सोनिया गांधी (पहले: एडविग एंटोनिया अलबिना मायनो; जन्म: ९ दिसम्बर १९४६) भारतीय राजनेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष है, वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी हैं। कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल पार्टी के इतिहास में सबसे लंबा है, जिसमें उन्होंने २००४ और २००९ में केंद्र में सरकार बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई, वह फोर्ब्स की सबसे शक्तिशाली महिलाओ की सूची में अनेकों बार जगह बनाई है.
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष थीं, सम्प्रति वे रायबरेली, उत्तरप्रदेश से सांसद हैं और इसके साथ ही वे १५वीं लोकसभा में न सिर्फ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, बल्कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की भी प्रमुख रही हैं, वे १४वीं लोक सभा में भी यूपीए की अध्यक्ष थीं, श्रीमती गांधी कांग्रेस के १३२ वर्षो के इतिहास में सर्वाधिक लंबे समय तक रहने वाली अध्यक्ष हैं (१९९८ से २०१७).
इनका जन्म वैनेतो, इटली के क्षेत्र में विसेन्ज़ा से २० कि॰मी॰ दूर स्थित एक छोटे से गाँव लूसियाना में हुआ था, उनके पिता स्टेफ़िनो मायनो एक फासीवादी सिपाही थे, जिनका निधन १९८३ में हुआ, उनकी माता पाओलो मायनों हैं, उनकी दो बहनें हैं, उनका बचपन टूरिन, इटली से ८ कि॰मी॰ दूर स्थित ओर्बसानो में व्यतीत हुआ, १९६४ में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में बेल शैक्षणिक निधि के भाषा विद्यालय में अंग्रेज़ी भाषा का अध्ययन करने गयीं जहाँ उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई जो उस समय ट्रिनिटी कॉलेज कैम्ब्रिज में पढ़ते थे, १९६८ में दोनों का विवाह हुआ जिसके बाद वे भारत में रहने लगीं, राजीव गाँधी के साथ विवाह होने के 17 साल बाद उन्होंने १९८३ में भारतीय नागरिकता स्वीकार की, उनकी दो संतान हैं एक पुत्र राहुल गाँधी और एक पुत्री प्रियंका वाड्रा.
पति राजीव गांधी की हत्या होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया से पूंछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाये जाने की घोषणा कर दी परंतु सोनिया ने इसे स्वीकार नहीं किया और राजनीति और राजनीतिज्ञों के प्रति अपनी घृणा और अविश्वास को इन शब्दों में व्यक्त किया कि,
"मैं अपने बच्चों को भीख मांगते देख लूँगी, परंतु मैं राजनीति में कदम नहीं रखूँगी."
काफ़ी समय तक राजनीति में कदम न रख कर उन्होंने अपने बेटे और बेटी का पालन-पोषण करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया, उधर पी वी नरसिंहाराव के प्रधानमंत्रित्व काल के पश्चात् कांग्रेस १९९६ का आम चुनाव भी हार गई, जिससे कांग्रेस के नेताओं ने फिर से नेहरु-गांधी परिवार के किसी सदस्य की आवश्यकता अनुभव की.
उनके दबाव में सोनिया गांधी ने १९९७ में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की और उसके ६२ दिनों के अंदर १९९८ में वो कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं, उन्होंने सरकार बनाने की असफल कोशिश भी की, राजनीति में कदम रखने के बाद उनका विदेश में जन्म हुए होने का मुद्दा उठाया गया, उनकी कमज़ोर हिन्दी को भी मुद्दा बनाया गया, उन पर परिवारवाद का भी आरोप लगा लेकिन कांग्रेसियों ने उनका साथ नहीं छोड़ा और इन मुद्दों को नकारते रहे.
सोनिया गांधी अक्टूबर १९९९ में बेल्लारी, कर्नाटक से और साथ ही अपने दिवंगत पति के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी, उत्तर प्रदेश से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ीं और करीब तीन लाख वोटों की विशाल बढ़त से विजयी हुईं, १९९९ में १३वीं लोक सभा में वे विपक्ष की नेता चुनी गईं.
२००४ के चुनाव से पूर्व आम राय ये बनाई गई थी कि अटल बिहारी वाजपेयी ही प्रधान मंत्री बनेंगे पर सोनिया ने देश भर में घूमकर खूब प्रचार किया और सब को चौंका देने वाले नतीजों में यूपीए को अनपेक्षित २०० से ज़्यादा सीटें मिली, सोनिया गांधी स्वयं रायबरेली, उत्तर प्रदेश से सांसद चुनी गईं.
