Thursday, 30 September 2021

चारों आसमानी किताबों के बारे मै...?

दोस्तों, अस्सलामु अलेयकुम वा रहमत्तुल्लहि वा बरकातेहु.
आईये जानते हैं आसमानी किताबों के बारे में उससे पहले अपने प्यारे आका हुजूरे अनवर सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम कि बारगाह मे दूरूदे पाक पेस करते हैं-
ٱللَّٰهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَعَلَىٰ آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ وَعَلَىٰ آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
 ٱللَّٰهُمَّ بَارِكْ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَعَلَىٰ آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا بَارَكْتَ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ وَعَلَىٰ آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ


आसमानी किताबों का बयान
सवाल - आसमान से कितनी किताबें और सहीफे ( छोटी किताबें ) नाज़िल हुऐ ( उतरे ) ? 
जवाब - चार मुकद्दस किताबें और 100 सहीफे नाज़िल हुए.                              
(ख़ाज़िन 1 पेज 169 , तकमीलुलईमान पेज 10) 

सवाल - किस नबी पर कौनसी किताब नाज़िल हुई ?
जवाब -  " तौरेत " हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पर , " जुबूर " हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम पर , " इन्जील " हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम पर और " कुरान " मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम पर नाज़िल हुआ ।।            (तकमीलुल ईमान पेज 10) 

सवाल - किस नबी पर कितने सहीफे नाज़िल हुऐ ? 
जवाब - हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पर दस , हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर दस हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम पर तीस , हज़रत शीस अलैहिस्सलाम पर पचास सहीफे नाज़िल हए.                 
(ख़ाज़िन 1 पेज 169 अशिअअतुल लमआत 1 पेज 40)

सवाल - तौरेत किस तारीख में नाज़िल हुई ? 
जवाब - छः रमज़ान को नाज़िल हुई.                      
(अलइतकान 1 पेज 41 , फतावा हदीसिया पेज 169) 

सवाल - तौरेत किस जुबान में नाज़िल हुई ? 
जवाब - सुरयानी जुबान में.                             
(ज़रकानी 1 पेज 214 , अलमलफूज़ 4 पेज 14) 

सवाल - तौरेत शरीफ़ में कितनी सूरतें थीं ? 
जवाब - एक हज़ार सूरतें और हर सूरत में एक - एक हज़ार आयतें थीं ।                                           (खज़ाइन पेज 460) 

सवाल - तौरेत शरीफ की ज़ख़ामत ( मोटाई और वज़न ) क्या थी ? 
जवाब - सत्तर ऊटों के बोझ के बराबर , उसके एक हिस्से की तिलावत ( पढ़ना ) एक साल में मुकम्मल होती थी.       
(आशिअतुललमआत पेज 89 , ख़ाज़िन व मआलिम 2 पेज 236) 

सवाल - कितने हज़रात हैं जो तौरेत शरीफ़ के हाफ़िज़ हुऐ ? 
जवाब - सिर्फ चार पैगम्बर हैं जो तौरात शरीफ़ के हाफ़िज़ हुऐ और याद भी रखा (1) हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम (2) हज़रत यूशअ बिन नुन (3) हज़रत उजै़र (4) हज़रत ईसा अलैहिमुस्सलाम.     (सावी 2 पेज 85 , ख़ाज़िन व मआलिम , 2 पेज 236) 

सवाल - ज़बूर किस तारीख में नाज़िल हुई ? 
जवाब - अठारह रमज़ान को.                           
(अलइतकान 1 पेज 41) फतावा हदिया पेज 169

सवाल - ज़ुबूर किस जुबान में नाज़िल हुई ? 
जवाब - इब्रानी जुबान में ।                        
(उम्दतुल कारी 1 पेज 35) 

सवाल - जुबूर में कितनी सूरतें थीं ? 
जवाब - एक सौ पचास सूरतें थीं जिनमें सिर्फ दुआ और अल्लाह की हम्द व तारीफ़ थी । न तो इसमें हलाल व हराम का बयान था और न फ़रज़ों और हदों का ज़िक्र.                      
(ख़ाज़िन 2 पेज 519 , अलइतकान जिल्द 1 पेज 66) 

