान की हिमायत करनी शुरू कर दी और तब तक वकील के साथी भी वहां जमा होने शुरू हो गये जिससे घबराकर पुलिस ने अपना वही रूख अख़त्यिार किया जो वो आम जनता के साथ करती आई है, यानि लाठी चार्ज...!

लाठी चार्ज का नतीजा क्या निकला ये पूरा देश देख रहा है, लिहाजा आज भी मौका है पुलिस को अपनी कार्यशैली मैं बदलाव करना होगा, उसके लिए वो बाहरी देशों की पुलिस की कार्यशैली क्या और कैसी होती है उसके लिए आज गूगल का सहारा लेकर वीडियो देखे, बेशक पुलिस के भी मानवाधिकार होते हैं ये हमारा संगठन पीयूसीएल शुरू से कहता आया है, लेकिन आप मानवाधिकार की बात करने से पहले मानवाधिकारों की रक्षा करना सीखो आपको मानवाधिकार मांगने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी, निष्पक्ष काम करो कानून और संविधान के लिए...!

मानवाधिकार कार्यकर्ता
पूर्व सचिव यूपी वेस्ट पीयूसीएल 
एस एम फ़रीद भारतीय

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