Saturday 29 February 2020

दिल्ली सरकार के CCTV कैमरे सच ज़रूर खोलेंगे किसका सच, यही बड़ा सवाल है...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने देश को चीख चीख कर बताया था कि हमने पूरी दिल्ली को सीसीटीवी कैमरों से 90% लैस कर दिया है, इस योजना का दिल्ली की जनता ने स्वागत किया था, यही
मुद्दा भाजपा ने चुनाव मेंवउठाते हुए कहा था कि कहां हैं वो पांच लाख कैमरे, जिसका जवाब दिल्ली सरकार ने अमित शाह की एक जनसंपर्क की वीडियो को अपलोड करके दिया था, अब सवाल दिल्ली की जनता का सवाल भी वही कहां हैं आपके सीसीटीवी कैमरे...?

क्यूंकि जितनी भी तस्वीरें देश के सामने आ रही हैं वो सब पब्लिक के अपने मोबाइल की ही हैं, सरकारी सीसीटीवी कैमरों की कोई रिकार्डिग अब तक देश के सामने नहीं आई है.

दिल्ली सरकार से देश मांग कर रहा है कि आप दंगाई इलाकों के कैमरों की सच्चाई देश के सामने क्यूं नहीं लाते, क्यूं साबित नहीं करते कि जो कुछ दिल्ली में हुआ उसका असली सच ये है, सरकारी कैमरे हैं अदालत में भी सबूत के तौर पर मान्य होने चाहिए, मगर नहीं अभी तक ऐसा कोई सबूत दिल्ली सरकार ने देश और दिल्ली की जनता के सामने पेश नहीं किया है.

अब सवाल ये कि क्या दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे सिर्फ़ डमी हैं या फिर दिल्ली सरकार भी दंगाईयों को बचाने का मन बना चुकी है, क्यूंकि दिल्ली पुलिस ने जिस तरीके से अपना काम किया है वो भी देश की जनता के सामने है सबको दिख रहा है, अगर किसी को नहीं दिख रहा तो वो है देश की सरकार और देश की अदालतें.

कहते हैं कि दिल्ली पुलिस उन्हीं कैमरों के आधार पर दिल्ली के दंगाईयों की पहचान कर धर पकड़ करने में लगी है, यहां भी फिर एक सवाल कि दिल्ली पुलिस ने अपने कितने पुलिस वालों को दंगाईयों का साथ देने के जुर्म में क्या सज़ा दी, जो पब्लिक के कैमरों में क़ैद होकर सबके सामने आ चुके हैं.

सवाल वही कि एक तो सच है या तो कैमरे लगे ही नहीं सिर्फ़ डमी लगाई गई हैं या फिर दिल्ली सरकार भी नहीं चाहती कि असल दंगाईयों पर कोई कार्यवाही हो और या फिर कैमरों के लिए सिर्फ़ कोरा झूंठ बोला गया था कैमरे लगे ही नहीं हैं, जो खम्बों पर दिख रहे हैं वो सिर्फ़ धौखा देने को डमी हैं...!

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