सवाल - इन्जील किस तारीख में नाज़िल हुई ? 
जवाब - तेरह रमज़ान में.                       
(अलइतकान 1 पेज 41 , फतावा हदीसया पेज 169) 

सवाल - इंजील किस जुबान में नाज़िल हुई ? 
जवाब - इबरानी जुबान में.                             
(जरकानी 1 पेज 214 , अलमलफूज़ 4 पेज 14) 

सवाल - कुरान किस तारीख में नाज़िल हुआ ? 
जवाब - लोहे महफूज़ से आसमाने दुनिया की तरफ़ उसका नुजूल (उतरना) रमज़ान शरीफ की 27 तारीख में हुआ फिर वहाँ से ज़रुरत के मुताबिक़ थोड़ा - थोड़ा नाज़िल होता रहा.                                    (खज़ाइन 872) (रुहुलबयान 4 पेज 681) 

सवाल - फिर दुनिया के आसमान से कितने साल में मुकम्मल नाज़िल हुआ ? 
जवाब - 23 साल में ।             
(सावी 1 पेज 3 , ख़ाज़िन 1 पेज 131) 

सवाल - क्या कुरान पाक का आना सिर्फ हज़रत जिब्राईल के वास्ते से हुआ या दूसरे फ़रिश्तों के ज़रीऐ भी हुआ ? 
जवाब - सिर्फ हज़रत जिब्राईल के वास्ते से हुआ दूसरा कोई फ़रिश्ता कुरान लेकर नहीं उतरा.                    
(मवाहिब लदुिन्नया 1 पेज 44 , अलइतकान 1 पेज 45) 

सवाल - कुरान के नाज़िल होने की इब्तेदा किस तारीख से हुई ? 
जवाब - सत्तरह रमज़ान पीर के दिन से.                  (जरकानी 1 पेज 207 , नुरुल अबसार पेज 11) 

सवाल - सबसे पहले कौनसी आयत उतरी ? 
जवाब - इक़रा बिस्मि रब्बिका.                                (अलइतकान 1 पेज 23 , सावी 1 पेज 3) 

सवाल - सबसे आखिरी आयत कौनसी उतरी ? 
जवाब - वत्तक यौमन तुरजऊन फीहि इलल्लाह                                      
(अलइतकान 1 पेज 23 , सावी 1 पेज 3) 

सवाल - कुरान में कितनी सूरतें हैं ? 
जवाब - एक सौ चौदह सूरतें हैं.                  (अलइतकान 1 पेज 64) 

सवाल - इसमें कितनी सूरतें मक्की और कितनी सूरतें मदनी हैं ? 
जवाब - तिरासी सूरतें मक्की और इकत्तीस सूरतें मदनी हैं.                                                        (सावी 1 पेज 3) 

सवाल - नबियों के नाम से कितनी सूरतें हैं ? 
जवाब - छः सूरतें हैं (1) सूरऐ यूनुस (2) सूरऐ हूद (3) सूरऐ यूसुफ (4) सूरए इब्राहीम (5) सूरए नूह (6) सूरए मुहम्मद.
                                                                        (कुराने मुकद्दस) 
सवाल - कुरान में कितनी आयतें हैं ? 
जवाब - इस बारे में चन्द कौल हैं लेकिन मुफस्सिरों के सरदार हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से रिवायत है कि छ : हज़ार छः सौ सोलह आयतें हैं.    (इतकान 1 पेज 67) 

नोट : - यहां इमाम अहमद रज़ा फ़ाज़िले बरेलवी ने कन्जुलईमान में छः हज़ार दो सौ छत्तीस शुमार की हैं.

सवाल - कुरान में कितने कलमे हैं ? 
जवाब - 77 , 9 , 34                                (अलइतकाना 1 पेज 67) 

सवाल - कुरान में कितने हुरुफ़ हैं ? 
जवाब - तीन लाख तेइस हज़ार छ : सौ इकहत्तर 
( 323671 ) (अलइतकान 1 पेज 70)

सवाल - कुरान की सूरतों में यह तर्तीब किसने दी ? 
जवाब - यह तर्तीब तोकीफ़ी है यानी अल्लाह की जानिब से और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से साबित है , और यह खास लौहे महफूज़ के मुताबिक है । रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम हर साल रमज़ान शरीफ़ में इसी तर्तीब पर हज़रत जिबराईल से कुरान का दौर फरमाते थे.
(अलइतकाना 1 पेज 62 जुमल 1 पेज 8) 

