"सम्पादकीय"
कांग्रेस पार्टी आज के दौर में इसकी सबसे बड़ी मिसाल है, जिसने अपनी धर्म की राजनीति की ख़ातिर ऐसे दरिंदों को खुला छोड़कर रखा जो इंसानी ख़ून के प्यासे हुआ करते थे, आज वही दरिंदे कांग्रेस पर वार कर रहे हैं और देश को कट्टरता की तरफ़ ले जा रहे हैं, अब जब ख़ुद पर हमला हो रहा है तब बिल बिलाकर शब्दों की मर्यादा की याद आ रही है.
याद करो जब कोबरा पोस्ट ने अपनी निडर पत्रकारिता के साथ ये पर्दाफ़ाश किया था कि देश की मीडिया को हिंदुत्व का ऐजेंडा चलाने के लिए ख़रीदा जा रहा है, तब आंखें बंद कर कौनसी सरकार बैठी