Monday, 5 July 2021

इतिहास के 10 सबसे क्रूर तानाशाहों के बारे मैं...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"
तानाशाही सत्ता में बने रहने के लिए बल का प्रयोग और राजनीतिक विरोधियों का व्यवस्थित तरीके से उत्पीड़न, प्राचीन रोमन सभ्यता से ही चले आ रहे हैं, लेकिन, आधुनिक इतिहास के तानाशाहों ने इसे मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन और क्रूरता का पर्याय बना दिया, वहीं मानव इतिहास के कुछ सबसे अधिक क्रूर तानाशाहों को सत्ता संभाले बहुत अधिक समय नहीं हुआ है, इस लेख में जानिए इतिहास के 10 सबसे ज्यादा निर्मम और क्रूर तानाशाहों के बारे में.

जब तानाशाही की बात होती है तब, सबसे पहले दिमाग में हिटलर का ही नाम आता है, जर्मनी के एडॉल्फ हिटलर को 1930 के दशक में सत्ता मिली थी और वह मानव इतिहास में सबसे बड़ी क्रूरताओं के लिए जिम्मेदार था, हिटलर की विदेश नीतियों के चलते द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई थी, जिसमें पांच से सात करोड़ लोगों की मौत हुई थी, इसके साथ ही उसने लगभग 1.1 करोड़ लोगों की नस्लीय आधार पर व्यवस्थित हत्या का आदेश दिया, जिनमें से 60 लाख लोग यहूदी थे, हिटलर ने दूसरे विश्व युद्ध में हार के बाद सोवियत रेड आर्मी की गिरफ्त में आने से बचने के लिए 30 अप्रैल 1945 को आत्महत्या कर ली थी.

दूसरा नाम जॉर्जिया में जन्मा सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन साल 1924 में लेनिन की मौत के बाद सत्ता में आया था, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन का भविष्य का सहयोगी स्टालिन एक सनकी व्यक्ति था, उसने अपने राजनीतिक शत्रुओं के साथ साथ संदिग्ध विपक्षियों को भी क्रूरता से दबा दिया, माना जाता है कि स्टालिन के शासन काल में करीब 1.4 से दो करोड़ लोगों की मौत दंड श्रम शिविरों (गुलगा) में या 1930 के दशक में हुए ग्रेट पर्ज के दौरान हुई थी, इस दौरान लाखों लोग निर्वासित कर दिए गए, साल 1936 में 13 रूसी नेताओं पर स्टालिन को मारने का षड्यंत्र रचने का आरोप भी लगाया गया और उसे मृत्युदंड दिया गया था.

तीसरे नाम खमेर रूज 1975 से 1979 तक कंबोडिया का तानाशाह रहा पॉल पॉट आधुनिक इतिहास के सबसे गंभीर नरसंहारों में से एक के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार था, चार साल तक कंबोडिया की सत्ता संभालने के दौरान करीब 10 लाख लोगों की मौत भुखमरी, जेल में, जबरन श्रम और हत्याओं की वजह से हो गई थी, उसे 1979 में वियतनाम ने सत्ता से बाहर कर दिया, लेकिन अपने लाल खमेर समर्थकों के साथ उसने थाईलैंड के ग्रामीण इलाकों में काम करना जारी रखा.

चौथा नाम युगांडा का तीसरा राष्ट्रपति ईदि अमीन करीब ढाई लाख लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार था, उसके शासन के आतंक के परिणामस्वरूप इतने लोगों की मौत हुई, उसके शासनकाल में प्रताड़ना, मृत्यु दंड, भ्रष्टाचार और जातीय उत्पीड़न चरम पर पहुंच गया था। वह 1972 से 1979 तक सत्ता में रहा, फिर तंजानिया के खिलाफ हार के बाद देश छोड़कर भाग गया, जिसपर एक साल पहले उसने हमला किया था, वह लीबिया में और फिर सऊदी अरब में रहा, साल 2003 में उसकी मौत हो गई थी.

पांचवां नाम सैन्य तानाशाह ऑगस्टो पिनोशे चिली में 1973 में हुए तख्तापलट के बाद सत्ता में आया था, पिनोशे करीब 20 साल तक सत्ता में रहा और इस दौरान उसने अपने विरोधियों का बेरहमी से दमन किया, उसके शासनकाल के पहले तीन साल में ही करीब एक लाख लोग गिरफ्तार किए गए थे, 1990 में पिनोशे के राष्ट्रपति बने रहने पर हुए एक जनमत संग्रह में चिली की जनता ने उसके खिलाफ वोट किया, जिसके चलते उसने राष्ट्रपति पद छोड़ दिया, साल 2000 की शुरुआत में उसे खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए ट्रायल का सामना करना पड़ा था, लेकिन अदालत ने कहा था कि वह ट्रायल के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं.