सवाल - आयतों में यह तरतीब किसने दी ? 
जवाब - यह तर्तीब भी तौकीफी हे यानी अल्लाही की वही और हुजूर अनवर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के मुताबिक आयतों को तर्तीब वार रखा गया । यही तर्तीब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से नक़ले मुतवातिर ( सिलसिलेवार ) के साथ साबित है नबी - ए - करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सहाब - ए - किराम को आयतों के बारे में हुक्म देते थे कि फलाँ आयत फलाँ जगह लिखो , फलाँ जगह फलाँ आयत लिखो.   
(अतइतकान 1 पेज 16 , उम्दतुलकारी 3 पेज 100) 


सवाल - कुरान मुक़द्दस में एराब ( ज़बर , ज़ेर , पेश , जज़्म ) किसने लगाऐ ? 
जवाब - अबुल असवद दोयली ने लागाए, मगर उस वक़्त ज़बर, ज़ेर, पेश वगैरा की शकलें यह न थीं जो आज हैं, उन्होंने नुकतों से ही ज़बर ज़ेर, पेश का काम लिया, फर्क यह था कि एराब वाले नुकतों के लिये उस रंग की रोशनाई न होती जिस रंग से कुरान लिखा होता बल्कि उसके लिये अलग रंग की रोशनाई इस्तेमाल करते थे, ज़बर के लिये हर्फ पर एक नुकता, ज़ेर के लिये हर्फ के नीचे एक नुकता, पेश के लिये हर्फ के अन्दर एक नुकता और तश्दीद के लिये दो नुकते मुकर्रर किये, फिर खलील बिन अहमद फराहीदी ने तशदीद, मद, वक्फ, जज़्म, वस्ल और हरकतों की निशानियाँ लगाई और ज़बर, ज़ेर पेश की सूरतें बनाई जो आज मौजूद हैं.           (रुहुलबयान जिल्द 4 पेज 65 ता 66) 

सवाल - कुरान में नुकते किसने लगाऐ ? 
जवाब - हज्जाज बिन यूसुफ़ सकफ़ी के हुक्म से नसर बिन आसिम लेसी और यहया बिन यामर ने लगाए.
(रुहुलबयान 4 पेज 66) (शरह शिफ़ा 2 पेज 335) 

सवाल - नुकते किस सन में लगाऐ गये ? 
जवाब - 86 हिजरी में 1   
(आईनऐ तारीख पेज 22) 

सवाल - हज़रत उसमान गनी रदियल्लाहु अनहु ने कुरान पाक के कितने नुस्खे तैयार कराऐ ? 
जवाब - मशहूर यह है कि पाँच नुस्खे तैयार कराऐ , लेकिन अबुदाऊद फरमाते हैं कि मैंने अबु हातिम सजिस्तानी से सुना के सात नुस्खे तैयार कराऐ थे जो अलग - अलग इलाकों में भेजे गऐ । एक नुस्खा मक्का शरीफ़ मुल्के शाम एक यमन एक बहरैन एक कूफ़ा एक बसरा , और एक नुस्ख़ा मदीना शरीफ़ ही में महफूज रखा गया था.
(अशिअतुललमआत 2 पेज 164 , अलइतकान जिल्द 1 पेज 81) 

सवाल - कुरान मुक़द्दस के कितने नाम हैं ? 
जवाब - कुल नामों की तादाद तो अल्लाह और रसूल जाने , अलबत्ता इमाम फ़ख्ररुददीन राजी ने 32 नाम शुमार किये हैं. 
(तफ़सीर कबीर 1 पेज 241)

सवाल - कुरान पाक का सबसे पहले फारसी जुबान में तर्जुमा किसने किया है ? 
जवाब - शेख सअ्दी ने.
(आईनए तारीख पेज 40) 

सवाल - कुरआने पाक का सबसे पहले उर्दू ज़बान में तर्जुमा किसने किया ? 
जवाब - शाह शफीउद्ददीन ने 1774 ई ० में किया.
(आइनए तारीख पेज 40) 