वामपंथी दलों ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिये कांग्रेस और सहयोगी दलों की सरकार का समर्थन करने का फ़ैसला किया जिससे कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों का स्पष्ट बहुमत पूरा हुआ, १६ मई २००४ को सोनिया गांधी १६-दलीय गंठबंधन की नेता चुनी गईं जो वामपंथी दलों के सहयोग से सरकार बनाता जिसकी प्रधानमंत्री सोनिया गांधी बनती, सबको अपेक्षा थी की सोनिया गांधी ही प्रधानमंत्री बनेंगी और सबने उनका समर्थन किया, परंतु एन डी ए के नेताओं ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल पर आक्षेप लगाए, सुषमा स्वराज और उमा भारती ने घोषणा की कि यदि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनीं तो वे अपना सिर मुँडवा लेंगीं और भूमि पर ही सोयेंगीं, १८ मई को उन्होने मनमोहन सिंह को अपना उम्मीदवार बताया और पार्टी को उनका समर्थन करने का अनुरोध किया और प्रचारित किया कि सोनिया गांधी ने स्वेच्छा से प्रधानमंत्री नहीं बनने की घोषणा की है.
कांग्रेसियों ने इसका खूब विरोध किया और उनसे इस फ़ैसले को बदलने का अनुरोध किया पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनना उनका लक्ष्य कभी नहीं है, सब नेताओं ने मनमोहन सिंह का समर्थन किया और वे प्रधानमंत्री बने पर सोनिया को दल का तथा गठबंधन का अध्यक्ष चुना गया.
राष्ट्रीय सुझाव समिति का अध्यक्ष होने के कारण सोनिया गांधी पर लाभ के पद पर होने के साथ लोकसभा का सदस्य होने का आक्षेप लगा जिसके फलस्वरूप २३ मार्च २००६ को उन्होंने राष्ट्रीय सुझाव समिति के अध्यक्ष के पद और लोकसभा का सदस्यता दोनों से त्यागपत्र दे दिया, मई २००६ में वे रायबरेली, उत्तरप्रदेश से पुन: सांसद चुनी गईं और उन्होंने अपने समीपस्थ प्रतिद्वंदी को चार लाख से अधिक वोटों से हराया, २००९ के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर यूपीए के लिए देश की जनता से वोट मांगा, एक बार फिर यूपीए ने जीत हासिल की और सोनिया यूपीए की अध्यक्ष चुनी गईं.
महात्मा गांधी की वर्षगांठ के दिन २ अक्टूबर २००७ को सोनिया गांधी ने संयुक्त राष्ट्र संघ को संबोधित किया,१० अगस्त २०१९ को उनको पुनः कांग्रेस पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया.
क्या आपने देखा है न उन्हें, यानि मेरे राजीव को, चौड़ा माथा, गहरी आंखे, लम्बा कद और वो मुस्कान, जब मैंने भी उन्हें पहली बार देखा, तो बस देखती रह गई, साथी से पूछा- कौन है ये खूबसूरत नवजवान, हैंडसम! हैंडसम कहा था मैंने, साथी ने बताया वो इंडियन है, पण्डित नेहरू की फैमिली से है, मैं देखती रही, नेहरू की फैमिली के लड़के को...?
कुछ दिन बाद, यूनिवर्सिटी कैंपस के रेस्टोरेन्ट में लंच के लिए गई, बहुत से लड़के थे वहां, मैंने दूर एक खाली टेबल ले ली, वो भी उन दूसरे लोगो के साथ थे, मुझे लगा, कि वह मुझे देख रहे है, नजरें उठाई, तो वे सचुच मुझे ही देख रहे थे, क्षण भर को नज़रें मिली, और दोनो सकपका गए...?
अगले दिन जब लंच के लिए वहीं गयी, वो आज भी मौजूद थे, कहीं मेरे लिए इंतजार, मेरी टेबल पर वेटर आया, नैपकिन लेकर, जिस पर एक कविता लिखी थी...!
वो पहली नजर का प्यार था, वो दिन खुशनुमा थे, वो स्वर्ग था, हम साथ घूमते, नदियों के किनारे, कार में दूर ड्राइव, हाथों में हाथ लिए सड़कों पर घूमना, फिल्में देखना, मुझे याद नही की हमने एक दूसरे को प्रोपोज भी किया हो, ज़रूरत नही थी, सब नैचुरल था, हम एक दूसरे के लिए बने थे, हमे साथ रहना था, हमेशा...?
उनकी मां प्रधानमंत्री बन गयी थी, जब इंग्लैंड आयी तो राजीव ने मिलाया, हमने शादी की इजाजत मांगी, उन्होंने भारत आने को कहा, भारत...?
