Friday 16 July 2021

अफ़वाह डर और दहशत से बाहर निकलें मुस्लमान- अशफ़ाफ सैफ़ी यूपी अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष


"ख़बर एनबीटीवी इंडिया"
बुलंदशहर कल बीती रात अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफ़ाक सैफ़ी ने बुलंदशहर कई जगह का दौरा किया और हर जगह आपका फूल और नोटों की मालाओं के साथ ताज पहनाकर स्वागत किया गया, स्वागत के बाद जनाब अशफ़ाक साहब ने अपने विचार पेश करते हुए कहा कि हिदूं मुस्लिमों को भाई चारे के साथ रहना चाहिए, अपनी मिसाल देते हुए कहा कि भाजपा मुस्लिमों की दुश्मन नहीं है, लेकिन कुछ पार्टियां सियासत की ख़ातिर ऐसे पेश करती ई हैं.

सबसे पहले अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष आवास विकास में श्री सुनील वशिष्ठ व श्री अनिल शर्मा जी की माताजी स्वर्गीय श्रीमती सुदेशा शर्मा जी धर्मपत्नी श्री राजवीर शर्मा जी के आवास पर श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे वहां दुख की घड़ी मैं दुख मैं शरीक होते हुए ईश्वर से प्रार्थना की, कि शोक संतप्त परिवार को इस असीम दुःख की घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करें.

उसके बाद उर्दू अकेडमी उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व सदस्य जनाब नदीम अख़्तर के आवास शेख सराय पर पहुंचे, जहां नदीम अख़्तर ने अपने वालिद और अन्य मौहल्ले वासियों के साथ अशफ़ाक सैफ़ी का खुले दिल से स्वागत किया गया, आपको बता दें कि नदीम अख़्तर और इनके वालिद अख़्तर साहब भी कई दशक से भाजपा से जुड़े हैं और पार्टी मै रहकर लोगों को सरकार की नीतियों से लाभ दिला रहे हैं.

सबसे आखि़र मैं अशफ़ाक सैफ़ी साहब पल्लव विहार मैं मक़सूद एडवोकेट के आवास पर पहुंचे जहां मक़सूद साहब ने शहर के जाने माने लोगों को साथ लेकर आपका फूल व नोटों की मालाओं के साथ ताज पहनाकर स्वागत किया, यहां एक छोटी सी सभा भी की गई जहां बहुत से लोगों ने अपने विचार रखे, सभा की अध्यक्षता जनाब शरीफ़ साहब ने की संचालन की जिम्मेदारी फ़रीद भारतीय ने निभाई.

मंच पर अशफ़ाक सैफ़ी के साथ आये रिज़वान साहब ने कहा कि ये औहदा अशफ़ाक साहब को उनकी वालिदा और वालिद की दुआओं की ख़ातिर मिला है, तारीफ़ करते हुए एक ऐसी बात कही जो बेहद और बचपन से करीब ही कह सकता है, रिज़वान साहब ने कहा कि जब अशफ़ाक मां के पेट मैं थे तब इनकी वालिदा बा वुजू रहा करती थीं और अशफ़ाक को ये औहदा उस बा वुज़ू रहने की ख़ातिर अल्लाह की तरफ़ से ईनाम है, एक पुराना शेर भी पढ़ते हुए मिसाल दी कहा कि -
"हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा.

इसके बाद मंच पर ख़ुद अशफ़ाक साहब ने मौजूद शहर के जाने माने लोगों को देख ख़ुश होकर सभी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि मैं आप सभी का शुक्र गुज़ार हुँ और मैं आपके दिलों से डर और दहशत को निकालने आया हुँ, ये मंच किसी राजनैतिक पार्टी का मंच नहीं है और ना ही ये पद कोई राजनैतिक पद है, बल्कि आज मैं आप सभी की दुआओं और प्यार मुहब्बत की ख़ातिर इस पद पर पहुंचा हुँ, और आपसे वादा करता हुँ कि मैं पूरी ईमानदारी से आपके दिलों को जीतने की कोशिश अपने काम से करूंगा.

आगे बोलते हुए कहा कि कुछ राजनैतिक पार्टियां मुस्लिमों के दिलों मैं डर पैदा कर अपनी राजनीति करती हैं, लेकिन भाजपा मुस्लिमों को साथ लेकर उनकी समस्याओं को दूर कर चलना चाहती है, अब वक़्त आ गया है आपको मुझसे अपनी तक़लीफ़ ब्यान करने की ज़रूरत नहीं है मैं आपकी निगाहों को देख ये समझ जाऊंगा कि आप मुझसे चाहते क्या हैं, मैं किसी को मायूस नहीं होने दूंगा, हर एक की ज़रूरत को समय रहते पूरा करने के साथ आपकी परेशानियों को इस संवैधानिक पद पर रहते हुए दूर करने की कोशिश करूंगा.