छठा नाम हैती के तानाशाह फ्रैंकॉइस डुवेलियर ने अमेरिका के सबसे गरीब देश की सत्ता 1957 से अपने निधन (1971) तक संभाली, ये अनुमान लगाया जाता है कि उसके शासन के दौरान हैती में करीब 30 हजार लोगों की हत्या की गई, वहीं हज़ारों लोगों को देश भी छोड़ना पड़ा, पापा डॉक के नाम से मशहूर रहे डुवेलियर को कई लोग हेती की वर्तमान दशा के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं, फ्रैंकॉइस के बाद उसके बेटे जॉन-क्लॉड डुवेलियर ने सत्ता संभाली, जिसका आतंक 1986 तक चला, जिसके बाद वह खुद निर्वासन में चला गया था.

सातवां नाम स्पेन का तानाशाह फ्रांसिस्को फ्रैंको सिविल वॉर में जीत के बाद 1939 से लेकर 1975 में अपने निधन तक सत्ता में रहा, उसके शासनकाल में बड़े स्तर पर असंतुष्टों का गंभीर और व्यवस्थित दमन हुआ, उन्हें या तो कन्संट्रेशन शिविरों में भेज दिया जाता था या जेल में बंद कर दिया जाता, इसमें उनसे या तो जबरन मज़दूरी कराई जाती या फिर मृत्यु दंड दे दिया जाता, 1960 और 1970 के दशक में फ्रैंको का शासन कुछ उदार हुआ लेकिन स्पेन एक लोकतांत्रिक देश उसकी मौत के बाद ही बन पाया.

आठवां नाम लिबेरिया का पूर्व राष्ट्रपति चार्ल्स टेलर 1997 में इस पद के लिए चुना गया था, कथित तौर पर उसने यह पद देश की आबादी को डराकर हासिल किया था, वह मानवाधिकारों के घृणित उल्लंघन, युद्ध अपराध और पड़ोसी सिएरा लिओन में सिविल वॉर में मानवता के खिलाफ अपराधों से जुड़ा रहा, इसके अलावा दूसरे लिबेरियाई सिविल वॉर में भी उसने कई अपराधों को अंजाम दिया था, यह सिविल वॉर 1999 से 2003 तक चली, उसके खिलाफ सिएरा लियोन सिविल वॉर में संलिप्तता के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में ट्रायल चला था और 50 साल कैद की सजा सुनाई गई थी.

नवां नाम इथियोपिया के तानाशाह मेंजित्सू हेल मरियम ने राजशाही को उखाड़ फेंकने में अहम भूमिका निभाई थी, वह 1974 में एक कम्युनिस्ट सैन्य जुंटा के साथ सत्ता में आया जिसे डर्ग के नाम से जाना जाता था, 1970 के दशक के अंत के दौर में उसने एक हिंसक अबियान चलाया जिसे 'इथियोपियन रेड टेरर' नाम दिया गया था, इस दौरान करीब पांच लाख लोग मारे गए थे, 1991 में मेंजित्सू जिम्बाब्वे चला गया था, उसे 2006 में नरसंहार के लिए दोषी ठहराया गया था, फिलहाल वह जिम्बाब्वे में रह रहा है.

इनके अलावा दसवां नाम पर ईराक के पूर्व राष्ट्रपति मरहूम सद्दाम हुसैन को भी क्रूर तानाशाहों मैं गिना जाता है, अमेरिका का कहना है कि सद्दाम हुसैन 1979 में सत्ता में आये उनको करीब पांच से 10 लाख तक लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार माना जाता है, इनमें कुर्द समुदाय के लोगों की संख्या करीब 70 हजार से तीन लाख तक मानी जाती है, 2003 में अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम की अगुवाई में बने गठबंधन के दखल के बाद सद्दाम हुसैन को सत्ता से बेदखल कर दिया, साल 2006 में उनको 1980 की शुरुआत के 148 शिया मुसलमानों की मौत के मामले में दोषी करार दिया गया था और मौत की सजा सुनाई गई थी, उनको 30 दिसंबर 2006 को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया...!

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