ये दुनिया के जिस किसी कोने में हो, राजीव के साथ कहीं भी रह सकती थी, तो आ गई, गुलाबी साड़ी, खादी की, जिसे नेहरू जी ने बुना था, जिसे इंदिरा जी ने अपनी शादी में पहना था, उसे पहन कर इस परिवार की हो गई, मेरी मांग में रंग भरा, सिन्दूर कहते हैं उसे, मैं राजीव की हुई, राजीव मेरे, और मैं यहीं की हो गई...!
दिन पंख लगाकर उड़ गए, राजीव के भाई नही रहे, इंदिरा को सहारा चाहिए था, राजीव राजनीति में जाने लगे, मुझे नही था पसंद, मना किया, हर कोशिश की, मगर आप हिंदुस्तानी लोग, मां के सामने पत्नी की कहां सुनते है, वो गए, और जब गए तो बंट गये, उनमें मेरा हिस्सा घट गया, फिर एक दिन इंदिरा निकलीं, बाहर गोलियों की आवाज आई, दौड़कर देखा तो खून से लथपथ, आप लोगों ने छलनी कर दिया था, उन्हें उठाया, अस्पताल दौड़ी, उन खून से मेरे कपड़े भीगते रहे, मेरी बांहों में दम तोड़ा, आपने कभी इतने करीब से मौत देखी है...?
उस दिन मेरे घर के एक नही, दो सदस्य घट गए, राजीव पूरी तरह देश के हो गए, मैंने सहा, हंसा, साथ निभाया, जो मेरा था, सिर्फ मेरा, उसे देश से बांटा और क्या मिला, एक दिन उनकी भी लाश लौटी, कपड़े से ढंका चेहरा, एक हंसते, गुलाबी चेहरे को लोथड़ा बनाकर लौटा दिया आप सबने...?
उनका आखरी चेहरा मैं भूल जाना चाहती हूं, उस रेस्टोरेंट में पहली बार की वो निगाह, वो शामें, वो मुस्कान, बस वही याद रखना चाहती हूं, इस देश में जितना वक्त राजीव के साथ गुजारा है, उससे ज्यादा राजीव के बगैर गुजार चुकी हूं, मशीन की तरह जिम्मेदारी निभाई है, जब तक शक्ति थी, उनकी विरासत को बिखरने से रोका, इस देश को समृद्धि के सबसे गौरवशाली लम्हे दिए, घर औऱ परिवार को संभाला है, एक परिपूर्ण जीवन जिया है, मैंने अपना काम किया है, राजीव को जो वचन नही दिए, उनका भी निबाह मैंने किया है...!
सरकारें आती जाती है, आपको लगता है कि अब इन हार जीत का मुझपर फर्क पड़ता है, आपकी गालियां, विदेशी होने की तोहमत, बार बाला, जर्सी गाय, विधवा, स्मगलर, जासूस इनका मुझे दुख होता है...?
किसी टीवी चैनल पर दी जा रही गालियों का दुख होता है, ट्विटर और फेसबुक पर अनर्गल ट्रेंड का दुख होता है, नहीं होता...? हां मगर तरस जरूर आता है, ऐसे लोगों कि सोच पर...!
याद रखिये, जिससे प्रेम किया हो, उसकी लाश देखकर जो दुख होता है, इसके बाद दुख नही होता, मन पत्थर हो जाता है, मगर आपको मुझसे नफरत है, बेशक कीजिये, आज ही लौट जाऊंगी, बस, राजीव लौटा दीजिए और अगर नही लौटा सकते, तो शांति से, राजीव के आसपास, यहीं कहीं इसी मिट्टी में मिल जाने दीजिए, इस देश की बहू को इतना तो हक मिलना चाहिए शायद...! (सोनिया गांधी के पत्र के कुछ अंश!)
व्हाटसऐप यूनिवर्सिटी के जाहिलों को लिए...?
पहली नज़र में प्यार और फिर शादी...?
देश में कम्प्यूटर की क्रांति लाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्वर्गीय राजीव गांधी की आज जयंती है, राजीव गांधी महज 40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बन गए थे, उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था और 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान एक बम विस्फोट में उनकी हत्या हो गई थी, आज उनकी जयंती पर हम आपको शांत स्वाभाव और सादगी पसंद राजीव गांधी और सोनिया गांधी की लव स्टोरी के बारे में बताएंगे कि आखिर कैसे राजीव गांधी सोनिया गांधी को अपना दिल दे बैठे थे, दोनों की लव स्टोरी बेहद ही फिल्मी है.
