Tuesday 5 November 2019

दिल्ली एनसीआर मैं प्रदुषण सरकार की नाकामी...?

दिल्ली प्रदुषण, ये ख़बर और तस्वीर 2015 की है, सरकार और सांसद विधायकों ने क्या किया बीते चार सालों मैं...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"
दिल्ली में बीते कई वर्षों से प्रदूषण के स्तर में लगातार इजाफा हो
रहा है, दिल्ली शहर की नींव जिस यमुना नदी के आधार पर पड़ी वही आज भारत की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है.

रविवार यानि 8 नवंबर को दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कई गुना अधिक पाया गया, रविवार को पीएम यानि पर्टिकुलेट मैटर 2.5 का स्तर दिल्ली में 242.5 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा जो बीते 10 महीनों में सबसे अधिक है.

वहीं पीएम 10 का स्तर 400 से 700 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर पहुँच गया, इन आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के कई भागों में रविवार को प्रदूषण लगभग 12 गुना अधिक था, पीएम 10 और पीएम 2.5 के अंतर्गत आने वाले प्रदूषण के कण फेफड़ों के लिए सबसे खतरनाक होते हैं, जो सांस के माध्यम से फेफड़ों में प्रवेश करते हैं.

दिल्ली के आनंद विहार में 8 नवंबर को पर्यावरण मंत्रालय के वायु गुणवत्ता सूचक यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के अनुसार पीएम 10 का स्तर भयावह स्तर पर रिकॉर्ड किया गया, इसके अलावा शनिवार की शाम और रविवार की सुबह के समय दिल्ली के पंजाबी बाग, द्वारका और आरके पुरम सहित कई जगहों पर भी प्रदूषण खतरनाक स्तर पर चला गया था, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण का यह स्तर स्वस्थ व्यक्तियों को भी बीमार कर सकता है जबकि सांस संबंधी बीमारियों का सामना करने वाले मरीजों की मुश्किलें बहुत अधिक बढ़ा सकता है.

कल्पना कीजिए कि दिवाली से पहले दिल्ली की आबो-हवा का यह हाल है तो दीपावली पर बड़े पैमाने पर होने वाली आतिशबाज़ी राजधानी की हवा का क्या हश्र करेगी, प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुँचने की खबरें मीडिया में छाई हुई हैं, बावजूद इसके दिल्ली में पटाखों की दुकानें सजी हैं और खरीददारों की भी कमी नहीं है.

वायु प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या दिवाली के दौरान खतरनाक रूप ले सकती है, उन्होंने लोगों से प्रकाशपर्व को धुएं के पर्व में नहीं बदलने की अपील की है, दिवाली से पहले विज्ञापन के जरिये अपने संदेश में केजरीवाल ने पटाखे नहीं छोड़ने की सलाह दी.

स्काइमेट दिल्ली वालों से आग्रह करता है कि प्रदूषण संबंधी खबर को महज़ खबर ही मत रहने दीजिए बल्कि उसका हिस्सा बनिए, सांस संबंधी बीमारियों का सामना कर रहे लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण ना बनिए, दीपावली पर प्रकाश फैलाएं, खुशियाँ बाटें और लोगों में प्रेम जगाएें, इस बार खुद आतिशबाज़ी को ना कहें और अपने आसपास के लोगों को भी पटाखे ना जलाने के लिए प्रेरित करें.

बस ये अपील की गई थी, अपील के बाद का अंजाम क्या है सब दीपावली से लेकर आज तक भुगत रहे हैं, ना जाने कितने लोग कितनी गंभीर बीमारियों से घिर चुके हैं, ये प्रदुषण हमारी सुरक्षा एजेंसियों को चौकस रहकर काम करने की चेतावनी दे रहा है, जिसमें कई सवाल के जवाब सरकार से करने बाकी हैं...!

पहला सवाल चीन हमारा दुश्मन रहा है और वो बारूद के मामले मैं दुनियां के देशों से अलग है, 1965 की जंग मैं चीन ने हमारे सैनिकों को कैसे मारा ये हम भूल गये नारा था हिंदी चीनी भाई भाई ढिश्यूं ढिश्यूं...?

दूसरा सवाल हमारी सरकार ने अंजाने मैं देश की सुरक्षा के साथ अपने यहां के आतिशबाजी मज़दूरों के साथ उनको बनाने वालों को भी बेरोज़गार कर देश के पैसों को विदेश मैं भेजने का काम किया...?

क्या चीन से आने वाली आतिशबाज़ी की सुरक्षा मापदंड सरकार ने तय किये हैं और जो मापदंड देश की भारत सरकार के हैं, क्या चीन अपनी दुश्मनी को भूल सच मैं हमारे यहां उन मापदंडों पर खरा उतर रहा है..

सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब सरकार जानती है कि आतिशबाज़ी से बर्दाश्त ना करने वाला प्रदुषण हो रहा है तब ये देश के अंदर बिकने के लिए क्यूं आ रही है...?

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