सवाल - कुरान पाक में कितनी आयतें हैं जिनसे मसाइल निकाले गये हैं ? 
जवाब - तमाम आयतों का तो इल्म नहीं अलबत्ता अल्लामा मुल्ला जीवन ने अपनी किताब तफ़सीरे अहमदी में पाँचसो आयतों को शुमार किया है.          (तफसीर अहमदी) 

सवाल - क्या कुरान पाक की तरह दूसरी आसमानी किताबें भी मुअजिज़ा ( खुदाई चमत्कार ) हैं ? 
जवाब - हाँ गैब की खबरों पर मुश्तमिल होने की वजह से मुअजिज़ा हैं । अलबत्ता इन किताबों की नज़्मों तालीफ ( तरतीब ) कुरान की तरह मुअजिज़ा नहीं बर खिलाफ़ कुरान के नज्म व तालीफ के एतेबार से भी मुअजिज़ा है. 
(एजाजुलकुरआन पेज 43 , तकमीलुल ईमान पेज 10) 


सवाल - क्या फ़रिश्ते भी कुरान पाक की तिलावत करते हैं ? 
जवाब - आम फ़रिश्तों को यह फजीलत नहीं दी गई , अलबत्ता फ़रिश्तों को कुराने पाक सुन्ने का बहुत शौक है । जब कोई मुसलमान कुरान शरीफ़ पढ़ता है तो फ़रिशते उसके मुंह पर मुँह रखकर कुरान के पढ़ने की लज़्ज़त से फायदा उठाते हैं.
(फतावा हदीसिया पेज 45 , अहकामे शरीअल 1 पेज 119) 

सवाल- कुरान ने कितनी चीज़ों को अहसन ( अच्छा ) फरमाया ? 
जवाब - पाँच चीज़ों को , अव्वल अपने आपको , दूसरे इन्सानी शक्ल व सूरत को , तीसरे अज़ान को चौथे इस्लाम दीन को , पाँचवे यूसुफ़ अलैहिस्सलाम के किस्से को.
(तफ़सीर नईमी पारा 12 पेज 368) 

सवाल - हुजूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने काफ़िरों और मुश्रिकों को कुरान पाक से कितनी बार चैलेन्ज किया ? 
जवाब - चार बार चैलेन्ज किया , पहले पूरे कुरान से दिया जैसे यह आयत “ कुल लइनिज्तमअतिल इन्सो वल जिन्नो अला इंय्यातु बेमिस्लेहाज़ल कुरान “ दूसरे दस सूरतों से दिया जैसे “ कुल फअतू बिअश्रिर - सुवारिम मिलिही मुफ़त - र - यातिन " तीसरे सिर्फ एक सूरत से दिया जैसे “ फअतू बिसूरतिम मिममिस्लिही , " चौथे कुरान जैसी कोई एक ही बात लाने से दिया जैसे “ फलयातु बिहदीसिम मिस्लिही.
(सावी 1 पेज 161) 

सवाल - क्या कुरान में नासिख़ और मनसूख भी हैं ? ( यानी एक आयत या सूरत का हुक्म दूसरी आयत या सूरत के हुक्म को ख़त्म करने वाला ) 
जवाब - हाँ दोनों हैं । कुछ आयतें नासिख़ और कुछ मन्सूख हैं जैसे सूरऐ काफ़िरुन और वह तमाम आयतें जिनमें जंग करने की पहल से रोका गया है , सबकी सब “ फक्तुलुल मुश्रिकीना हैसो वजत्तुमूहम से मन्सूख हैं.
 (तफसीर अहमदी पेज 14)