इस लव स्टोरी की शुरुआत कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक ग्रीक रेस्टोरेंट से हुई थी, यही वो जगह है जहां पहली बार राजीव गांधी ने सोनिया गांधी को देखा था, सोनिया को देखते ही पहली नजर में राजीव को उनसे प्यार हो गया था, इतनी ही नहीं वो सोनिया के इस कदर दीवाने हो गए थे कि उन्होंने रेस्टोरेंट मालिक से निवेदन किया था कि वो सोनिया को उनके पास वाली सीट ही दे.
इस बात का जिक्र खुद रेस्टोरेंट के मालिक ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था, उसने कहा कि जब मैंने राजीव से कहा कि यदि आप ऐसा चाहते है तो आपको इसके लिए दोगुना भुगतान करना होगा और वो तुरंत ही तैयार हो गए, रेस्टोरेंट मालिक ने कहा कि उस जमाने में उसे ऐसा प्यार देखने को मिला जो सिर्फ उसने किताबों में देखा था.
राजीव गांधी ने उसी दिन रेस्टोरेंट में एक पेपर नैपकिन पर सोनिया के लिए कविता लिखी और वहां की सबसे महंगी वाइन के साथ वो सोनिया को भेज दी, राजीव गांधी ने ,सिमी ग्रेवाल को दिए एक इंटरव्यू में कहा भी था कि मैें सोनिया को पहली बार देखकर ही समझ गया था कि यहीं वो लड़की है जो मेरे लिए बनी है, वो काफी मिलनसार है और कभी कुछ नहीं छुपाती, राजीव और सोनिया की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की ये मुलाकात धीरे-धीरे बढ़ने लगी, दोनों के बीच तीन साल तक मुलाकात चली.
सोनिया का जन्म 9 दिसंबर 1946 को इटली के लुसियाना में हुआ था, उनका नाम एडविग एंटोनिया अलबिना मायनो था, सोनिया एक साधारण परिवार से थी, कैंब्रिज में पढ़ाई के साथ-साथ वो रेस्टोरेंट में पार्टटाइम काम भी किया करती थी, राजीव के प्यार में सोनिया इतनी इतनी दीवानी हो गई थी उन्होंने खत लिखकर अपने घर वालों को राजीव के बारे में बताया था, सोनिया ने खत में लिखा कि मैं एक भारतीय लड़के से प्यार करती हूं वो एक खिलाड़ी है, नीली आंखों वाले ऐसे ही राजकुमार का मुझे हमाशे से इंतजार था.
1968 में पहली बार सोनिया गांधी भारत आई थी लेकिन वो राजीव गांधी के घर में नहीं ठहरी थी, उस वक्त इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी ऐसे में, सोनिया को अपने घर में रखना इंदिरा के लिए खतरे से खाली नहीं था, इसलिए सोनिया के रहने का इंतजाम अमिताभ बच्चन के घर में किया गया था.
बच्चन परिवार और गांधी परिवार के संबंध बहुत ही घनिष्ठ थे, राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन की दोस्ती इस रिश्ते को आगे लेकर गए, 13 जनवरी 1968 की सर्द सुबह कड़ाके की सर्दी में पालम एयरपोर्ट पर सोनिया गांधी को लेने के लिए अमिताभ बच्चन पहुंचे थे, तब सोनिया गांधी राजीव गांधी की मंगेतर के रुप में भारत आई थी, तब सोनिया बच्चन परिवार के घर ही ठहरी थी, अमतिभ बच्चन की मां तेजी बच्चन ने उन्हें भारतीय संस्कृति के तौर तरीकों के बारे में समझाया था.
राजीव गांधी जब सोनिया से शादी करने की तैयारियां कर रहे थे तो तेजी बच्चन ने ही मध्यस्थ के रुप में भूमिका निभाई थी, इंदिरा गांधी राजीव और सोनिया की शादी के खिलाफ थी उन्हें मनाने वाली भी तेजी बच्चन ही थी.
1969 में राजीव और सोनिया की शादी पक्की हो गई, तो कुछ दिनों के लिए सोनिया अपने परिवार के साथ बच्चन परिवार के विलिंगडन क्रीसेंट स्थित आवास पर ठहरी थी, दोनों की शादी हो गई और 1983 में सोनिया को भारत की नागरिकता मिली थी.
ये सब बस उनके लिए लिखा है जो इंसानियत का दिल अपने सीने मैं रखते हैं, वफ़ादारी किसी को झूंठ के जाल मैं फंसा, नीचा दिखाकर सत्ता हथिया देश को तबाह करने मैं नहीं, बल्कि देश के लिए अपनी जान दाव पर लगाने मैं है.
जय हिंद
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