जब देश भर में कल 74वां मनाया गया, कहते हैं अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए देश को 73 साल पूरे हो गए, ऐसे में अब हम आपको एक ऐसे हीरो के बारे में बताते हैं, जिन्होंने केवल अपनी एक जीप से दुश्मन पाकिस्तान के 7 खतरनाक टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए थे, जी हां दोस्तों, सही पढ़ रहे हैं आप, एक नहीं बल्कि पूरे सात टैंक, वो भी सिर्फ़ एक जीप से, यह कारनामा करने वाला कोई और नहीं बल्कि, परमवीर चक्र विजेता वीर शहीद अब्दुल हमीद मसऊदी (अब्दुल हमीद) थे, वीर शहीद अब्दुल हमीद के शौर्य और साहस ने उस समय पाकिस्तान की सेना में खलबली मचा दी थी, दुश्मन ने तब खुलकर कहा था कि लोहे को लोहा ही काटता है, और सच में ये उनके पराक्रम का नतीजा ही था, जिसने हताश हो चुकी भारतीय सेना के अंदर एक नई जान फूंक दी थी और 1965 की जंग में महान भारत ने दुश्मन पाकिस्तान को धूल चटा दी थी.
ये साल 1965 की बात है, तब पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' की शुरुआत की थी, पाकिस्तान का मक़सद बिल्कुल साफ़ था कि हमें भारत को दो मोर्चों पर घेरना है, इस ऑपरेशन के तहत जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों की घुसपैठ करानी शुरू कर दी और भारत को दूसरे मोर्चों पर घेरना शुरू कर दिया था, इस दौरान भारत को खुफिया जानकारी मिली कि पाकिस्तान कश्मीर पर कब्जा करना चाहता है और इसके लिए उसने अपने 30 हजार जवानों को गुरिल्ला वार का ट्रेनिंग भी दी है.
तब पाकिस्तान ने 8 सितंबर 1965 को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था, पाकिस्तानी सेना ने खेमकरण सेक्टर के उसल उताड़ गांव पर हमला कर दिया, पाकिस्तान की तैयारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने भारत के खिलाफ अमेरिकन पैटन टैंकों को उतारा था, उस दौरान इन टैंकों को अपराजेय माना जाता था, यानि शुरू से ही अमेरिका ने पाकिस्तान को अपनी औलाद बनाकर रखा था, जबकि इसके जवाब में भारतीय जवानों के पास केवल थ्री नॉट थ्री रायफल और एलएमजी के साथ गन माउनटेड जीप हुआ करती थी.
तब की मिली जानकारियों के मुताबिक 8 सितंबर 1965 की सुबह अब्दुल हमीद की जीप चीमा गांव के बाहर गन्ने के खेतों से गुजर रही थी, जीप में अब्दुल हमीद ड्राइवर के बगल में बैठे थे, इस दौरान उन्हें दूर से आती टैंकों की आवाज सुनाई दी, कुछ देर बाद उन्हें टैंक भी दिखाई देने लगे, वीर अब्दुल हमीद ने तुरंत अपनी पोजिशन ली और अपनी रिकॉयलेस गन को टैंकों की तरफ सेट कर दिया, अब बस इंतजार था गन की रेंज में टैंकों के आने का, कुछ देर बाद जैसे ही रेंज में पाकिस्तानी टैंक आईं वैसे ही वीर अब्दुल हमीद की गन माउनटेड आरसीएल जीप ने आग उगलना शुरू कर दिया और देखते ही देखते पाकिस्तान के सात टैंकों के परखच्चे उड़ गए, वीर अब्दुल हमीद ने पाकिस्तान की आर्टिलरी को पूरी तरहां धवस्त कर दिया था.
गन्ने के खेत में पोजिशन लेने का अब्दुल हमीद को शुरुआती फायदा तो हुआ, लेकिन यह केवल कुछ समय के लिए था, इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से वीर अब्दुल हमीद की गाड़ी पर जबरदस्त हमला शुरू हुआ, इस हमले में उनकी जीप पर सवार ड्राइवर की शहीद हो गये, लेकिन वीर सपूत हमीद ने हिम्मत नहीं हारी, वे लगातार लड़ते रहे और अपनी पोजीशन बदलते रहे, जबकि वीर अब्दुल हमीद हमले से काफी घायल हो चुके थे और लगातार लड़ने के कारण थकने भी लगे थे, लेकिन उन्होंने लड़ाई जारी रखी, क्यूंकि सवाल था मुल्क की हिफ़ाज़त का, इस बीच पाकिस्तानी टैंकों ने उनकी तरफ निशाना साधा और एक हमले में वीर अब्दुल हमीद की जीप के भी परखच्चे उड़ गए.
वीर अब्दुल हमीद की गन माउनटेड जीप द्वारा पैटन टैंकों को धवस्त करने की खबर ने दुनियाभर को हिला कर रख दिया था, यह घटना किसी अजूबे से कम नहीं थी, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि तब अमेरिका ने पाकिस्तान के पैटन टैंकों की दोबारा समीक्षा की थी.
आपको बता दें कि वीर शहीद अब्दुल हमीद 4 ग्रेनेडियर के सिपाही थे, और दुश्मन के ख़िलाफ़ 1965 की जंग में वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी, उनके इस ना भुलाने वाले साहस और बहादुरी के लिए वीर शहीद अब्दुल हमीद को 16 सितंबर 1965 को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया...!
मगर अफ़सोस आज उन्ही वीर सपूतों के वारिसों से मुल्क की वफ़ादारी के सबूत मांगे जा रहे है वो भी दुश्मन के बाप अमेरिका के इशारे पर, इससे साफ़ समझा जा सकता है कि अमेरिका की मंशा क्या है वो क्या चाहता है, कहते हैं जब अपने घर में दुश्मन हों तब बाहर वालों की ज़रूरत ही क्या है...!
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