ये बात अलग है कि अशफ़ाक साहब भूल गये कि बीते सात साल मुस्लिमों पर किस दहशत के साथ जीते हुए गुज़रे हैं, कितने बेगुनाहों को बे मौत मौत के घाट उतारा गया है और हज़ारों बे गुनाह आज भी उस धारा 66ए मैं बंद कर पीड़ित हैं जो धारा चार साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट निरस्त कर चुकी है, सैंकड़ों मुस्लिमों को लिंचिंग मैं मौत के घाट उतारा गया है, यहां तक कि पुलिस इंस्पेक्टर तक लिंचिंग का शिकार बने हैं और लिंचिंग करने वाले कौन थे ये भी पूरा देश ही नहीं दुनियां भी जानती है.

वहीं सूबे के मुख्यमंत्री ने जो कहा और बीबीसी ने प्रकाशित किया...?

जून 2016: "जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने से कोई नहीं रोक सका तो मंदिर बनाने से कौन रोकेगा."

अक्टूबर 2016: "मूर्ति विसर्जन से होने वाला प्रदूषण दिखता है लेकिन बकरीद के दिन हज़ारों निरीह पशु काटे गए काशी में, उनका ख़ून सीधे गंगा जी में बहा है क्या वो प्रदूषण नहीं था?"

अक्टूबर 2015: दादरी हत्याकांड पर योगी ने कहा - "यूपी कैबिनेट के मंत्री आजम ख़ान ने जिस तरह यूएन जाने की बात कही है, उन्हें तुरंत बर्ख़ास्त किया जाना चाहिए. आज ही मैंने पढ़ा कि अख़लाक़ पाकिस्तान गया था और उसके बाद से उसकी गतिविधियां बदल गई थीं. क्या सरकार ने ये जानने की कभी कोशिश की कि ये व्यक्ति पाकिस्तान क्यों गया था? आज उसे महिमामंडित किया जा रहा है."

जून 2015: "जो लोग योग का विरोध कर रहे हैं उन्‍हें भारत छोड़ देना चाहिए. जो लोग सूर्य नमस्‍कार को नहीं मानते उन्‍हें समुद्र में डूब जाना चाहिए."

अगस्त 2015: "मुस्लिमों की जनसंख्या तेजी से बढ़ना खतरनाक रुझान है, यह एक चिंता का विषय है, इस पर केंद्र सरकार को कदम उठाते हुए मुसलमानों की आबादी को कम करने की कोशिश करनी चाहिए."

फरवरी 2015: "अगर उन्हें अनुमति मिले तो वो देश के सभी मस्जिदों के अंदर गौरी-गणेश की मूर्ति स्थापित करवा देंगे. आर्यावर्त ने आर्य बनाए, हिंदुस्तान में हम हिंदू बना देंगे. पूरी दुनिया में भगवा झंडा फहरा देंगे. मक्का में ग़ैर मुस्लिम नहीं जा सकता है, वैटिकन में ग़ैर ईसाई नहीं जा सकता है. हमारे यहां हर कोई आ सकता है."

अगस्त 2014: लव जेहाद' को लेकर योगी का एक वीडियो सामने आया था. इसमें वे अपने समर्थकों से कहते सुनाई दे रहे थे कि हमने फैसला किया है कि अगर वे एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन करवाते हैं तो हम 100 मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाएंगे. बाद में योगी ने वीडियो के बारे में कहा कि मैं इस मुद्दे पर कोई सफ़ाई नहीं देना चाहता, ये सब बीबीसी ने कहा था.

सबसे अलग अभी धर्मांतरण करने वाले गिरोह, शब्दों पर ज़ोर दें, गिरोह बताकर दो सदस्यों मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी और मोहम्मद उमर गौतम को  यूपी पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने लखनऊ से गिरफ्तार किया था, यह गिरोह मूक बधिर व कमजोर आय वर्ग के लोगों को धन, नौकरी व शादी का लालच देकर धर्म परिवर्तन करने के लिए तैयार करता था, क्या इसके लिए आयोग के अध्यक्ष कुछ कहेंगे, क्या ये अल्पसंख्यकों का हनन है या नहीं, जबकि ये आज नहीं बरसों से साबित है कि कोई किसी को जबरन धर्म परिवर्तन नहीं करा सकता, ये घटनाऐं मुस्लिमों शक और डर पैदा करना चाहती हैं...?