सवाल - कुरान में ऐसे कितने सवालात हैं जिन्हें नबी सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम से पूछा गया और आपकी तरफ से रब ने जवाब दिया ? 
जवाब - चौदह सवालात हैं , आठ तो सूरऐ बक़र में और छः दूसरी सूरतों में हैं ( 1 ) रब कहाँ है । ( 2 ) चाँद क्यों घटता बढ़ता है ( 3 ) क्या खर्च करें , किस पर करें । ( 4 ) माहे हराम में लड़ने का क्या हुक्म है ? ( 5 ) शराब और जुऐ का क्या हुक्म है ? ( 6 ) क्या ख़र्च करें यानी कितनी मिकदार खर्च करें ( 7 ) यतीमों के मालों को अपने माल से मिलाने का कया हुक्म है ? ( 8 ) हैज़ ( यानी एम ० सी ० ) का हुक्म क्या है ( 9 ) सूरऐ मायदा में क्या - क्या चीजें हलाल हैं । ( 10 ) सूरऐ इनफाल में है , माले गनीमत ( जो माल जंग में हासिल हो ) का मालिक कौन है ? ( 11 ) सूरऐ बनी- इस्राईल में है कि रुह क्या चीज़ है ? ( 12 ) सूरऐ कहफ़ में है कि ( सिकन्दर ) जुलकरनैन के हालात क्या हैं ? ( 13 ) सूरऐ ताहा में है कि कयामत के दिन पहाड़ों का क्या हाल होगा ? ( 14 ) सूरऐ नाज़िआत में है कि कयामत कब के लिये ठहरी हुई है.
(अलइतकान 1 पेज 197) 

सवाल - वह सूरतें या आयतें कौन सी हैं । जिनको लेकर हज़रत जिब्राईल के साथ और फ़रिश्ते भी आऐ ? 
जवाब - वह यह हैं (1) सूरऐ अनआम जिसको लेकर सत्तर हज़ार फ़रिश्ते उतरे (2) सूरऐ फातिहा इस के साथ अस्सी हज़ार फ़रिश्ते उतरे (3) सूरऐ यूनुस इसके साथ तीस हज़ार फरिश्ते उतरे (4) " वस्अल मन अरसल्ला मिन कब्लिक मिरुसुलिना " इसके साथ बीस हज़ार फ़रिश्ते उतरे (5) आयतुल कुर्सी " इसके साथ तीस हज़ार फ़रिश्ते नाज़िल हुऐ (6) सूरऐ कहफ़ इसको लेकर सत्तर हज़ार फ़रिश्ते उतरे.
(कन्जुल उम्माल 1 पेज 144 , अलइतकान 1 पेज 37 और 38) 

सवाल - वह कौनसी सूरतें हैं जिनके बारे में फरमाया गया कि आर्श के ख़ज़ाने से नाज़िल हुई ? 
जवाब - ( 1 ) सूरऐ फातिहा ( 2 ) आयतुलकुर्सी ( 3 ) सूरऐ बकर का आखिर ( 4 ) सूरऐ कौसर.                 (कन्जुल उम्माल 1 पेज 495) 

सवाल - वह दो सूरतें कौनसी हैं जिन्हें नूर कहा गया है और आप से पहले किसी नबी पर नाज़िल नहीं हुई ? 
जवाब - सूरऐ फातिहा और सूरऐ बकर की आखरी आयतें.                                                                 (अलइतकान 1 पेज 38) 

सवाल - कुरान में लफ़्ज़े मुहम्मद और अहमद कितनी जगह पर आया है ? 
जवाब - लफ़्ज़े मुहम्मद चार जगह और अहमद एक जगह है.
(कुरान मुक़द्दस) 

सवाल- वह कौनसी औरत है जिसका नाम कुरान में साफ़ - साफ़ आया है ? 
जवाब - हज़रत मरयम.  
 (सावी 1 पेज 136) 

सवाल - वह कौनसे सहाबी हैं जिनका नाम कुरान में साफ़ लफ़्ज़ों में आया है ? 
जवाब - हज़रत ज़ैद बिन हारिसा , बाकी इनके इलावा किसी सहाबी या सहाबिया का नाम साफ़ - साफ नहीं आया है.
(ज़रकानी 3 पेज 305) 

सवाल - वह कौन ऐसा बद बख़्त है जिसका नाम कुरान ने नहीं लिया बल्कि उसकी कुन्नियत ( उपधि नाम ) जिक्र फ़रमाया ? 
जवाब - अबु लहब है कि उसके इलावा कुरान में किसी की कुन्नियत जिक्र न फ़रमाई गई.                 (अलइतकान 2 पेज 144) 

सवाल - क्या कुराने मुकद्दस का हिफ़्ज़ करना फर्ज़ है...? 
जवाब - हाँ फ़र्ज़ किफाया है.
(फतावा रिज़विया जिल्द 10 निस्फ अव्वल पेज 104)

अल्लाह हमको सहीह से समझ कर अमल की तौफ़ीक अता करें... आमीन.

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