क्या आजतक का मक़सद देश को सच दिखाना था, अंजना के सवालों पर आम जनता से ग़ौर करें, क्या ऐसे सख़्त सवाल कभी सत्ता पक्ष से पूंछें हैं, जो एक सत्तरह साल की मासूम बच्ची से पूंछा गया मगर बच्ची ने ला जवाब
कर दिया...?
मैं कहूंगा नहीं पूंछे...!
अब सवाल होता कि ये अंजना वहां क्या करने गई थीं, तब में कहूंगा अंजना के सहारे आजतक ने एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है और कुछ कुछ सफ़लता भी मिली है, शाहीन बाग मे हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी लोगों ने एक ही जवाब दिया कि ये कानून देश की एकता को बांटने वाला है.
अंजना के चेहरे को पढ़ने की कोशिश उनके सवालों के साथ करें तब मालूम होगा असल मक़सद क्या है, अंजना ने जो संबित की ब्यान वाली वीडियो वहां की जनता को दिखाई उसपर ग़ौर करें उसमें संबित कह रहा है शाहीन बाग़ के लोग "नाग हैं नाग" इस ब्यान का मक़सद क्या था समझा सकता है कोई...?
शाहीन बाग से आजतक ने जहां अपनी टीआरपी को बढ़ाया है, वहीं मोदी सरकार से अपने रिश्तों को सुधारने की एक नई पहल है, क्या कभी आजतक के लोगों ने ख़ुद देशवासी बनकर ये सोचा है कि ये कानून लाने की ज़रूरत क्या है, अंजना बार बार ज़ोर दे रही है ये कानून नागरिकता देने वाला है, पीएम मोदी कह चुके हैं एनआरसी अभी आया ही नहीं है, मैडम जी देश को अपने आप बेवकूफ़ मत समझो, ये बताओ जनता के बीच दिये भाषणों पर यक़ीन करना चाहिए या फिर जो संसद में कहा है उसपर यक़ीन करना चाहिए, मोदी जी रामलीला के मंच पर बोल रहे हैं और अमितशाह ने संसद में बोला था आजतक को बताना होगा कौनसा ब्यान मायने रखता है...?
दूसरे ध्यान दे जब अंजना ने वहां बंद दुकानों को कैमरे से दिखाते हुए सरकार से ये इशारा भी कर दिया कि ये शाहीन बाग आन्दोलन व्यापार को ठप्प कर रहा है, वहीं एक सवाल ज़ोर देकर बार बार पूंछा क्या आपने भाजपा को वोट दिया था, किसने हक़ दिया ये पूंछने का कि वोट किसको दिया, यानि जिसने भाजपा को वोट नहीं दिया उसकी नहीं सुनी जायेगी...?
आजतक पर दिये गये अमितशाह के ब्यान को आप लोग भूल रहे हैं जो नहीं भूलना चाहिए, जब अमितशाह ने अपील की थी कि आजतक को देखिए ही मत यानि आजतक से मुस्लिम पहले ही नाराज़ था अब जो वजह मुस्लिम के होने की थी वही लोग भी नाराज़ हो गये तब आजतक को देखेगा कौन...?
तब सेकुलर बनने का मुखौटा लगाकर आजतक जा पहुंचा मुस्लिमों के बीच अपनी गिरती साख को बचाने के साथ भाजपा और सरकार से अपने गिरते रिश्तों को सुधारने ज़िम्मेदारी दी अपनी तेज़ तर्रार पत्रकार अंजना को जिसने सेकुलर का मुखौटा लगाया और कमान संभाल कर जा कूदी शाहीन बाग के मैदान में अपने कड़े सवाल लेकर आम नागरिकों के बीच, बस एक ही रट लगाये हुए कि ये कानून नागरिकता देने वाला है यानि मोदी जी की आवाज़.
अब सबसे बड़ा सवाल आजतक से शाहीन बाग वालों को तो आपने बहकाने डराने और बरगलाने की बहुत कोशिश की मगर वहां मौजूद जनता ने बड़ी बेबाकी से आपको जवाब दिया जिसका हमको फ़क्र है, क्या आपने वहां लोगों का मूंड और राय जानकर एक बार भी कहने की हिम्मत की कि इस काले कानून को सरकार को वापस लेना ही होगा, वरना सरकार को जाने की तैयारी करनी चाहिए...?
"बनते रहो बेवकूफ़" हमारा क्या, हम तो इसीलिए कहते हैं एक लीडर चुन लो जो आपकी रहनुमाई करे, इन लोगों के कड़वे सवालों का जवाब दे, सवाल ये सिर्फ़ उसी से करें, वरना ये लोग आम जनता को अपने सवालों में फंसाकर आन्दोलन को गैर कानूनी घोषित कराकर ही दम लेंगे।
जय हिंद जय भारत
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