जबकि देश का संविधान कहता है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद २१, १ ९ ५०, भारत और राज्यों के क्षेत्र के भीतर सभी व्यक्तियों को जीवन के अधिकार की गारंटी देता है: "कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं होगा।" अनुच्छेद 21 प्रत्येक व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है.

वहीं भारत के मुख्य न्यायाधीश, जे एस वर्मा ने पूरी तरह से मानवीय सम्मान के साथ जीवन के अधिकार के बारे में विचार व्यक्त किया, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है। न्यायमूर्ति कृष्ण अय्यर ने कहा है कि, अनुच्छेद 21 को जीवन और स्वतंत्रता के संरक्षण के रूप में जाना जाता है। जीवन के अधिकार का मतलब यह नहीं है कि यह केवल जीवन का अस्तित्व है, बल्कि यह एक गरिमापूर्ण गुणवत्ता वाला जीवन होना चाहिए। खराह सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में की शीर्ष अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति ‘जीवन’ केवल शारीरिक संयम या कारावास तक सीमित नहीं था, बल्कि केवल पशु अस्तित्व से कुछ अधिक है.

संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी व्यक्ति को किसी भी प्रतिबंध या अतिक्रमण से मुक्त होने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि, अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार का अर्थ  इंसान की जरूरतों को शामिल करने के लिए सिर्फ एक जानवर के जीवन से परे होना चाहिए। पी रथिनम बनाम भारत संघ के मामले में जीवन शब्द को ‘मानव गरिमा के साथ जीने के अधिकार’ के रूप में परिभाषित किया गया है। यह मानवीय सभ्यता को और सुदृढ़ बनाता है और जीवन की व्यापक अवधारणा मतलब परंपरा, संस्कृति और विरासत को सही दिशा प्रदान करता है.

19 नवम्बर 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि बालिग होने पर एक व्यक्ति को जीवन साथी चुनने का संवैधानिक रूप से अधिकार मिल जाता है और इस अधिकार से उसे वंचित करने पर न केवल उसका मानवाधिकार प्रभावित होगा, बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिला जीवन जीने और निजी स्वतंत्रता का अधिकार भी प्रभावित होगा.

एक दंपति द्वारा उनकी शादी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह टिप्पणी की.

अदालत ने कहा कि जीवनसाथी, भले ही उसका कोई भी धर्म हो, चुनने का अधिकार जीवन जीने और निजी स्वतंत्रता के अधिकार में अंतर्निहित है. अदालत ने महिला के पिता द्वारा उसके पति के खिलाफ दायर एफआईआर रद्द कर दी. महिला ने धर्म परिवर्तन के बाद उस व्यक्ति से शादी की थी.

न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने कुशीनगर के सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार उर्फ आलिया द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया.

याचिकाकर्ताओं ने कुशीनगर के विष्णुपुरा पुलिस थाने में 25 अगस्त, 2019 को आईपीसी की धारा 363, 366, 352, 506 और पॉक्सो कानून की धारा 7/8 के तहत दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने की मांग की थी.

क्या इन बातों से देश प्रदेश के मुस्लिमों को इंसाफ़ मिल पायेगा, क्या मुस्लिमों को यक़ीन करना चाहिए या ये कहना कि मुस्लिमों को दीगर पार्टियां भाजपा का डर दिखाती हैं जबकि भाजपा मुस्लिमों को साथ लेकर चलना चाहती है...?

आख़िर मैं सभा की अध्यक्षता कर रहे शरीफ़ अहमद साहब ने कहा कि आपको अपनी बातों से नहीं बल्कि ज़मीनी स्तर पर कुछ करके अपने संवैधानिक पद के पीड़ितों को इंसाफ़ दिलाना होगा, क्यूंकि यही पद की मर्यादा है.

स्वागत सभा मैं मक़सूद आदम एडवोकेट, इस्लाम अहमद, ज़ाकिर सैफ़ी, रोबिन सैफ़ी, जा वकील सैफ़ी, डा नासिर सैफ़ी, डा आरिफ़ कमाल, डा कलाम, राशिद भाई इमलिया वाले, हाजी उमर फ़ारूख, लाला यूसुफ़, अलीहसन सैफ़ी, अतीक बर्नी, सगीर सैफ़ी, ज़हीर सैफ़ी, हाजी अबरार, मक़सूद खान रि एल आई सी, हाजी बाबुद्दीन, शफ़ी अहमद, अली भाई, अनवार अहमद, औवेस अहमद, आरिश सैफ़ी, शौकीन अहमद, रियाज़ अहमद वगैरा के साथ मकसद एडवोकेट का पूरा स्टाफ़ स्वागत मैं शामिल रहा.

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