Saturday 30 October 2021

500 करोड़ हर साल दान कर भूलने वाला मुसलमान ग़रीब है...?

दोस्तों,
जैसा कि आप और हम सभी को मालूम है, इस्लाम मैं पांच काम ऐसे हैं जिनको करना फ़र्ज़ और वाजिब है.
*1. ज़कात, 2. कुर्बानी 3. फ़ितरा 4. सदक़ा और 5. इमदाद*

इन सभी के ख़र्च करने का तरीका क़ुरआन और सहीह हदीसों मैं हमको बताया गया है, जिसके मुताबिक हम लोग ख़र्च भी करते हैं और कोशिश करते हैं कि सही हक़दार तक हम उसका हक़ पहुंचा सकें.

फ़ितरा एक ऐसा अमल है जो कोई मदरसा या मस्जिद वसूल नहीं करते हैं, इसको हमें अपने आप ख़ुद ही हक़दारों तक पहुंचाना होता है वो भी ईद की नमाज़ अदा करने से पहले.

फ़ितरा वो रक़म होती है जो खाते-पीते घरानों के लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को देते हैं, ईद की नमाज से पहले इसका अदा करना जरूरी होता है, इस तरह अमीर के साथ ही गरीब की ईद भी मन जाती है, फितरे की रकम भी गरीबों, बेवाओं व यतीमों और सभी जरूरतमंदों को दी जाती है, इस सबके पीछे सोच यही है कि ईद के दिन कोई खाली हाथ न रहे, क्योंकि यह सबसे बड़ी खुशी का दिन होता है.

ज़कात और फ़ितरे में बड़ा फ़र्क ये है कि ज़कात देना रोजे रखने और नमाज पढ़ने जैसा ही जरूरी होता है, फ़ितरे के बारे में आलिम कहते हैं कि ज़कात में 2.5 फीसदी देना तय होता है जबकि फ़ितरे की कोई सीमा नहीं होती, इंसान अपनी हैसियत के हिसाब से कितना भी फ़ितरा दे सकता है.

ज़कात व फ़ितरे पर रोशनी डालते हुए आलिमों ने बताया, अल्लाह ताला ने ईद का त्योहार गरीब और अमीर सभी के लिए बनाया है, गरीबी की वजह से लोगों की खुशी में कमी ना आए इसलिए अल्लाह ताला ने हर संपन्न मुसलमान पर ज़कात और फ़ितरा देना फ़र्ज़ कर दिया है.

दुनियां मैं 10 मुल्क ऐसे हैं जिनकी आबादी पांच करोड़ से ज़्यादा है, इन्हीं मुल्कों मैं हिंदोस्तान का नाम सरकारी आंकड़े के लिहाज़ से तीसरे नम्बर पर आता है.

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में मुसलमानों की कुल जनसंख्या का सर्वाधिक संकेन्द्रण 47% है - जो तीन राज्य में अधिक रहते हैं उत्तर प्रदेश (4.07 करोड़) (19.3%), पश्चिम बंगाल (3.02 करोड़) (27%) और बिहार (1.37 करोड़) (16.9%). मुस्लिम, लक्षद्वीप (2001 में 93%) और जम्मू और कश्मीर (2011 में 68%) में स्थानीय जनसंख्या के बहुमत का प्रतिनिधित्व करते हैं, मुसलमानों की उच्च संख्या असम (35%), पश्चिम बंगाल (28%) दक्षिणी राज्य केरल में (27.7%) पाई जाती है, आधिकारिक तौर पर, भारत में मुसलमानों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी है (इंडोनेशिया और पाकिस्तान के बाद).

इंडोनेशिया 22 करोड़ 5,000,000 लाख,
पाकिस्तान 21 करोड़ 2,742,631 लाख,
हिंदोस्तान (भारत) 18 करोड़ 9,000,000 लाख,
बांग्लादेश 14 करोड़ 8,607,000 9 लाख.
मिस्र 8 करोड़ 0,024,000 हज़ार के करीब, ये मुल्क सबसे ज़्यादा मुस्लिम आबादी के मुल्क हैं, मगर हम बात कर रहे हैं अपने मुल्क हिंदोस्तान यानि भारत की.

सरकारी आंकड़े बताते हैं हमारी आबादी करीब 19 करोड़ है, जबकि अभी जनगणना को रोका हुआ है, लेकिन हम 2011 की पुरानी जनगणना के लिहाज़ से बात करते हैं, बाकी काम आगे के लिए छोड़ देते हैं.

दोस्तों हमारे मुल्क मैं 19 करोड़ मुसलमान का आधा हम फ़ितरा देने वालों का निकाल लेते हैं और आधा वो जो फ़ितरा अदा नहीं कर सकते, जबकि ये सही नहीं है, आंकड़ों के मुताबिक ये संख्या करीब एक तिहाई है, मगर हमने आधा करके ही अपने सवाल के जवाब को देने की कोशिश की है.

2020 मैं आलिमों ने कहा कि फ़ितरे की रकम एक आम मुसलमान पर लगभग 75 रुपये का होगी और ये एक दिन के बच्चे से लेकर बूढ़े से बूढ़े इंसान पर एक ही है और हैसियत दार को हर साल निकालना देना पड़ा है, जबकि बहुत से लोग ऐसे हैं जो ड्राईफ़्रूट के हिसाब से फ़ितरा अदा करते हैं, मगर हमने इस रकम को 60 रूपये माना है और देने वाले 19 करोड़ मैं से आधे ही माने हैं.

तब आप 60 रूपये से 9.5 करोड़ को गुणां करो, तब आता है 5 सौ 70 करोड़ रूपया, ये सिर्फ़ हमारे मुल्क मैं फ़ितरे की रकम है, अगर हम ईद पर ख़र्च की रकम का अंदाज़ा लगायें तब ये एक साल के भारत के बजट से कहीं ऊपर जाता है, मान लो ईदुलफ़ितर पर जो फ़ितरे वाली ईद है, एक परिवार का ख़र्च सिर्फ़ चार हज़ार माने तब साढ़े नो करोड़ मुसलमान का ईद का ख़र्च करीब 38 अरब रूपया हम एक ईद पर ख़र्च कर देते हैं, जबकि भारत का कुल बजट 30 अरब का है.

अब सोचो क्या हमको अब सा से कमतरी का शिकार कर दिलों मैं डर और दहशत नहीं फैलाई जा रही है, कहा जाता है हम सरकारी योजनाओं के सहारे जी रहे हैं, सोचना ज़रूर कि ये कितना सही है और कैस हम इससे बाहर आ सकते हैं...?

पूरा पढ़ने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
आपकी ख़ादिम 
ख़िदमतुल मुस्लिमीन ए हिंद
+919808123436

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