Tuesday, 9 March 2021

सऊदी अरब ने भारत के ख़ज़ाना ख़ाली करने की खोली पोल...?


"एस एम फ़रीद भारतीय"
सम्पादक एनबीटीवी इंडिया 
पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगी देशों द्वारा उत्पादन पर लागू नियंत्रण में उठाने की भारत की अपील को अनसुना कर दिये जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ गये हैं, सऊदी अरब ने भारत से कहा कि वह पिछले साल जब कच्चे तेल के दाम काफी नीचे चले गये थे उस समय खरीदे गये कच्चे तेल का इस्तेमाल कर सकता है, इतना कहते हुए कच्चे तेल का सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाले ब्रेंट कच्चे तेल का भाव शुक्रवार को करीब एक प्रतिशत बढ़कर 67.44 डालर प्रति बैरल पर पहुंच गया.

ओपेक और उसके सहयोगी देशों, जिन्हें ओपेक प्लस के नाम से जाना जाता है, ने अपने बेठक में इस बात पर सहमति जताई कि अप्रैल में कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ाया जाना चाहिये, इन देशों का मानना है कि मांग में और मजबूत सुधार आने देने की प्रतीक्षा करनी चाहिये, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ओपेक देशों की बृहस्पतिवार को होने वाली बैठक से पहले इन देशों से अपील की थी कि कच्चे तेल के दाम में स्थिरता लाने के लिये वह उत्पादन पर लागू बंदिशों को कम करें.

उनका मानना था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ते कच्चे तेल के दाम से आर्थिक क्षेत्र में आने वाला सुधार और मांग दोनों पर बुरा असर पड़ रहा है। ओपेक देशों की बैठक के बाद संवददाता सम्मेलन में भारत के आग्रह के बारे में पूछे गये सवाल पर सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज बिन सलमान ने कहा कि भारत को पिछले साल काफी कम दाम पर खरीदे गये कच्चे तेल के भंडार में से कुछ तेल का इस्तेमाल कर लेना चाहिये.

आपको बता दें कि पिछले साल भारत ने खरीदा था 67 लाख बैरल कच्चा तेल, भारत ने पिछले साल जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम काफी कम दाम पर चल रहे थे अपने रणनीतिक भंडारों को भरने के लिये एक करोड़ 67 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद की थी। उस कच्चे तेल का औसत मूल्य 19 डालर प्रति बैरल पड़ा था, ये पैट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी.

अब आप समझ सकते हैं कि क्यूं भारत सरकार ने अपने रिजर्व ख़ज़ाने को ख़ाली होने की परवाह ना करते हुए जल्दबाज़ी मैं देश के ख़ज़ाने को ख़ाली किया था, मक़सद आज साफ़ नज़र आ रहा कि तब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार मैं तेल के दाम कम थे और ये दाम पूरे पांच सालों तक कम रहे, तभी देश के पीएम ने भी कहा था कि नसीब वाला पीएम चाहिए या....?

मगर सवाल ये पैदा होता है कि नसीब वाले पीएम ने देश की जनता को अपने नसीब वाला होने का इनाम क्या दिया, क्या दुनियां मैं तेल के दाम गिरने का फ़ायदा देश की आम जनता को मिला, क्या आज देश का ख़ज़ाना भरा हुआ है या ख़ाली है ये भी देश की जनता के सामने रखना चाहिए, साथ ही वो मिसाल भी आज सच साबित हुई कि किसी भी वस्तु को स्टोर करने से महंगाई बढ़ती है, जो सब देख रहे हैं.

बहरहाल अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें एतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच चुकी हैं, तेल कंपनियों ने यदि कच्चे तेल के दाम में आई ताजा वृद्धि को भी ग्राहकों पर डाल दिया तो इनकी खुदरा कीमतें और बढ़ जायेंगी, जनता को इसके लिए तैयार रहना होगा, कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से तैयार पैट्रोलियम पदार्थ महंगे होंगे और इनके महंगे होने से देश मैं हर वस्तु के दाम आसमान छूने लगेंगे, महंगाई सच मैं डायन बन जायेगी...!

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